भारतीय दण्ड संहिता की किसी धारा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना हो या विभिन्न प्रोडक्ट के रिव्यू के लिए वेबसाइट बनानी हो; कूपन और डिस्काउंट देने के प्रचलित तरीके को बदल डालना हो या विज्ञापन के एकदम नए तरीके ईजाद करना हो, इस व्यक्ति ने हर चीज को संभव कर दिखाया। फैसल फारूकी उद्यमियों के बीच एक बेहद कम करके आँका गया नाम है। वे दूसरे भारतीय उद्यमी जैसे विजय शेखर शर्मा और सचिन बंसल की तरह प्रसिद्ध नहीं हैं पर जब उन्हें हासिल तमगों और पुरस्कारों के बारे में पता चलता है तब उनकी सफलता और उनके संघर्ष के प्रति मन में गहरा सम्मान पैदा होता है।

फैसल ने अपनी ग्रेजुएशन न्यूयॉर्क के बिंघमटन यूनिवर्सिटी से इनफार्मेशन सिस्टम्स एंड फाइनेंस में किया। वे हमेशा से जानते थे कि उन्हें उद्यमिता के क्षेत्र में अपना एक मुकाम बनाना है और यह भी कि वह किसी और के लिए काम करके अपना जीवन नहीं बिता सकते। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने माउथशट डॉट कॉम के आइडिया के बारे में सोचा। यह ग्राहकों के लिए एक रिव्यू साइट है जिसमें खरीददार प्रोडक्ट्स खरीदने और तकनीकी सुविधा लेने से पहले पहले रिव्यूज़ देख सकते हैं।
साल 2000 में फैसल भारत लौट आये और अपनी कंपनी स्थापित की। उन्हें भारतीय डिजिटल मीडिया अवार्ड्स के तहत ‘बेस्ट पोर्टल अवार्ड 2009’ से सम्मानित भी किया गया।
जैसा वे कहते हैं कि एक बार बना इंटरप्रेन्योर हमेशा एक इंटरप्रेन्योर होता है। एक बार कंपनी सेटअप करने के बाद फैसल ने कंपनी के प्रचार के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने ऑटो-रिक्शा के पीछे के बाहरी हिस्से को खाली देखा और तब उन्होंने ऑटो-रिक्शा के बाहरी हिस्से में अपने ब्रांड का नाम और लोगो पेंट करवा दिया और इस तरह उन्होंने अपने अनोखे प्रचार के अंदाज का बीड़ा उठाया। उनके वेबसाइट की तरह ही उनके प्रचार का यह अंदाज प्रत्येक व्यक्ति को बरबस ही अपनी ओर खींचता चला गया। परन्तु फैसल इतने में रुकने वाले नहीं थे और न ही आराम से बैठने वाले थे। और तब उन्होंने दूसरी बड़ी चीज की तलाश शुरू कर दी।
फैसल चाहते थे कि ग्राहकों को डिजिटल तरीके से कूपन और सौदे वितरित किये जाये न कि पेपर कटिंग के द्वारा। और इसी से उनका अगला वेंचर ‘डील फेस’ सामने आया। पहले दोनों दृष्टिकोण के जैसे ही फैसल इस क्षेत्र में नए थे। डील फेस के जरिये वे ग्राहकों को कूपन के बदले सामान और सेवा प्रदान करते हैं और उनका डिस्काउंट कोड ग्राहक को मेसेज के जरिये प्राप्त हो जाता है।
बाजार में यह अपने तरीके का पहला होने की वजह से इसे काफी फायदा मिला। लेकिन संघर्ष भी कम नहीं थे। वे याद करते हैं कि इस क्षेत्र के पहले उद्यमी होने की वजह से लोग उन पर ध्यान नहीं देते थे। परन्तु वे अपने लक्ष्य से कभी भी विचलित नहीं हुए। वे हमेशा से जानते थे कि अपनी लड़ाई उन्हें स्वयं ही लड़नी है और उनके जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई आईपीसी की धारा 66A थी। जिसमें सख्त नियम और नागरिकों के अधिकारों के खिलाफ कानून थे। फैसल ने यह जान लिया कि उसकी लड़ाई सरकार के साथ है और उसमें बदलाव जरुरी है। भाग्य ने साथ दिया और लम्बी लड़ाई के बाद वे सुप्रीम कोर्ट से यह केस जीत गए।

माउथ-शट को एक दशक से ज्यादा हो गए हैं और अब यह पुराना हो चुका है। बहुत सारी कंपनियां उनके बिज़नेस मॉडल की कॉपी करने की कोशिश कर रही है। परन्तु फैसल इन सब से परेशान नहीं होते। बल्कि वे ख़ुशी महसूस करते हैं कि उनके द्वारा बनाये गए रास्ते पर चलकर लोग इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। वे अभी जोर-शोर से लोगों की बायिंग-गाइड साइट बनाने में लगे हुए हैं। अगर कोई उनके नवीन दृष्टिकोण और इस क्षेत्र में उनकी विषेज्ञता को मापना चाहता है तो याद रख ले कि माउथ-शट डॉट कॉम, येल्प डॉट कॉम जैसे प्रसिद्ध रिव्यू वेबसाइट के आने के चार साल पहले से मौजूद है।
फैसल ने कठिन मेहनत और दूरदर्शिता की बदौलत देश की आईटी इंडस्ट्री में अपना एक अलग नाम बनाया। इनकी सफलता से नई पीढ़ी के युवाओं को काफी कुछ सीखने को मिलता है।
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