कहते हैं यदि कुछ कर गुजरने का जज़्बा हो तो इस दुनिया में कठिन से कठिन कार्य भी आसानी से सफल हो जाते। बस व्यक्ति को दृढ़ संकल्पित होकर अपने लक्ष्य का पीछा करने की आवश्यकता है। हमारी आज की कहानी के नायक इस तथ्य के जीवंत उदाहरण हैं।
आज की हमारी कहानी के हीरो हैं राजा नायक। 56 वर्षीय राजा को एक ऐसे सफल उद्यमी के रूप में जाना जाता है जिन्होंने ख़ुद के दम पर शून्य से शुरुआत कर कई सफल बिज़नेस स्थापित किया। उनके सबसे बड़े कारोबार का टर्न ओवर लगभग 60 करोड़ रुपये है। राजा नायक इसके अलावा अभी कर्नाटक के कॉमर्स और उद्योग के दलित इंडियन चैम्बर के प्रेसीडेंट की भूमिका में भी सेवा दे रहे हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि राजा को एक वक़्त पर दयनीय आर्थिक हालातों से बुरी तरह जूझना पड़ा था लेकिन हार न मानते हुए उन्होंने गरीबी और संघर्ष रूपी कलम से सफलता की अनोखी कहानी लिखी।

राजा का जन्म और पालन-पोषण एक गरीब दलित परिवार में हुआ था। उन्हें गंभीर तंगी की वजह से स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। पैसों की कमी की वजह उनके माता-पिता के लिए राजा और उनके चार भाई-बहनों को स्कूल भेजना बहुत ही मुश्किल था। आखिर सत्रह वर्ष की उम्र में अपनी इस सजा जैसी जिंदगी से दूर जाने के लिए राजा घर से भाग निकले। अपने परिवार की मदद करने के उद्देश्य से नौकरी की तलाश में मुम्बई चले गए। लेकिन मुंबई जैसी शहर में जहाँ उनका कोई अपना नहीं था, ऐसे में जीवन-यापन भी आसान काम नहीं था और उन्हें वापस लौटना पड़ा।
कुछ दिनों तक घर पर रहने से राजा को लगने लगा कि जीवन-यापन के लिए जल्द ही कुछ काम शुरू करना आवश्यक है। उन्होंने तिरुप्पुर से एक्सपोर्ट-सरप्लस शर्ट्स खरीदकर बेचना शुरू किया। इससे उन्होंने 5000 रुपये का मुनाफा कमाया। बहुत सारे उतार चढ़ाव के बाद उन्होंने 1998 में एक छोटा सा लॉजिस्टिक्स का बिज़नेस शुरू किया। आज उनकी MCS लोजिस्टिक्स कंपनी इंटरनेशनल शिपिंग में डील कर रही है।
उनके कुछ दूसरे बिज़नेस भी है; जैसे जल बेवरेजेज का है जो पीने का पानी पैकेजिंग करती है। उन्होंने ब्यूटी सैलून की चेन और स्पा का शुभारम्भ किया है जिसका ब्रांड का नाम पर्पल हेज़ है। आज उनके बिज़नेस का वार्षिक टर्न-ओवर 60 करोड़ का है।
इन सबके अलावा राजा ने एक एनजीओ भी शुरू किया है जिसका नाम “कलानिकेतन एजुकेशनल सोसाइटी” है जिसके अन्तर्गत दलित और गरीब बच्चों के लिए बहुत सारे स्कूल और कॉलेज चलाये जाते हैं। उनके द्वारा किये गए कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत उन्हें कर्नाटक के कॉमर्स और इंडस्ट्रीज के दलित इंडियन चैम्बर का अध्यक्ष बनाया गया है। इसके द्वारा जो पढने में अच्छे दलित बच्चे हैं उन्हें दो साल मुफ्त में आवासीय शिक्षा दी जाती है।

एक समय था जब दलितों को आरक्षण के बावजूद पिछड़े होने की चिंता होती थी, पर राजा जैसे लोगों ने दलित वर्ग की एक नई पीढ़ी को प्रेरित किया है और उन्हें ऊपर उठाने में सहयोग दिया है।
उनकी कहानी वाकई में प्रेरणा से भरी है जो सिर्फ किसी एक वर्ग या समुदाय तक ही सीमित नहीं है। कहानी पर आप अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं और पोस्ट अच्छी लगी तो शेयर अवश्य करें।