दूध 5000रु/लीटर, मूत्र 500रु/लीटर, जानिए कैसे गधी पालन से हो रही करोड़ों की कमाई

जैसे-जैसे समय बीत रहा है लोग नए-नए आइडियाज के साथ आगे आ रहे हैं। कुछ व्यक्ति तो ऐसे-ऐसे आइडियाज को धरातल पर लाने में सफल हो रहे जो अन्य सपने में भी नहीं सोच पाते हैं। आज की हमारी कहानी भी एक ऐसे ही व्यक्ति की सफलता को लेकर है जिन्होंने औरों से हटकर कुछ नया करते हुए एक सफल कारोबार की स्थापना की।

गाय, भैंस, यहाँ तक की बकरी के दूध के बारे में भी सबने सुना होगा लेकिन इस व्यक्ति ने गधी के दूध का कारोबार शुरू करने का फैसला लिया। लाखों की शानदार पैकेज वाली नौकरी को अलविदा कर किसी नए क्षेत्र में कारोबार की संभावनाएं तलाशना आसान नहीं होता। लेकिन मजबूत इरादे और पक्के विश्वास के धनी केरल के एबी बेबी ने कई विफलताओं और आर्थिक नुकसान के बावजूद कभी हार नहीं माने और आज एक सफल डेयरी फार्म के कर्ता-धर्ता हैं।

आज हर महीने लाखों कमाने वाले एबी को इस पायदान तक पहुँचने में कई वर्ष लग गए। कई वर्षों तक रिसर्च के बाद उन्होंने गधी के दूध के फायदे ढूंढने में सफलता हासिल की।

ऐसे हुई शुरुआत

दरअसल, शुरुआत से ही वो कुछ अलग करना चाहते थे। उन्हें इसकी प्रेरणा अपने लन्दन से वापस लौटे एक दोस्त से मिली, जिसने इंडिया आकर खुद का स्टार्टअप शुरू किया और कूड़े से मच्छर भगाने की दवा बना डाली। यहीं से एबी को प्रेरणा मिली और उन्होंने अपना बिजनेस शुरू करने की दिशा में कदम उठाया।

गधी के दूध में ढूंढा शानदार कारोबारी आइडिया

एबी ने सोचा कि इसाइयों के मसीहा ‘जीसस’ घोड़े पर भी शान से आ सकते थे फिर क्यों उन्होंने गधे के साथ एंट्री की, इसी सोच ने उन्हें गधे की महत्ता को समझाया। बस फिर क्या, उन्होंने अच्छी-खासी आईटी कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर की जॉब छोड़ दी, और साल 2006 में गधी का फार्म शुरू करने के लिए अपने घर केरल वापस आ गए। दस साल उन्होंने रिसर्च की और पता लगाया कि इजिप्ट की रानी अपनी खूबसूरती बढ़ाने के लिए गधी का दूध इस्तेमाल क्यूँ करती थीं। फिर उन्होंने पूरे दक्षिण भारत की सैर की और 2015 तक 32 गधी खरीद डाले। सबसे पहले उन्होंने ढाई एकड़ की जमीन खरीदी और उसमें घास उगाये, इस तरह से एक फार्म तैयार किया।

कोई बिजनेस पार्टनर नहीं, अकेले बनाई राह

केनफ़ोलिओज़ के साथ ख़ास बातचीत में एबी कहते हैं कि मुझे गाइड करने के लिए मेरे साथ कोई नहीं था। इस वजह से शुरुआत में मुझे काफी नुकसान भी हुआ। यकीन नहीं मानेंगे कि उन्हें करोड़ों का नुकसान हुआ, उन्होंने अपने रिश्तेदारों और भाइयों से शुरुआती निवेश के लिए पैसे इकट्ठा किया था, लेकिन भारी नुकसान में सब डूब गया।

एबी कहते हैं कि मुझे यकीन था कि एक न एक दिन मैं कामयाब जरूर होऊंगा। इस वक़्त उनके फार्म में 23 गधी और 20 जेनीज हैं।

दूध से बनाया सौंदर्य प्रसाधन

एबी की माने तो वो अपने प्रोडक्ट में गधी के दूध के साथ रोजमेरी का भी इस्तेमाल करते हैं। एबी ने सबसे पहले घर के बगल से ही फार्म की शुरुआत की और कई कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स बनाएं, इसमें ब्यूटी क्रीम, शैम्पू, बाथ-वाश आदि शामिल हैं। एबी का ये भी दावा है कि इस तरह की यह पहली पहल है, जहाँ गधी का दूध निकाला जा रहा है। हालाँकि विदेशों में इनका प्रयोग होता है।

इसके साथ ही एबी के पड़ोसियों का भी कहना है कि ये स्किन के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। वहीं इस मामले में एबी का ये भी दावा है कि गधी के दूध से कई बीमारियाँ भी भाग जाती हैं और कई लोग बीमारियाँ भगाने उनके फार्म भी आते हैं। इंटरनेट और तकनीकी क्रांति के साथ कदम बढाकर चलते हुए अब एबी अपने प्रोडक्ट्स की बिक्री ऑनलाइन वेबसाइट डॉलफिनीबा डॉट कॉम के जरिए भी कर रहे हैं।

रिसर्चर की माने तो गधी का दूध टीबी, अस्थमा, पीलिया, एलर्जी जैसी कई बीमारियों को दूर करने में रामबाण इलाज माना जाता है। और भारतीय बाजार में यह दूध 5 हजार से लेकर 6 हजार रुपए प्रति लीटर की दर से बिकता है। एबी कहते हैं कि वैसे तो गधी भी लगभग करीब 80 हजार से 1 लाख रुपये तक में मिलती है, लेकिन इनके मिल्क के प्रोडक्ट्स भी काफी महंगे बिकते हैं।

केरल के इस किसान ने अपनी कारोबारी सफलता से यह साबित कर दिया कि पारंपरिक कारोबारों के अलावा भी अपार संभावनाएं हैं।

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