नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार महाराष्ट्र देश का दूसरा ऐसा राज्य है जहाँ पर किशोर अपराधी सबसे ज़्यादा हैं। यह आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है। युवाओं का गलत रास्ते में जाना देश के भविष्य के लिए नुकसान दायक है। इसके साथ ही यहाँ पर युवाओं के बीच कट्टरता बहुत बड़ी मात्रा में विद्यमान है।
इस समस्या के प्रत्युत्तर के रूप में 32 वर्षीय आईपीएस ऑफ़िसर हर्ष ए पोद्दार ने एक ऐसा अनोखा रास्ता अपनाया है जिससे कुछ कर गुजरने वाले युवाओं की एक सेना के गठन के लिए मार्ग प्रशस्त किया गया है।

कोलकाता में जन्मे हर्ष ने अपनी स्कूलिंग ला मार्टिनियर से पूरी की और अपना ग्रेजुएशन कोलकाता के नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ़ जुडिशियल साइंसेज से पूरा किया। इसके बाद उन्हें यूके सरकार की तरफ से दी जानी वाली प्रतिष्ठित शेवनिंग स्कॉलरशिप मिली और फिर उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड युनिवर्सिटी से इंटरनेशनल और कंस्टीट्यूशनल लॉ में मास्टर डिग्री ली। फिर उन्होंने विश्व की बड़ी लॉ फर्म्स क्लिफोर्ड कंपनी में कॉर्पोरेट वकील के तौर पर काम किया।
हर्ष का सपना था कि वे आम आदमी के जीवन में बदलाव लाएं, न कि केवल इस कॉर्पोरेट की नौकरी से चिपककर रह जाएँ। इसलिए 2011 में में उन्होंने भारत लौटने का निश्चय किया और यहाँ आकर सिविल सर्विसेस के जरिए अपने सपने को क्रियान्वित करना चाहा। उन्होंने कड़ी मेहनत कर दो बार यूपीएससी की परीक्षा दी। उन्होंने 2013 में दूसरी बार परीक्षा दी जिसमें उन्हें 362वां रैंक हासिल हुआ। उन्होंने इंडियन पुलिस सर्विस आईपीएस को चुना और महाराष्ट्र कैडर में ऑफ़िसर बन गए।
सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल पुलिस अकादमी में ट्रेनिंग के दौरान हर्ष ने नेत्रहीन बच्चों के लिए एक वर्कशॉप करवाया। लेकिन पारम्परिक मॉडल के बजाय उन्होंने बच्चों को कुछ छोटे-छोटे समूहों में बाँट दिया और उन्हें कहा कि अगर विकलांगों के लिए कोई कानून बनाया जायेगा तो वे किन बातों को उसमें शामिल करेंगे। बच्चों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और अपनी गहरी समझ के द्वारा अनेक ऐसे सुझाव दिए जिनका सामना उन्हें अपने दैनिक जीवन में हमेशा करना पड़ता है।
केनफ़ोलिओज़ के साथ बातचीत के दौरान हर्ष ने बताया; “श्रेष्ठ ज्ञान हमेशा भीतर से आता है। अगर आप सचमुच कुछ सीखना चाहते हैं तो उसे खुद से करना सीखें। पूरी तरह से डूब जाएँ, उसमें भाग लें। इस आइडिया से देश की युवा-संसद को सजगता आती है।”
इस प्रोजेक्ट ने बच्चों को खुद की एजेंसीज बनाने, विकलांगता के कानून का मसौदा तैयार करने और दिव्यांगों के आधारभूत अधिकारों को जानने की ओर प्रेरित किया। इस मॉडल की सफलता से यही तरीका वृहद् महाराष्ट्र में भी अपनाया गया और इस तरह 2015 में महाराष्ट्र पुलिस यूथ -पार्लियामेंट चैंपियनशिप की शुरूआत हुई।
