पिछले दो दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने उपभोक्तावाद के मामले में बड़े पैमाने पर परिवर्तन देखा है, भौतिक-समृद्ध जीवन जीने की होड़ भी तेज हो गयी है। वित्तीय सफलता, प्रसिद्धि, और कद पाने के लिए हमारा रोजमर्रा का संघर्ष हमारी आंतरिक शांति को पूरी तरह से तबाह कर रखा है। जीवन के इस उहापोह में जब तक हमें अपनी मानसिक-शांति के लिए गंभीर नुकसान का एहसास होता है, तब तक हम अवसाद की स्थिति में पहुँच चुके होते हैं। हमारे भौतिकवादी दृष्टिकोण को अक्सर आंतरिक शांति प्राप्त करने की अत्यधिक आवश्यकता होती है – एक ऐसी चीज जिसे पैसे से नहीं खरीदा जा सकता।
हमारी आज की कहानी एक ऐसे व्यक्तित्व के बारे में है. जिन्होंने अपने जीवन में सही अवस्था में मानसिक शांति का महत्व को पहचाना। उन्होंने न केवल भौतिकवादी जीवनशैली के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए खुद को प्रशिक्षित किया, बल्कि दूसरों की मदद करने का फैसला भी किया। एवरिल क्यू ने भौतिकवादी जीवनशैली की चाह में होने वाली शारीरिक और मानसिक हानि के बारे में लोगों को जागरूक करने का फैसला किया।

एवरिल मुंबई के एक पारंपरिक रोमन कैथोलिक परिवार में पली-बढ़ीं और साल 1992 में वह बैंगलोर चली गईं। उन्होंने 16 साल की उम्र में जिंगल्स के लिए गाना शुरू किया और 1996 में सेंट जोसेफ आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज से स्नातक किया। इतनी कम उम्र में एवरिल ने अपनी गायकी से दिन के 1000 रुपये कमाया करती थी। साथ ही, उन्होंने रवि शेनॉय नाम के एक व्यक्ति के साथ मिलकर मशहूर कैफे कॉफी डे टैगलाइन बनाई ‘ए लॉट कैन हैप्पन ओवर ए कॉफी’, हालांकि, दोनों को इस काम के लिए कभी कोई क्रेडिट नहीं मिला।
साल 1998 में, एवरिल मुंबई आ गईं और मैग्नासाउंड के साथ काम करना शुरू कर दिया। 2002 तक, एवरिल ने गायन करने के लिए दुनिया भर के कई स्थानों की यात्रा की। उन्होंने एक फिनिश रिकॉर्ड निर्माता पीटर जर्विनन से शादी कर ली, लेकिन अप्रासंगिक मतभेदों के कारण साल 2005 में तलाक ले लिया। एवरिल फाइव स्टार होटलों में लाइव शोज किया करती थी और उस समय के शीर्ष-भुगतान वाले गायकों की सूची में शुमार करने लगी।
हालाँकि उन्होंने असाधारण रूप से अच्छा काम किया और बॉलीवुड में कुछ अच्छे प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए प्रयास भी किया, हर गुजरते दिन के साथ उन्होंने फिल्म उद्योग में काम करने के उतार-चढ़ावों को समझना शुरू कर दिया, ‘कास्टिंग काउच उनमें से एक था’ – उन्होंने जिस फिल्म उद्योग पर विचार किया था वह नकारात्मकता से भरा था। एवरिल ने बॉलीवुड से अवसरों के बिना अपने संगीत करियर को जारी रखा और एक लम्बी यात्रा तय की। बेंगलुरु स्थित प्रेनिक हीलिंग फाउंडेशन ने उन्हें प्रेनिक हीलिंग सर्टिफिकेशन दिया और व्यक्तिगत रूप से संस्थापक ग्रैंड मास्टर चोआ कोक ने उनकी सराहना की।
एवरिल के जीवन में एक मोड़ आया, जब उनके पिता को कैंसर हो गया था। उनके पिता की स्वास्थ्य स्थिति ने उनके जीवन को आर्थिक और भावनात्मक रूप से मुश्किल दौर में डाल दिया। यही वह समय था जब उन्हें संगीत उद्योग में बनाए संबंधों की गंभीरता का अहसास हुआ। इस कठिन परिस्थिति में उन्हें किसी का भी साथ नहीं मिला। इस कठिन समय ने एवरिल को आत्मनिर्भर होने का सबक सिखाया। उन्होंने महसूस किया कि जब हम एक महत्वपूर्ण समय में भावनात्मक समर्थन के लिए लोगों पर बहुत अधिक भरोसा करते हैं, तो हमें बाद में उनका साथ न मिलने पर मानसिक शक्ति की कमी होने का गंभीर खतरा होता है। यह एवरिल के लिए एक मुश्किल समय था जब उसने आध्यात्मिक और मानसिक रूप से खुद को मजबूत करने का फैसला किया।
एवरिल ने आध्यात्मिक उपचार तकनीक सीखना शुरू कर दिया और तिब्बती तकनीक सीखने के लिए बौद्ध धर्म अपना लिया। उन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन से भी कुछ क्लाइंट हासिल किए और अपनी सीख को जारी रखा। एवरिल ने दलाई लामा के सामने संस्कृत में सबसे महत्वपूर्ण बुद्धिस्ट सूत्र ‘द हार्ट सूत्र’ को गाया और तिब्बत में 4000 भिक्षुओं और ननों के सामने बौद्ध मंदिर में गाने वाली एकमात्र महिला का गौरव उन्हें प्राप्त हुआ।
वर्ष 2017 में, उन्होंने संगीत उद्योग को छोड़ दिया और अपनी कंपनी “एवरिल क्यूएस” की शुरुआत की और हीलिंग के लिए अपनी नई तकनीक “क्यूंडलिनिप्लस” को विकसित किया। इस विधि में 4 अलग-अलग प्रोटोकॉल शामिल हैं जो प्राचीन भारतीय और तिब्बती उपचार पद्धतियों के साथ-साथ आधुनिक पश्चिमी चिकित्सा तकनीकों की मदद से ग्राहकों को एक व्यापक समाधान मुहैया करते हैं। कुंडलिनिप्लस की तकनीकों में आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक उपचार करने के लिए प्रसिद्ध कुंडलिनी योग तकनीकों के साथ कई अन्य विधियां भी शामिल हैं। एवरिल ने कार्यशालाओं और अनुकूलित चिकित्सा सत्रों के जरिए 5 से ज्यादा देशों के 1000 से अधिक लोगों की मदद की है।
