कभी साइकिल पर फल बेचा करते थे, आज 12 देशों में फैला है इनका कारोबार कमाते हैं करोड़ों रुपये

यह दिलचस्प कहानी है एक ऐसे किसान की जो कभी साइकिल पर टोकरी में फल बेचा करते थे लेकिन आज दुनिया भर के 12 देशों में इनका कारोबार फैला हुआ है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इन्होंने महज़ प्राथमिक विद्यालय तक की पढ़ाई पूरी की, फिर चंद पैसों से फल बेचने के धंधे को गले लगाया और आज देश के सबसे सफल किसानों में से एक हैं। एक ऐसा देश जहाँ हर साल हजारों की तादात में किसान आत्महत्या करते हैं और जहाँ के युवा खेती-बाड़ी के धंधों को गिरी नजरों से देखतें हैं, उन तमाम लोगों के लिए इस किसान की कहानी एक सीख साबित होगा।

हम बात कर रहे हैं पंजाब के अबोहर निवासी सुरिंदर कुमार की सफलता के बारे में। एक गरीब परिवार में जन्में और पले-बढ़े सुरिंदर ने गांव के ही सरकारी स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद फल बेचने शुरू कर दिए। साल 1997 में किसानों या मंडी से किन्नू खरीदकर लाते और गली-गली उसे बेचा करते। कई सालों तक यह सिलसिला चलता रहा।

कुछ दिनों बाद सुरिंदर को इस फल के बिज़नेस में अपार सभावनाओं का अहसास हुआ। फिर उन्होंने बाज़ार में फल की एक स्टाल लगा ली। इसके बाद इन्होंने बिज़नेस के दायरे को बढ़ाने के बारे में सोचा लेकिन सबसे बड़ी अरचन पूंजी को लेकर थी। कुछ पैसे लोन लेकर इन्होंने पंजाब की मंदी में एक होलसेल दूकान खोल ली। उनका यह सफर चुनौती भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

कारोबार को बड़ा करने के लिए सुरिंदर के दिमाग में एक आइडिया सूझा। फिर उन्होंने पंजाब के आस-पास के शहरों की मंडियों मन किन्नू भेजने शुरू कर दिए। इनका यह आइडिया बेहद कारगर साबित हुआ और काफी मुनाफा हुआ।

शुरूआती सफलता के बाद इन्होंने विदेश में भी अपना कारोबार फैलाने की सोची। आज दुबई, बांग्लादेश, ब्राजील, यूक्रेन जैसे कई देशों में उनका कारोबार फैला हुआ है।

अपनी सफलता को लेकर सुरिंदर बतातें हैं कि वैसे तो किन्नू का सीजन केवल साढ़े तीन महीने का होता है, लेकिन उक्त कारोबार को बढ़िया तरीके से चलाने के लिए उन्होंने खुद ही करोड़ों रुपये की लागत से पैक हाउस व कोल्ड स्टोर विकसित किया।

आज सुरिंदर के पास 40-40 लाख की चार एसी ट्रक भी है। इस ट्रक का इस्तेमाल कर वह ऑफ सीजन में किन्नू दक्षिण भारत में बेचते हैं। आज सुरिंदर के फल कारोबार का सालाना टर्नओवर करोड़ों में है। इतना ही नहीं करीब 400 लोगों को रोजगार मुहैया करा सुरिंदर ने भारत जैसे कृषि प्रधान देश में अन्य किसान भाइयों के सामने मिसाल पेश की है।

हाल ही में इन्होंने कैरेट बनाने की फैक्टरी भी खोली है। ताकि फलों व अन्य सामान को बढ़िया तरीके से बाहर भेजा जा सके।

आज सुरिंदर एक सफल किसान हैं। हालांकि उनका यह सफर चुनौती भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। हर मुश्किल उन्हें मंजिल के करीब ले गई।

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