लोगों को मजबूत लक्ष्य की शक्ति का अहसास नहीं होता है। हममें से ज्यादातर लोगों के पास मजबूत लक्ष्य का अभाव होता है, इसलिए हम जिंदगी की राह में पीछे छूट जाते हैं। आज जिस सफल उद्यमी की कहानी आपको बताने जा रहे हैं, इन्हें इन बातों का बखूबी अहसास था। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आनेवाले इस शख्स ने अपनी जिंदगी में एक साधारण सा किन्तु मजबूत लक्ष्य रखा और वह लक्ष्य था कि 35 वर्ष की उम्र के बाद इन्हें पैसे कमाने के लिए काम नहीं करना पड़े। इसी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हुए इन्होंने ग्रेजुएशन कर एमबीए की पढ़ाई पूरी करने का फैसला किया। लेकिन आर्थिक बाधाओं की वजह से इन्हें बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पढ़ी। लेकिन हार नहीं मानते हुए इन्होंने शून्य से शुरुआत कर देश की एक जानी-मानी इंटरनेट कंपनी बना डाली।
यह कहानी है ऑनलाइन मोबाइल रिचार्ज वेबसाइट फ्रीचार्ज की आधारशिला रखने वाले कुणाल शाह के बारे में। महाराष्ट्र के एक मध्यम-वर्गीय परिवार में जन्में और पले-बढ़े कुणाल ने स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद मुंबई के विल्सन कॉलेज से आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन के बाद इन्होंने एमबीए करने के लिए दाखिला लिया, किन्तु घर की आर्थिक हालात ठीक नहीं होने की वजह से पढ़ाई बीच में ही छोड़कर नौकरी करने का फैसला किया। अन्य सफल उद्यमियों की तरह; कुणाल की यात्रा भी बेहद कम उम्र में ही शुरू हुई। कुणाल पारिवारिक व्यवसाय में शामिल होने के अपने परिवार के रुझान के खिलाफ जाने का फैसला करते हुए साल 2000 में एक स्टार्टअप में जूनियर प्रोग्रामर के रूप में नौकरी करने का फैसला लिया।

इसी स्टार्टअप में काम करने के दौरान एक दिन उनकी मुलाकात संदीप टंडन से हुई। संदीप उन कंपनी में इन्वेस्टर और अमेरिका में रहा करते थे। संदीप, कुणाल के काम करने के तरीके से काफी प्रभावित हुए। संदीप ने इस युवा लड़के के भीतर मौजूद प्रतिभा को देखते हुए इन्हें बिजनेस हेड के तौर पर पदोन्नति करने का फैसला किया। कुणाल 10 साल तक इस कंपनी के साथ काम किये।
स्टार्टअप में काम करते हुए साल 2009 में कुणाल ने पैसाबैक नाम से एक वेबसाइट शुरू किया था। पैसाबैक संगठित खुदरा विक्रेताओं से ऑनलाइन खरीददारी पर नकदी वापस करने की सुविधाएं मुहैया कराती थी, जो कांसेप्ट आज कैशबैक वेबसाइट के रूप में हमारे सामने है। इस वेंचर की शुरूआती सफलता से प्रेरित होकर कुणाल ने कुछ बड़ा और अनोखा करने का फैसला किया।
साल 2010 में कुणाल ने संदीप को अपने आइडिया से अवगत कराया। संदीप को आइडिया काफी अच्छा लगा और उन्होंने कंपनी में निवेश करते हुए फ्रीचार्ज की स्थापना की। शुरुआत में फ्रीचार्ज लोगों को मोबाइल रिचार्ज और बिल पेमेंट की सुविधा मुहैया कराती थी। उस वक़्त और भी कुछ रिचार्ज वेबसाइट उपलब्ध थी इसलिए उनसे कुछ अलग करते हुए फ्रीचार्ज ग्राहकों को रिचार्ज के बदले फ्री वाउचर मुहैया कराती थी। यह कांसेप्ट बेहद कारगर साबित हुआ और फ्रीचार्ज धीरे-धीरे अग्रणी रिचार्ज पोर्टल बन गई।
धीरे-धीरे फ्रीचार्ज के कई करोड़ ग्राहक बनते चले गये और भारत की सबसे सफल स्टार्टअप में यह शूमार करने लगी। इसी दौरान अग्रणी ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल स्नैपडील ने मोबाइल मार्केट में अपनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी फ्लिपकार्ट को टक्कर देने के लिए फ्रीचार्ज को खरीदने की कोशिश शुरू कर दी। अप्रैल 2015 में स्नैपडील ने 2700 करोड़ की अनुमानित राशि में फ्रीचार्ज का अधिग्रहण कर लिया।

अधिग्रहण के बाद भी कुणाल ही फ्रीचार्ज के सीईओ नियुक्त हुए। हाल ही में फ्रीचार्ज ने अपनी वॉलेट सेवा भी प्रारंभ कर दी है। आज फ्रीचार्ज भारतीय बाज़ार में एक बड़ी टेक कंपनी के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है और यह सब संभव हो पाया कुणाल के दृढ़-निश्चय और कुछ अलग करने की कोशिश की बदौलत।
कुणाल के सफलता की कहानी अपना कारोबार खड़ा करने की चाह रखने वाले लोगों के लिए काफी प्रेरणादायक है।
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