हर बार जब कोई विदेश जाता है तब वह अपने परिचितों और परिवार वालों के लिए वहां से कुछ न कुछ स्मृति चिन्ह या उपहार, जैसे आकर्षक फ्रिज मैगनेट आदि लेकर आता है। परन्तु क्या हमें भारत में ऐसे आकर्षक उत्पाद देखने को मिलते हैं? नहीं। इसी कमी को पूरा करने के लिए चुम्बक का जन्म हुआ। यक़ीनन यह परिधान, संग्रहणीय वस्तु और उपहार आइटम्स का सिरमौर ब्रांड है। वास्तव में यह उपहार एक तरह का शक्तिशाली अवलोकन है और विशाल भारत के बाज़ार का एक नया उभरता हुआ बिज़नेस है और इस बिज़नेस की पहल करने का श्रेय शुभ्रा चड्डा को जाता है।
शुभ्रा और उनके पति विवेक अपने कॉर्पोरेट की नौकरी में सुकून के साथ जिंदगी बिता रहे थे। परन्तु जब यह आइडिया उनके सर चढ़ कर बोलने लगा तब उन्होंने अपने पति के साथ इस मसले पर विचार विमर्श की और वे तुरंत राजी हो गए। कुछ दिनों के खोज के बाद उन्होंने अपने आइडिया पर काम करने का निश्चय किया।

केनफ़ोलिओज़ के साथ खास बातचीत में शुभ्रा कहती हैं कि –“एक दिन मैं और मेरे पति ने बहुत सारे देशों की सैर करके खरीद कर लाए अपनी फ्रिज पर लगे सजावटी मैगनेट को देख रहे थे; अचानक मैंने महसूस किया कि इस तरह का कोई भी स्मृतिचिन्ह या उपहार ऐसा नहीं है जो भारत का प्रतिनिधित्व करे और गर्व से हम इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को उपहार में दे सकें।”
दोनों ने अपनी कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़ दी और अपना घर 45 लाख में बेच दिया। और इस पैसे से उन्होंने अपने स्टार्ट-अप की शुरूआत की। उन्होंने अपनी फर्म का नाम चुम्बक रखा। यह शुभ्रा के दिमाग की ही उपज थी कि इसे इस तरह का मजेदार और विचित्र बनाया जाए ताकि यह लोगों का ध्यान आकर्षित कर सके।
शुभ्रा का सौंदर्य बोध हमेशा से ही आले दर्ज़े का था और इसमें उनकी गहन रूचि भी थी। उनमें ऐसी क्षमता थी कि उन्होंने विवेक को भी इस बिज़नेस में खींच लिया। उनको अपने आइडिया पर इतना विश्वास था कि उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और अपना घर भी बेच दिया।
इसके पहले उन्हें बिज़नेस के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था इसलिए उन्होंने एक साल तक प्रोडक्ट रेंज, डिज़ाइन और मैनुफ़ैक्चर पर रिसर्च किया। उसके बाद पूरी तरह से संतुष्ट होकर उन्होंने 2010 में चुम्बक लांच किया। यह एक फ्रिज मैग्नेट था जो भारत की थीम पर आधारित था। सुनने में यह आसान लगता है परन्तु उनके इस रास्ते में चुनौतियाँ भी कम नहीं थीं।
अपने इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया “चुनौतियाँ अलग-अलग तरह से हमारे सामने आईं, कुछ काफी बड़ी थी, तो कुछ बहुत ही छोटी। कुछ सही वेंडर के मसले पर थी और कुछ डिज़ाइन की उत्कृष्टता पर थी। परन्तु मैं यह विश्वास करती हूँ कि अपने रवैये और दृष्टिकोण के बल पर आप इन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। बुरे दौर में भी मैंने कभी हार नहीं मानी।”

चुम्बक को कुछ वक्त लगा अपने कर्मचारी बढ़ाने में परन्तु आज उनके पास 70-75 पेशेवर कर्मचारी हैं। शुभ्रा कहती हैं कि सफलता एक दिन में नहीं मिलती, इसे बढ़ने में वक्त लगता है और खुद को साबित करना होता है। वर्तमान में, कंपनी के बेंगलुरु, चेन्नई, चंडीगढ़, दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, हैदराबाद, पुणे, कोच्चि और जयपुर सहित कई शहरों में 50 स्टोर हैं। कंपनी ने 2017-18 में 40 करोड़ का राजस्व किया, जिसमें घर की सजावट वाली चीजों का लगभग 40% योगदान था जबकि सामान और फैशन की चीजों की 6 0% की हिस्सेदारी थी।
आज, शुभ्रा और उनके पति का सपना सच होकर एक चमकता सितारा बन गया है। वे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों में ही अपने उत्पाद की संपूर्ण श्रृंखला लेकर आए हैं। वे अपने उत्पाद दुबई, यूएस और यूके में निर्यात कर रहे हैं। बैंगलोर बेस्ड यह कंपनी जल्द ही एक बड़े इंडस्ट्री का रूप ले लेगी। शुभ्रा जोखिम उठाने वालों में से नहीं है बल्कि अपनी सफलता का श्रेय वे अपनी हिम्मत और जुनून को देती हैं।
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