हम में से ज्यादातर लोग सफल होने के लिये अपने आस-पास और समाज में प्रचलित तरीकों को ही अपनाते हैं क्योंकि हम कुछ नया कर कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहते। बिरले ही ऐसे होते हैं जो धारा के विपरीत दिशा में तैरते हुए अपने आत्मविश्वास के बल पर कुछ ऐसा करने की सोचते हैं जो पहले कभी भी आजमाया नहीं गया हो और अपनी लगन और कुछ कर गुजरने की चाह में उसमें कामयाब भी होते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है नोएडा की रहने वाली चौबीस वर्षीया संभवी सिन्हा ने जिन्होंने अपने आउट ऑफ़ बॉक्स सोच के जरिए आज ऑनलाइन शॉपिंग की परिभाषा को बदल कर रख दिया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ वर्जीनिया से गणित और कॉमर्स में स्नातक की डिग्री लेने के बाद साल 2013 में जब संभवी भारत आयी तब उन्होंने महसूस किया कि भारतीयों को कुछ भी इलेक्ट्रॉनिक या महंगा सामान खरीदते वक़्त दिमाग में हज़ारों सवाल आते हैं जैसे “किस दुकान से लिया जाए, क्या यह महँगा तो नहीं दे रहा है, ऑनलाइन आर्डर करना अच्छा रहेगा या नहीं, अगर ऑनलाइन ख़रीदा तो ऐसा तो नहीं जो सामान खरीद रहे है वह घर आने पर वैसा न हो” आदि अनेकों दुविधाओं से जूझते हैं। इन सवालों पर विचार करते हुए संभवी के दिमाग में एक बिज़नेस आइडिया सूझा।
संभवी ने सोचा कि क्यों न एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाया जाए जिस पर सामान की बुकिंग तथा मोलभाव तो ऑनलाइन हो लेकिन उपभोक्ता उसकी खरीदारी अपनी पसंद की किसी नज़दीकी दुकान से कर ले। उनकी यह नयी सोच ऑनलाइन शॉपिंग के दायरे में आते हुए भी परम्परागत ऑनलाइन शॉपिंग से बिलकुल अलग थी।
संभवी की माने तो “उन्हें अपनी सोच पर पूरा भरोसा था लेकिन कंपनी खोली जाए या नहीं इस बात की हिचकिचाहट थी”
अपनी सोच को वास्तविकता में बदलने के लिये उन्होंने पहले कुछ महीने मार्केटिंग रिसर्च कर बिज़नेस की समझ ली और जून 2015 में अपनी कंपनी “शॉपमेट“ की स्थापना की। शॉपमेट की स्थापना के बाद उनके लिए सबसे बड़ा चैलेंज दुकानदारों के एक बड़े नेटवर्क को कंपनी से जोड़ना था। उनको समझाना था कि ऑनलाइन के इस दौर में दुकानों पर भीड़ कम हो गयी है जिसका असर उनकी कमाई पर भी पड़ रहा है, ऐसे में शॉपमेट उनकी मदद ऑनलाइन आर्डर लेकर और उसके बाद ग्राहक को दुकान पर भेज कर करेगा। और बदले में समान की बिक्री पर उनसे कमीशन लेगी जो की 2 से 3 प्रतिशत होगा। यह काम उन्होंने और उनकी टीम बखूबी किया और देखते ही देखते थोड़े समय में दिल्ली और एनसीआर के 700 दुकानदार उनकी कंपनी से जुड़ गये।
संभवी के इस मॉडल से दुकानदारों को तो फायदा हुआ ही साथ में ग्राहकों में ठगी की आशंका का डर भी चला गया। संभवी के कभी न हार मानने वाले जज़्बे ने 1 करोड़ की शुरूआती पूंजी से शुरू होने वाली कंपनी का टर्नओवर साल भर के भीतर ही 20 करोड़ का हो गया है। आज यह सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, बाइक, स्कूटर, मोबाइल, टेबलेट, लैपटॉप और डेस्कटॉप कंप्यूटर में डील करते है।

संभवी के द्वारा व्यवसाय में की गई एक नयी पहल और उसका सफल क्रियान्वन आज सभी युवा इंटरप्रन्योर्स के लिए प्रेरणा का स्रोत है। किसी भी व्यवसाय में लोग सफल हो सकते हैं, लेकिन सबसे खास बात है कि इसके लिए आपको अपने भीतर रिस्क लेने की क्षमता विकसित करनी होगी। आपके पास एक ऐसा आइडिया होना चाहिए जो यूनिक हो और उस पर आपका पूरा भरोसा हो। यदि आपके भीतर कुछ करने का जुनून हो तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
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