दुनिया की सबसे नामी सॉफ्टवेयर कंपनियों में से एक गूगल में नौकरी पाना हर किसी की चाहत होती है। लेकिन हमारी नई पीढ़ी के कुछ युवाओं की सोच इससे भी कहीं आगे होती। आए दिन हमें ऐसी कुछ कहानियाँ पढ़ने को मिलती रहती है जहाँ युवा अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ खुद का स्टार्टअप शुरू करते हैं। इनमें से एक युवा ऐसे भी हैं जिन्होंने गूगल की नौकरी छोड़ स्वदेश लौटने का फैसला किया, और अपने स्टार्टअप से आज सफलता की बेमिसाल कहानियाँ लिख रहे हैं।
आज की हमारी कहानी है मुनाफ कपाड़िया नाम के एक सफल युवा उद्यमी की। बिज़नेस में मास्टर्स की डिग्री हासिल करने वाले मुनाफ सफल कैरियर का सपना लिए भारत छोड़ने का निश्चय किया। कई नामी कंपनियों में साक्षात्कार देने के बाद उन्हें गूगल में नौकरी लगी। बतौर बिज़नेस कंसलटेंट अच्छे पैकेज पर उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की। कुछ सालों तक यहां नौकरी करने के उन्हें अहसास हुआ कि, वह इससे बेहतर काम कर सकते हैं। इतना ही नहीं यहाँ काम करते-करते उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा और अपना स्टार्टअप शुरू करने की चाहत पैदा हुई। फिर क्या था, वो दिन-रात नए-नए बिज़नेस आइडिया के बारे में सोचते और उस पर रिसर्च करते। इसी दौरान उन्हें एक आइडिया बेहद क्रांतिकारी लगा और उस आइडिया को धरातल पर लाने के लिए वे नौकरी छोड़ भारत लौट आए।
गौरतलब है कि मुनाफ की माँ नफीसा काफी वक्त टीवी के सामने बिताया करती थीं। ऐसे में उन्होंने कई फूड शो देखे और नई-नई डिशेज बनाना सीखा। जब भी मुनाफ घर पर रहते, माँ उन्हें तमाम डिशेज बनाकर खिलाती। माँ के हाथों बने लजीज व्यंजन का लुफ्त उठाते हुए उनके मन में एक ख्याल आया। उन्होंने सोचा क्यों ना इस घर के किचन को ही एक रेस्टोरेंट में तब्दील किया जाए। अपने आइडिया को अमलीजामा पहनाने से पहले उन्होंने 20 मेहमानों को अपनी मां के हाथ का बना खाना खिलाया। लोगों से अच्छी प्रतिक्रिया मिलने के बाद मां-बेटे की जोड़ी ने शुरू किया “बोहरी किचन”।
20 मेहमानों को मुफ्त खाना खिलाकर शुरु हुआ यह स्टार्टअप आज हर दिन 30 से ज्यादा डिलीवरी करता है। रेस्टोरेंट की शान बढ़ाने के लिए मुनाफ ने बोहरी समुदाय के कुछ बेहद लजीज व्यंजन जैसे मटन समोसा, नरगिस कबाब, डब्बा गोश्त, कढ़ी चावल इत्यादि को खास तवज्जो दी। इनके द्वारा बनाया कीमा समोसा और रान को लोगों ने काफी पसंद किया। आज बोहरी किचन को खुले हुए करीब एक साल हो गया है। और इसका टर्नओवर 50 लाख तक पहुंच गया है। और मुनाफ इसे अगले कुछ सालों में मिलियन डॉलर क्लब में शामिल करने को लेकर कार्यरत हैं।
फोब्स इंडिया के अंडर 30 अचीवर्स की सूची में शुमार करने वाले मुनाफ की सफलता पर गौर करें तो हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है। पहली बात यह कि कोई भी आइडिया बड़ा या छोटा नहीं होता। गौर करने वाली बात यह है कि यदि मुनाफ सोचते कि लोग उन्हें समोसा वाला कहकर पुकारेंगें तो फिर आज वो इस मुकाम तक नहीं पहुँच पाते। उन्होंने अपने दिल की सुनी, अपने आइडिया के साथ आगे बढ़े, मेहनत की और आज उन लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं जो अपना खुद का व्यवसाय आरम्भ करना चाहते हैं।
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