भारत के सबसे बड़े रेड-लाइट इलाके जीबी रोड में एक सेक्स वर्कर के घर पर जन्मे इस लड़के को अपनी छोटी सी उम्र में ही बहुत अन्याय, निर्दयता और अमानवीयता पूर्ण व्यवहार सहना पड़ा। उसे छठी कक्षा के बाद स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर किया गया और जीवन की आधारभूत ज़रूरतों से भी वह वंचित रहा। इतना सब होते हुए भी वह दूसरों से अलग था। आस-पास की समस्याओं को समझने की नायाब क़ाबिलियत और समाधान सोच पाने के हुनर के साथ यह लड़का 1000 से भी अधिक सेक्स वर्कर्स की ज़िन्दगियाँ बदल चुका है और उनकी आवाज़ बन चुका है।
19 वर्षीय अर्जुन राठौड़, अपने समुदाय की महिलाओं की समस्याओं के बारे में अच्छी तरह से वाक़िफ़ थे। वे जिन समस्याओं का सामना कर रही थीं, उनकी अनदेखी से अर्जुन बहुत ही व्याकुल और व्यथित थे। और तब उन्होंने उनकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने का निश्चय किया। उन्होंने जीबी रोड की महिलाओं की व्यथा को आवाज़ देने के लिए चाय पर चर्चा की शुरूआत की।
भले ही अर्जुन को लगातार भेदभाव झेलना पड़ा हो और छठवीं के बाद स्कूल छोड़ना पड़ा, उन्होंने कभी भी आशा नहीं खोई। उन्होंने अपनी जिंदगी के लिए एक मकसद ढूंढ लिए था और अपने समुदाय की महिलाओं के लिए कुछ करने का निश्चय किया। अंत में उन्होंने एक दिल्ली बेस्ड संस्था काट-कथा के पास जाने का निश्चय किया जो सेक्स वर्कर समुदाय को ऊपर उठाने का काम करती थी। उनकी यह पहल इस समुदाय की महिलाओं की शिक्षा, उनके अधिकारों, एकीकरण और क्षमता पर केंद्रित था।
अर्जुन इन महिलाओं की मदद करने के लिए काट-कथा में स्वयं-सेवक के रूप में काम करने लगे। उनके आधार कार्ड और राशन कार्ड्स बनवाने में मदद की और इस लोकतान्त्रिक देश के नागरिक होने के नाते उनके अधिकारों के बारे में उन्हें जागरूक करवा कर उनकी जिंदगी को बेहतर करने की कोशिश में लग गए। काट-कथा में काम करते हुए अर्जुन ने यूएन मैनिफेस्टो कैंपेन की शुरूआत की, जो एक राष्ट्र व्यापी कैंपेन है जिसकी पहल कम्युनिटी -द यूथ कलेक्टिव ने किया था।
यूएन मैनिफेस्टो कैंपेन की मदद से अर्जुन ने चाय पे चर्चा की शुरूआत की। इस प्रोजेक्ट में दूसरे बच्चों के साथ मिलकर सेक्स वर्कर के इलाके में विजिट किया जाता और उनके स्वास्थ्य और स्वच्छता की समस्या को लेकर सरकार से बातचीत के बारे में चर्चा की जाती। अधिकतर मुद्दे महिलाओं पर केंद्रित थे। महिलाओं का अपमान किया जाता और उन्हें नीची दृष्टि से देखा जाता था।
महिलाओं की समस्याओं को अब सबके सामने लाया जा रहा था। गर्भवती होने पर उन्हें सही तरीके से मेडिकल केयर नहीं मिलती थी, पुलिस के द्वारा उनके साथ बुरे तरीके से बर्ताव किया जाता था। यूएन मैनिफेस्टो कैंपेन अर्जुन के द्वारा किये गए काम में मदद कर रहा था। अर्जुन महिलाओं की मदद के लिए दिल्ली कमीशन तक पहुंच गया था और दिल्ली महिला आयोग से मदद मांग रहा था।

अर्जुन कहते हैं “अनुभवों से मुझमें नेतृत्व की क्षमता उभरी और यह भरोसा भी हुआ कि मेरी एक आवाज़ उन हजारों महिलाओं की आवाज़ बन कर उठी है जो समाज के द्वारा ऱोजाना सताई जाती हैं। ”
अर्जुन ने हमारे देश के सबसे उपेक्षित समुदाय के लिए बहुत ही उत्कृष्ट काम किया है। इसके अलावा फोटोग्राफी करना भी उनका एक जुनून है और उन्हें नेशनल जियोग्राफिक चैनल भी काफ़ी पसंद है। वर्तमान में अर्जुन जीबी रोड सेक्स वर्कर समुदाय के सचिव चुने गए हैं।
अर्जुन ने मानवता के सामने एक उदाहरण पेश किया है कि अगर कोई मानवता की सेवा करना चाहे तो कोई भी समुदाय, समाज, धर्म, कोई कानून या कोई हालात उसे रोकने में पर्याप्त नहीं हो सकते।
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