गुजरात के कई लोगों ने न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी अपनी उद्यमशीलता से सबको लोहा मनवाया है। आज यदि दुनिया के किसी भी कोने में जाए तो कम से कम एक सफल गुजराती हमें अवश्य देखने को मिलेगा। आज हम ऐसी ही एक सफल गुजराती दंपत्ति की कहानी लेकर आये हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर कारोबारी जगत में नई ऊंचाइयां छूकर दुनिया के सबसे प्रभावशाली कारोबारी की सूची में जगह बनाया। इन दम्पतियों ने अपनी कॉलेज लाइफ के दौरान ही एक आईटी कंसल्टिंग फर्म खोलने का विचार किया और वही फर्म आज दुनिया की सबसे बड़ी आईटी कंसल्टिंग कंपनी का रूप ले चुकी है।

हम बात कर रहे हैं दुनिया की सबसे अमीर दंपत्ति की सूची में शूमार करने वाली नीरजा सेठी और भारत देसाई की सफलता के बारे में। साठ के दसक में भारत का परिवार रोजगार की तलाश में गुजरात से केन्या का रुख किया था। केन्या में ही जन्में और पले-बढ़े भारत बचपन से ही पढ़ाई में मेधावी छात्र थे। स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद इन्होंने भारत की प्रतिष्ठित प्रतियोगिता परीक्षा आईआईटी को क्रैक करते हुए भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान, मुंबई से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया।
शुरू से ही अपना कारोबार शुरू करने की इच्छा रखने वाले भारत ने अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए मिशिगन यूनिवर्सिटी से वित्त में एमबीए करने का फैसला किया। यही कॉलेज में इनकी मुलाकात नीरजा सेठी से हुई, जो बाद में उनकी धर्मपत्नी और बिज़नेस पार्टनर भी बनीं। नीरजा और भारत कॉलेज के दिनों से ही आईटी से संबंधित एक कारोबार शुरू करना चाहते थे, लेकिन पैसे की कमी सबसे बड़ी बाधा थी।
सफलतापूर्वक एमबीए करने के बाद भारत ने टाटा कंसल्टेंसी के साथ काम करते हुए अपने कैरियर की शुरुआत की और यहाँ काम करते हुए उनके मन में एक बार फिर खुद की कंपनी शुरू करने की तमन्ना हुई। साल 1980 में उन्होंने 2000 डॉलर की अपनी सेविंग्स से शुरुआत कर सिंटेल नाम की एक आईटी फर्म की आधारशिला रखी। एक आउटसोर्सिंग फर्म के रूप में कंपनी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया। साल 1992 में भारत ने मुंबई में अपनी पहली शाखा खोली और फिर साल 1997 तक सिंटेल दुनिया की आईटी जगत में अपना नाम बना लिया।

आज सिंटेल की दुनिया भर में 30 से अधिक कार्यालय है जहाँ 30,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला। वर्ष 2009 में भारत सिंटेल कंपनी के अध्यक्ष बने। जबकि उनकी पत्नी नीरजा जो कि कंपनी की सह-संस्थापिका थी, वह उपाध्यक्ष बनीं।
फोर्ब्स ने उन्हें साल 2016 में दुनिया की सबसे कामयाब सेल्फ मेड दम्पति की लिस्ट में शामिल किया था। इसमें कोई शक नहीं है कि इन दम्पति ने इन्वेंशन और इनोवेशन के जरिए ऊंचाइयों को छुआ है। साल 2018 में पेरिस स्थित एटोस ने सिंटेल को 3.4 बिलियन डॉलर ( 26000 करोड़ रुपये ) में अधिग्रहण किया।
भारत देसाई जिन्होंने चंद पैसों के साथ अमेरिका में कदम रखा था, फिर पढ़ाई पूरी कर खुद की सेविंग्स से शुरुआत कर दुनिया की एक अग्रणी कंपनी का निर्माण किया। यदि भारत के सफलता पर गौर करें तो हमें यह सीखने को मिलता है कि दिल में कुछ कर गुजरने की चाह और मजबूत इरादा हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
आप अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं और पोस्ट अच्छी लगी तो शेयर अवश्य करें