हर इंसान चांदी का चम्मच मुंह में लिए पैदा नहीं होता; परन्तु कुछ लोग ऐसी ऊंचाइयों तक पहुंच जाते हैं कि उनके सामने इस मुहावरे का अर्थ बौना पड़ जाता है। आज हम आपके सामने एक ऐसा ही उदाहरण पेश कर रहे हैं। केरल के एक छोटे से गांव का यह व्यक्ति आज एक डॉक्टर है और इसने अपनी मेहनत से 5.7 अरब डॉलर का विशाल साम्राज्य खड़ा कर लिया है।
यह कुछ दशकों पहले की बात है, केरल के मलप्पुरम जिले के एक स्वतंत्रता सेनानी अहमद उन्नी मुपेन के घर 1953 में एक लड़का पैदा हुआ जिसका नाम रखा गया आज़ाद। आज़ाद ने स्वतंत्र भारत में अपनी सांसे ली। अहमद ने अपने सामर्थ्य के मुताबिक बेटे को सब कुछ अच्छे से अच्छा दिया और उसके बदले में बेटे ने भी शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर अपने पिता के सम्मान को बढ़ाया।

आज़ाद ने केरल के कालीकट मेडिकल कॉलेज से गोल्ड मैडल के साथ अपनी पढ़ाई पूरी की। बाद में उन्होंने निश्चय किया कि वे दिल्ली यूनिवर्सिटी से चेस्ट डिजीज में डिप्लोमा करेंगे। डिप्लोमा पूरा करने के उपरांत उन्होंने कालीकट मेडिकल कॉलेज में मेडिकल लेक्चरर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। वहां उन्होंने पांच साल गुज़ारे। साल 1987 में वे एक सोशल विजिट में दुबई गए और उन्होंने देखा कि वहां बहुत कम गुणवत्ता वाले डॉक्टर थे। वहां की स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे की हालत बदतर थी।
“लोग घंटों लाइन में लगकर डॉक्टर को दिखा पाते और निम्न सामाजिक-आर्थिक समूह के लोगों की हालत तो और बुरी थी।” — आज़ाद
उन्होंने हाथो-हाथ अपने दिमाग में इस स्थिति को बदलने की योजना बना ली और कुछ महीनों में ही दुबई में अपना पहला क्लिनिक खोल लिया। मरीजों की प्रतिक्रिया ने ही उन्हें आगे इंटरप्रेन्योर के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरणा दी।
“जब अवसर द्वार खटखटाए तो उठकर तत्परता से अपने दरवाजे खोल देना महत्वपूर्ण होता है; बनिस्पत दस्तक को शोर समझ कर शिकायत करने के”
दूर-दृष्टि और महत्वाकांक्षा के साथ आज़ाद ने एस्टर डीएम हेल्थकेयर के बैनर-तले एक चेन की शुरुआत की जिसमें 175 यूनिट हॉस्पिटल के साथ-साथ पॉलीक्लीनिक्स, फार्मेसी और डायग्नोस्टिक सेंटर्स शामिल हैं। और ये सारे यूनिट्स यूएई, क़तर, ओमान और सऊदी अरबिया में खोले गए। उनकी कंपनी में लगभग 10,000 कर्मचारी हैं जो अधिकतर मध्य-पूर्वी देश के लोग हैं और वे हर साल लगभग सात करोड़ मरीज़ों की सेवा करते हैं।
आज़ाद ने न केवल परदेश में बल्कि अपने देश में भी हेल्थकेयर सुविधा उपलब्ध कराई है। उनके मालाबार इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज में लगभग 3,000 कर्मचारी हैं। उन्होंने 600 बिस्तर वाला तृतीय श्रेणी केयर भी कोझीकोड में खोली है। यह देश का पहला मल्टीस्पेशलटी हॉस्पिटल है जिसने हॉस्पिटल और हेल्थकेयर के नेशनल एक्रेडिशन बोर्ड से सम्बद्धता हासिल की। आज़ाद यहीं रुकने वालों में से नहीं थे उन्होंने 2009 में मलप्पुरम जिले के कोट्टाक्कल में भी 150 बिस्तर वाला हॉस्पिटल खोला है।
आज़ाद ने एमआईएमएस (MIMS) चैरिटेबल ट्रस्ट की भी स्थापना की है जिसमें 7000 लोगों को आश्रय दिया गया है और वहां गरीबी रेखा के नीचे के लोगों को मुफ्त इलाज किया जाता है। उन्होंने अपने पिता के नाम पर मुपेन फाउंडेशन की स्थापना की है जिसमें गरीबों की मदद की जाती है। उन्होंने हाल ही में अपनी कमाई का 20 फीसदी हिस्सा ‘हीलिंग टच’ को सामाजिक काम करने के लिए दान में दी है।

भारत सरकार की तरफ से उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान और पद्म श्री सम्मान से भी नवाज़ा गया है। उन्होंने न केवल भारत में प्रशंसा पाई है बल्कि यूएई के टॉप 100 भारतीय की सूची में छठा स्थान प्राप्त किया है। अरेबियन बिज़नेस के अनुसार 50 अमीर भारतियों में 29वां स्थान आज़ाद का है। फोर्ब्स के अनुसार 2017 में उनकी कुल धनराशि 59 करोड़ डॉलर के लगभग है।
शून्य से शुरुआत कर आज़ाद ने विशाल एम्पायर खड़ा कर लिया है और साथ ही साथ गरीबों, विद्यार्थियों और बुजुर्गों के लिए भी सौहाद्रपूर्ण देखभाल की सुविधा दिलाई है। अपने सपनों और कठोर मेहनत के बल पर उन्होंने वह सब कुछ पाया जो उन्होंने कभी सोचा नहीं था।
कहानी पर आप अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं और पोस्ट अच्छी लगे तो शेयर अवश्य करें