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गाँव के साइबर कैफ़े में हैकिंग सीख यह युवा अब कर रहा है देश की सुरक्षा में सरकार की मदद

यह युवा लड़का जितनी शिद्दत से साइबर सिक्योरिटी की बातें करता है वह मन्त्र मुग्ध कर देने वाली है और जितनी भी सफलताएं उसने अबतक हासिल की है वह उसकी क़ाबिलियत साबित करने के लिए पर्याप्त है। भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में यह नाम एक बड़े नैतिक-हैकर और सिक्योरिटी एक्सपर्ट के रूप में उभर कर आया है। यह भारत-सरकार को, कानून व्यवस्था स्थापित करने वाली संस्थाओं को और बड़े निजी संस्थाओं को उनके डाटा और वेबसाइट्स को सुरक्षित करने में मदद करते हैं।

बेनिल्ड जोसफ का जन्म केरल के वायनाड में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। जब वे तीन वर्ष के थे तब पिता की किडनी ख़राब होने की वजह से उन्हें अपने पिता को खोना पड़ा। छोटे होने की वजह से वे अपनी माँ के साथ ऑफिस जाया करते थे। जब तक वे छोटे थे तब उनकी माँ उन्हें संभाल पाती थी लेकिन जब वे थोड़े बड़े हुए तो ऑफिस में बड़ा शोर मचाया करते थे। उस मोड़ पर उनकी माँ ने एक कठोर निर्णय लिया, वे उन्हें ऑफिस के पास स्थित कंप्यूटर सेंटर पर गेम खेलने के लिए कुछ घंटों के लिए छोड़ने लगीं। ऐसा सिलसिला कई सालों तक चलता रहा और बेनिल्ड ने कम्प्यूटर के साथ दोस्ती कर ली।

जब बेनिल्ड सातवीं कक्षा में थे तब उन्होंने सोशल नेटवर्किंग साइट ऑरकुट को पूरी तरीके से उघाड़ कर रख दिया और उन्होंने सोचना शुरू किया कि इसे आखिर कैसे डेवेलप किया गया होगा।

वे कहते हैं कि “तब मैंने यह जाना कि मेरी रूचि टेक्नोलॉजी, प्रोग्रामिंग और कोडिंग की तरफ विकसित हो चुका है।”

जब बेनिल्ड नवमी क्लास में पहुंचे तब उन्होंने अपना खुद का सोशल नेटवर्किंग साइट ‘बेन्जकुट’ बनाया। उनके इस कोशिश के लिए 14 वर्ष के बेनिल्ड का नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में शामिल किया गया। इसकी वजह से उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहचान मिली और वे टेक्नोलॉजी की गहराइयों में उतरते चले गए। उनका दूसरा कारनामा अपने दोस्त के ईमेल आईडी को हैक करना था। हैकिंग के बारे में और सीखने के लिए वह अपने घर से 100 किलोमीटर दूर कालीकट जाया करते थे। वहाँ उनके शिक्षक उन्हें नैतिक हैकर के महत्व को समझाते थे। तब उन्होंने अपने दोस्तों के ईमेल हैक करने के आईडिया को छोड़ दिया। बेंइल्ड अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ-साथ लगभग 13 कोर्सेज को भी उतनी ही मेहनत से करते थे और उनका काफी समय प्रैक्टिस करने में जाया करता था।

आज बेनिल्ड ने भारत सरकार की साइबर स्पेस, बहुत सारे स्टेट गवर्नमेंट और दर्जनों भर प्राइवेट कंपनी में अपनी सेवा दे रहे हैं।

“मैं लोगों से यह नहीं कहता कि मैं एक हैकर हूँ क्योंकि वे इसे गलत समझ लेते हैं। और जब मैं उन्हें अलग ढंग से बताता हूँ कि मैं एक साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट हूँ तब वे मुझसे प्रभावित हो जाते हैं।” — बेनिल्ड  

घूमने के शौक़ीन बेनिल्ड अभी बेंगलुरु में सेटल हो गए है और बहुत सारे सिक्योरिटी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं; जैसे साइबर क्राइम इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो, इंडियन इनफार्मेशन सिक्योरिटी रिसर्च आर्गेनाइजेशन, इंटरनेशनल साइबर थ्रेट टास्क फ़ोर्स और साइबर सिक्योरिटी फोरम इनिशिएटिव आदि।

बेनिल्ड ने अपने जुनून का पीछा करते हुए और अपने सामने आने वाली बाधाओं को दूर कर इस मक़ाम को हासिल किया है। वह एक स्पीकर भी है जो आईआईटी और अन्य दूसरे प्रतिष्टित संस्थाओं में जाकर स्पीच देते हैं। वे सारे साइबर सेक्युरिटी एक्सपर्ट्स को एक मंच पर लाकर देश के ई-फाइबर को अभेद्य-मज़बूती देना चाहते हैं। हैकिंग के हुनर को बेनिल्ड ने एक क़ाबिल-ए -फ़क़्र मकाम बख्शा है।

किसी ने सच ही कहा है : एक खंज़र था, कोई क़त्ल हुआ जाता था। उसी खंज़र से वो नासूर फ़ना करते हैं ll

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