कॉलेज छोड़ घाटे में चल रहे फैमिली बिज़नेस को गले लगाया, 3 वर्षों में ही हो गया 52 करोड़ का कारोबार

यहाँ तक ​​कि सबसे अनुभवी व्यवसायी भी बहुत अधिक निवेश करने या एक बड़ा ऋण लेने से पहले हिचकिचाते हैं, खासकर एक असफल व्यवसाय के लिए। हालाँकि, जब 27 वर्षीय श्रेय बंसल का परिवार असफल व्यवसाय के कारण अपना जीवन-यापन करने के लिए संघर्ष कर रहा था, तब सिलीगुड़ी के इस युवा लड़के ने परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए कुछ कठिन निर्णय और जोखिम भरे कदम उठाने का फैसला किया। खुद पर उनके विश्वास ने न सिर्फ उनके पैतृक व्यवसाय को बचाया बल्कि केवल तीन वर्षों में ही 52 करोड़ रुपये का कारोबार के साथ सफलता के नए आयाम को स्थापित किया।

श्रेय का परिवार मूल रूप से नेपाल से ताल्लुक रखता है, हालांकि, वे बेहतर जीवन की तलाश में साल 1989 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी चले आए। हालांकि स्थान में बदलाव के साथ बहुत कुछ नहीं बदला। श्रेय के दादाजी ने कई चीजें बेचीं, जिनमें से एक काली इलायची थी, और उसके बाद, श्रेय के पिता भी व्यवसाय में एक कदम आगे बढ़ते हुए, नेपाल से इलायची आयात करने का सिलसिला शुरू किया और फिर इसे दिल्ली के कुछ व्यापारियों से साथ मिलकर विक्री किया करते थे। उन्होंने अपने कारोबार का नाम बंसल बिग ब्लैक इलायची रखा।

चूंकि श्रेय को इस पारिवारिक व्यवसाय में कोई दिलचस्पी नहीं थी और न ही इससे संबंधित जानकारी, इसलिए उन्होंने अन्य रास्ते तलाशने का फैसला किया। स्कूली शिक्षा पूरा करने के बाद, श्रे क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में बीबीएम (बैचलर ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट) करने के लिए बैंगलोर चले गए। हालाँकि, उनकी और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी इसलिए उन्हें कॉलेज छोड़ना पड़ा। फिर उन्होंने 2014 में कुछ अतिरिक्त पैसे कमाने के लिए बैंगलोर में एक छोटा सा कैफे शुरू किया, लेकिन वह भी असफल रहा। अभिनय में उनकी रुचि होने के कारण उन्होंने कई अभिनय भूमिकाओं के लिए ऑडिशन भी दिया, लेकिन वित्तीय बाधाओं के कारण वह आगे नहीं बढ़ सके।

स्थिति से निराश होकर साल 2017 में श्रेय सिलीगुड़ी वापस लौट आए और अपने पारिवारिक व्यवसाय को ही गले लगाने का फैसला किया। लेकिन कारोबार की स्थिति सही नहीं थी, किसी तरह घर चलाने के लिए कुछ पैसे की कमाई हो रही थी।

केनफ़ोलिओज़ के साथ बातचीत में श्रेय ने बताया कि जब वे छोटे थे तो उन्हें अपने आसपास क्या हो रहा था, इसकी ज्यादा परवाह नहीं थी, लेकिन जब वह 2017 में सिलीगुड़ी लौटे, तो उनका एकमात्र इरादा अपने परिवार के भाग्य को फिर से लिखना था, और इसलिए उन्होंने व्यवसाय को आगे बढ़ाने का जिम्मा उठाया।

श्रेय ने इस चीज़ के ऊपर रिसर्च शुरू किया कि वह पारिवारिक व्यवसाय को अगले स्तर तक कैसे ले जा सकते हैं। उन्होंने पाया कि इलायची का उपयोग व्यावहारिक रूप से सबसे अधिक मसालों को तैयार करने में किया जाता है जिसे लोग बंद डब्बे में खरीदते हैं। जबकि उनका परिवार केवल स्थानीय व्यापारियों को इलायची बेचता था, जो केवल थोड़ा ही खरीदते थे। श्रेय ने उन कंपनियों के साथ संपर्क स्थापित किया जो तैयार मसाले बनाते थे। उन्होंने इन कंपनियों के साथ साझेदारी कर बड़ी मात्रा में इलायची को बेच एक बड़ा मुनाफ़ा कमाया। हालांकि इन कंपनियों को मनाने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन श्रेय ने उन्हें सबसे प्रीमियम उत्पाद देने का वादा किया।

वह गर्व के साथ साझा करते हैं, “मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि मेरी इलायची उच्च गुणवत्ता वाली है। गुणवत्ता मेरे व्यवसाय का एकमात्र आदर्श है। मुझे लगता है कि यही कारण है कि मैं भारत में लगभग सभी मसाला कंपनियों से जुड़ पाया हूँ जिनका आप नाम ले सकते हैं।

वह सफलता को लेकर इतने दृढ़ थे कि उन्होंने कई रिश्तेदारों से 5 करोड़ रुपये का भारी कर्ज तक लिया। अपने लक्ष्य को साधते हुए भरपूर मेहनत की और आज देश की 18 प्रमुख मसाला बनाने वाली कंपनियों के साथ करार करते हुए 52 करोड़ रुपये का कारोबार किया।

हालाँकि यह उतना आसान नहीं था जितना प्रतीत होता है। वह मानते हैं कि ऐसे कई लोग थे जो उन्हें असफल देखना चाहते थे, खासकर वे जो व्यवसाय के विफल होने पर खुश थे। चाहे वह उनके प्रतिस्पर्धी हों या अधिकारियों द्वारा बिना किसी वैध कारण के उनकी उपज को जब्त करना, श्रेय को कई बाधाओं को पार करना पड़ा।

वह कहते हैं, “अब जब मैं सफल हो गया, तो ये लोग मेरा सम्मान करने लगे हैं।”

श्रेय मानते हैं कि धैर्य, कड़ी मेहनत और विश्वास के साथ यदि कोई खड़ा होगा तो वह सबसे बड़ी ऊंचाइयों तक पहुंचेगा। उनकी कहानी वाकई में प्रेरणा से भरी है। उन्होंने साबित कर दिखाया है कि यदि दृढ़ इच्छाशक्ति और कुछ कर गुजरने के जज़्बे के साथ लक्ष्य का पीछा किया जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। कारोबार में नवाचार ही सफलता की कुंजी है।

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