इस कांसेप्ट का मुख्य मकसद युवाओं को अपराध के रास्ते से दूर रखना था। हर्ष के निर्देशन में यह पायलट प्रोजेक्ट औरंगाबाद के नाथ वैली स्कूल और औरंगाबाद पुलिस पब्लिक स्कूल में शुरू किया गया। चुने गए विद्यार्थियों को तीन टीमों में बांटा गया और उन्हें टॉपिक जैसे यौन अपराध, आतंकवाद, भ्रष्टाचार, घोटाला आदि दिए गए। हर एक टीम को सामने आकर दिए गए टॉपिक पर बोलने को कहा गया। उन्हें बताना था कि समाज में इन बुराइयों को कैसे रोका जाए। उन्हें समाधान भी बताना था। जब यह अभियान पूरा हुआ तो पुलिस विभाग ने पाया कि बच्चों में इन बुराइयों के बारे में अच्छी समझ है और खासकर उन बच्चों में जो निचले तबके के या मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं। इस तरह प्रोजेक्ट से बच्चों में अपराध करने की प्रवित्ति में कमी आई और साथ ही साथ आस-पास के लोगों को भी वे जागरूक करने लगे।
हर्ष के आइडिया की सफलता से प्रेरित होकर महाराष्ट्र पुलिस ने दूसरे जिलों में भी इसे शुरू किया। तब से लेकर अब तक लगभग 42,000 युवाओं को इस अभियान से जोड़ा जा चुका है इससे बच्चों में अपराध करने की सम्भावना कम हो जायेगी। हर्ष ने मालेगांव में एक नई पहल की है जिसका नाम उड़ान है। उड़ान के तहत बच्चों को करियर काउंसीलिंग दी जाती है। इन क्लासेज के कारण युवा पीढ़ी अपनी क्षमताओं को पहचान रहे हैं और हिंसा और सांप्रदायिक गतिविधियों में हिस्सा कम ले रहे हैं। एक बड़ा कारण था कि भीमा-कोरेगांव संघर्ष में मालेगांव बचा रह गया क्योंकि यहाँ के युवा, पुलिस के साथ काम कर रहे थे और इसलिए वे हिंसा और हंगामों से दूर रहे।
इस असाधारण व्यक्ति की कहानी यहीं नहीं ख़त्म होती। कोल्हापुर, एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ हाईवे पर बहुत ज्यादा एक्सीडेंट्स होते हैं। 2016 में यहाँ 16 किलोमीटर के दायरे में 107 एक्सीडेंट हुए और 42 लोगों की मौत हो गई। हर्ष ने एक डाटा कलेक्शन एक्सरसाइज लांच किया जो यह बताने में मदद करता था कि एक्सीडेंट के उस क्षेत्र के केंद्र बिंदु में क्यों इतनी दुर्घटना होती है।
उन्होंने हाईवे सेफ्टी स्क्वाड की शुरूआत की। अगर कोई गलत पार्किंग का इशू है तब उससे उपयुक्त चालान लिया जाता। अगर स्पीड से गाड़ी चल रही है तो स्पीडिंग टिकट लेना होता था। इस शुरूआत से बड़ा प्रभाव पड़ा और 2017 के पहली तिमाही में 40% तक एक्सीडेंट्स कम हो गए।

महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या बहुत होती थी। इसका मुख्य कारण धोखे से किसानों की बचत को इन्वेस्टमेंट स्कीम में लगा देना था। इस समस्या से निज़ात पाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने 1999 में एक एक्ट महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ़ इंटरेस्ट ऑफ़ डेपोसिटर्स (MPID) बनाया था,परन्तु यह ज्यादा उपयोग में नहीं आता था। हर्ष ने महाराष्ट्र सीआईडी के साथ और MPID लेखक के साथ मिलकर स्पष्ट अर्थों वाली एक गाइड बनाई। जिससे MPIDका उपयोग आसान हो गया।
2014 में नेशनल पुलिस अकादमी हैदराबाद से ट्रेनिंग पूरी करने के बाद हर्ष को साम्प्रदायिक सौहाद्र और राष्ट्रीय एकीकरण के लिए होम मिनिस्टर अवार्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें महाराष्ट्र सरकार की ट्रॉफी भी प्रदान की गई।
देश के युवा देश के आधार हैं और हर्ष ने इसे सिद्ध कर दिखाया। उन्होंने बहुत ही साधारण परन्तु बेहद प्रभावशाली उपायों को अपनाकर यह सुनिश्चित कर दिया कि हमारे देश का कल बेहतर होगा और देश अधिक व्यावहारिक और तर्कसंगत पीढ़ी के नेतृत्व में होगा। वे उन सभी पुलिस ऑफिसर्स और आम आदमी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं जो देश की सेवा करना चाहते हैं और ज़माने पर अपनी अमिट छाप छोड़ना चाहते हैं।
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