माता-पिता का यह सपना होता है कि उनका बच्चा बड़ा होकर डॉक्टर बनें, क्योंकि इस व्यवसाय में आपको सम्मान के साथ-साथ पैसे भी मिलते हैं। लेकिन रोहित सिंगल ने मेडिकल लाइन में दस साल पढ़ाई करने के उपरांत अपना आईटी बिज़नेस शुरू किया। स्टार्ट-अप सोर्स बीट्स कंपनी के फाउंडर रोहित सिंघल आज हमारे सामने एक सफल उद्यमी के रूप में खड़े हैं। मेडिकल जगत में शानदार उपलब्धि के अलावा उन्होंने ऐप डेवलपमेंट में भी एक नया मक़ाम हासिल किया है।
एमबीबीएस और एमडी की डिग्री लेकर रोहित ने सोर्स बीट्स नामक कंपनी की स्थापना की। आज यह कंपनी वेब स्ट्रेटेजी, डिज़ाइन और एक्सपांशन में विश्व प्रसिद्ध नाम है। उन्होंने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है जिसमें व्यक्ति केवल एक सपने में बंध कर नहीं रहता बल्कि अनेक क्षेत्रों में अपना वर्चस्व कायम करता है।

अपनी डिग्री लेने के बाद इन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन रेडियोलोजी में पूरा किया। रमैय्या मेमोरियल हॉस्पिटल बैंगलोर को एक कम्युनिकेशन सिस्टम सॉफ्टवेयर की जरुरत थी। और सीमेंस जैसी बड़ी कंपनी इसके लिए एक मिलियन डॉलर कोट कर रही थी। रोहित ने इसे एक अवसर मान कर इसका समाधान निकाला। और इसके लिए हॉस्पिटल ने रोहित को 10,0000 डॉलर इन्सटॉलमेंट में दिए। इस काम को करने में उन्हें बड़ा ही आंनद आया।
अपनी पढ़ाई खत्म करने के साथ ही रोहित ने 2006 में सोर्स बीट्स कंपनी की नींव रखी। इस कम्पनी का संचालन एक ऐसे व्यक्ति के द्वारा हुआ जिन्हें आईटी के क्षेत्र का ठोस ज्ञान भी नहीं था। उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती ऑफिस के लिए जगह ढूंढ़ने में थी। इसके लिए उन्होंने किराये से गैराज लिया। शुरुआती दौर बहुत ही कठिन था। फण्ड की कमी, किसी का सपोर्ट न मिलना, कोई ठोस बिज़नेस प्लान का न होना और ग्राहकों के साथ सम्बन्ध बनाने की नीति का न होना इन सब कारणों से सब कुछ कठिन नजर आ रहा था।
उनका पहला काम फनबूथ नाम का प्रोडक्ट था जिसे रोहित और उनके साथ दो डेवलपर ने मिलकर बनाया था। सोर्स बीट्स को पहला कॉन्ट्रैक्ट फ्रीवर्स से मिला। इस ऐप का उपयोग फोटोग्राफ्स को अलग-अलग तरीके के प्रॉप बनाकर उपयोग किया जाता था। उन्हें यह समझ में आ गया था कि प्रोडक्ट बेचना आसान काम नहीं है। उनका मानना था कि नए-नए तरीके का उपयोग कर और विश्वस्तरीय प्रोडक्ट बनाकर ही आगे बढ़ा जा सकता है और पूरे विश्व में पहचान बनाया जा सकता है।
लेकिन सिंगल जोखिम उठाने वालों में से थे। उन्होंने एप्पल के एक अवार्ड-विनर डिज़ाइनर को 2.5 लाख महीने की तनख्वाह पर रखा। उस समय उनकी कंपनी के महीने की आमदनी ही 6 लाख थी। उन्हें कुछ महीने नुकसान झेलना पड़ा। लेकिन उन्हें विश्वास था कि जो कोई अपने जूनून के साथ काम करता है सफलता उसे ही मिलती है।
शुरुआत में सोर्स बीट्स मैक कंपनी के उपयोग के ऐप बनाता था जो आई फ़ोन के लिए उपयुक्त होता था। 2007 में उन्होंने एक प्रोडक्ट डेवेलप किया जिसका नाम “नाईट स्टेंड” था। यह एक अलार्म क्लॉक था। तीन दिन के भीतर ही इसे आई फ़ोन ने खरीद लिया और तीन महीने में तीन मिलियन डाउनलोड हुए। इससे बाद सोर्स बीट्स मोबाइल क्रांति के आकर्षण का केंद्र बन गया। सिंगल और उनकी कंपनी ने फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा। आज उनकी कंपनी एमआईटी, पीएंडजी, जीइ, स्लोअन, कोक, स्लिंग मिडिया और बहुत सारे संगठन के लिए लगभग 300 ऐप डिज़ाइन कर चुकी है। पिछले साल का उनकी कंपनी की आमदनी 30 करोड़ रूपये थी। सेकोईआ जो विश्व की सबसे बड़ी टेक इन्वेस्टर कंपनी है, और आईडीजी जो विश्व की बड़ी टेक मीडिया कंपनी है, ने सोर्स बीट्स कम्पनी में लगभग 10 मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया है।

शुरुआत में एक छोटी संस्था जो पांच साल तक एक गेराज में चली, आज सोर्स बीट्स बैंगलोर की सबसे बड़ी कंपनी के रूप में उभरी है। और इलेक्ट्रॉनिक सिटी में 46,000 स्क्वायर फीट में फैली हुई है।
युवा पीढ़ी को सुझाव देते हुए सिंगल कहते हैं कि भारत में सब कुछ आवश्यकता के हिसाब से डिज़ाइन किया हुआ है इसमें बहुत दूर तक चलने की जरुरत नहीं होती है। टेक्नोलॉजी को चुनौतियों के रूप में नहीं लेना चाहिए। स्कूलों को न केवल टेक्नोलॉजी के डिज़ाइन पर जोर देना होगा बल्कि जीवन के हर पहलू पर ध्यान देना होगा।
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