निवेशकों द्वारा नकारे जाने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और बना डाला 2500 करोड़ का साम्राज्य

सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय उद्यमियों का शुरू से बोलबाला रहा है। आज की कहानी जिस आईटी उद्यमी की है उन्होंने अपनी काबिलियत के दम पर एक ऐसी सेवा शुरू की जो इंटरनेट जगत में क्रांति लाते हुए दुनिया की सबसे बड़ी ईमेल सेवा प्रदाता जीमेल को टक्कर देते हुए नामचीन आईटी उद्यमी की कतार में शामिल हो गये। अपनी दूरदर्शिता और तकनीकी ज्ञान की बदौलत इस शख्स ने वैश्विक स्तर पर भारत को एक सॉफ्टवेयर शक्ति के रूप में भी स्थापित किया।

यह कहानी है अग्रणी वेब सर्विस हॉटमेल के सह संस्थापक सबीर भाटिया की। पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में जन्में और पले-बढ़े ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बंगलौर के सेंट जोसेफ हाई स्कूल से प्राप्त की। इंजीनियरिंग से स्नातक करने के उद्देश्य से उन्होंने साल 1986 में बिट्स-पिलानी में दाखिला लिया। लेकिन दो वर्ष बाद ही इन्होंने अमेरिका के प्रसिद्ध कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में अपना तबादला करवाते हुए सफलतापूर्वक इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।

ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई जारी रखते हुए स्तान्फोर्ड यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एमएस की डिग्री ली। यही पढ़ाई के दौरान सबीर ने एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स से प्रेरित हुए और फिर डिग्री पूरी करने के बाद एप्पल में ही काम करने का फैसला लिया।

एप्पल में काम करते हुए ही सबीर ने साल 1995 में जावासोफ्ट डॉट कॉम नाम की एक कंपनी खोली। यह कंपनी किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी को इंटरनेट पर स्टोर कर रखती थी। इतना ही नहीं किसी भी व्यक्ति की जानकारी को इंटरनेट के माध्यम से कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता था। सबीर का यह आइडिया उस समय के माहौल में बेहद क्रांतिकारी सिद्ध हुआ।

इसी बीच एक दिन उनकी कंपनी के इंटरनल नेटवर्क में फ़ायरवॉल लगा दिया गया, इस वजह से काम के दौरान कोई भी व्यक्ति अपना खुद का ईमेल चेक नहीं कर सकता था। इस परेशानी से सबीर के दिमाग में एक आइडिया आया, वह यह था कि जैसे लोगों की जानकारी को इंटरनेट पर डाल कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता है ठीक वैसे ही क्यूँ न ईमेल को भी ऑनलाइन डाल दिया जाय और फिर उसे भी कहीं से भी एक्सेस किया जा सके। उस वक़्त सबीर को तो यह एक छोटा आइडिया लगा था लेकिन आने वाले वक़्त में यह मिलियन डॉलर आइडिया बन गया।

अपने आइडिया के साथ आगे बढ़ते हुए सबीर ने इस पर रिसर्च करने शुरू किये। उन्होंने अपने एक अमेरिकी मित्र जैक स्मिथ के साथ मिलकर इ-आधारित मेल सिस्टम की क्षमता का परीक्षण किया। परिक्षण सफल होने के इन्होंने साल 1996 में तीन लाख डॉलर की पूंजी से हॉटमेल की शुरुआत की। लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उन्होंने इस मेल सेवा को बिलकुल मुफ्त रखा और वेबसाइट पर विज्ञापन दिखा कंपनी को किसी तरह चलाया।

आपको यकीं नहीं होगा कंपनी शुरू होने के चंद महीनों में ही उन्होंने दस लाख से ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित करने में सफल रहे। और दिनों-दिन कंपनी बड़ी होती हुई पूरी दुनिया में तहलका मचा दी। साल 1997 में इसका अधिग्रहण माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने लगभग 2500 करोड़ रुपये में कर लिया। इसके कारण सबीर रातोंरात सम्पूर्ण विश्व पर छा गए।

सबीर की सफलता से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि यदि हमें आइडिया में विश्वास है, तो उसे साकार करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना जरूरी है। सबीर को अपने आइडिया को साकार करने के लिए धन की जरूरत पड़ी थी, जो उनके पास नहीं था। आखिर वे वेन्चर कैपिटल कंपनियों के दरवाजे खटखटाने पहुंचे। एक के बाद एक लगभग 19 कंपनियों ने उन्हें धन देने से मना कर दिया था। आखिरकार एक कंपनी ने उन्हें 15 प्रतिशत तक धन दिया, जिसकी बदौलत उनका सपना साकार हुआ।

यदि आपको अपने ऊपर विश्वास है, तो दूसरों के शक पर उसे छोड़ो नहीं। बस अपने लक्ष्य के आगे बढ़ते रहो, एक न एक दिन सफलता अवश्य मिलेगी।

साल 1999 तक सबीर माइक्रोसॉफ्ट के साथ जुड़े रहे, उसके बाद उन्होंने कोई नया कारोबार शुरू करने के उद्येश्य से कंपनी छोड़ आरजू डॉट कॉम से एक ऑनलाइन शॉपिंग साईट आरंभ किये। हालांकि यह कंपनी ज्यादा दिन नहीं चल पाई और इसे बंद करना पड़ा। सबीर ने फिर भी हार नहीं मानी और एक नई कंपनी ‘सबसे बोलो’ की आधारशिला रखी। साल 2009 में सबसेबोलो ने जक्सतर नाम की एक बड़ी एसऍमएस सर्विस प्रोवाइडर कंपनी का अधिग्रहण किया। आज जक्सतर का टर्न ओवर 5 मिलियन डॉलर के करीब है।

सबीर ने खुद की काबिलियत के दम पर कई सफल बिज़नेस की स्थापना कर वो कर दिखाया जो उस दौर में नामुमकिन सा था। सबीर की सफलता अपना कारोबार शुरू करने वाले युवा वर्गों के लिए एक मजबूत प्रेरणास्रोत हैं।

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