जूट के छोटे कारोबार से 19 हजार करोड़ की निजी संपत्ति बनाने वाले भारत के एक दिग्गज उद्योगपति

इस शख़्स ने जिस तरीके से चुपचाप कामयाबी की अनूठी मिसाल कायम की है, उसे कर पाना ज्यादातर लोगों के लिए सिर्फ सपना ही है। एक किसान परिवार में पैदा लिए इस शख़्स ने जूट के करोबार से अपने करियर की शुरुआत की और आज करोड़ों रुपये के विशाल व्यापार के कर्ता-धर्ता हैं। आपको यकीं नहीं होगा आज भारतीय उद्योग जगत के सबसे ग्लैमरस क्षेत्रों में इनकी तूती बोलती है।

ग्रांधी मल्लिकार्जुन राव आज भारतीय उद्योग जगत का एक प्रमुख चेहरा हैं और किसी परिचय के मोहताज़ नहीं। भारत की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी में से एक जीएमआर समूह की आधारशिला रखने वाले मल्लिकार्जुन का बचपन बेहद एक साधारण परिवेश में बीता। विशाखापत्तनम से 100 किमी दूर राजम नाम के एक गांव में पैदा लिए मल्लिकार्जुन का परिवार जूट के करोबार से जुड़ा था।

मल्लिकार्जुन के पिता हमेशा बच्चों को पढ़ाई पूरी कर जॉब लेने के लिए प्रेरित करते, वहीं उनकी माँ उन्हें कारोबार में ही तरक्की करते देखना चाहती थी। इन सब के बीच माध्यमिक स्कूल की परीक्षा में मल्लिकार्जुन विफल हो गए और फिर यही उनके जिंदगी में एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। परीक्षा में असफल होने के बाद उन्हें पढाई की महत्वता का पता चला और फिर वे पूरी मेहनत के साथ पढाई में लग गए।

जिंदगी में पहली बार मिली विफलता से सीख लेते हुए मल्लिकार्जुन ने कड़ी मेहनत कर स्कूल और कॉलेज दोनों जगह प्रथम आते हुए यांत्रिक अभियंता की पढाई हेतु सरकारी कॉलेज में दाखिला लिया। पढाई पूरी कर वे अपने परिवार में ग्रेजुएशन करने वाले पहले शख्स बनें। अपनी माँ का दिल रखने के लिए इन्होनें जूट के पैत्रिक धंधे को ही गले लगाया। अपने भाई के साथ मिलकर मल्लिकार्जुन ने जूट के करोबार धीरे-धीरे बड़ा बनाया।

साल 1985 में उन्होंने अपने भाई के साथ अलग होकर प्लास्टिक इंडस्ट्री में घुसने का फैसला लिया। उनके भाई जूट का करोबार देखा करते और मल्लिकार्जुन ने प्लास्टिक पाइप, चक्र रिम्स और अन्य कई छोटे उद्योगों में काम करते हुए आंध्रप्रदेश के कारोबारी जगत में अपनी पहचान बना ली।

मल्लिकार्जुन ने आंध्र प्रदेश की छोटी सी बैंक व्यासा बैंक के प्रमुख के पद पर कार्यकाल संभाला। उस वक़्त बैंक काफी छोटा था, धीरे-धीरे काम करते हुए वे बैंक में हिस्स्सेदार बन गए और फिर व्यासा बैंक को एक राष्ट्रीय बैंक के रूप में देश के सामने पेश किया। बैंकिंग जगत में एक नामी उद्योगपति के रूप अपनी जगह बनाते हुए उन्होंने जीएमआर समूह की आधारशिला रखी।

जीएमआर समूह शुरूआती दिनों में कृषि और पॉवर इंडस्ट्री में अपनी पैठ जमाई। फिर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत कंपनी ने देश की इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री में कदम रखा। आज यह समूह भारत के अलावा नेपाल, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, सिंगापुर, मालदीव और फिलीपींस सहित कई देशों में बुनियादी ढांचे के परिचालन आस्तियों और परियोजनाओं के साथ अपनी वैश्विक उपस्थिति बना ली है।

इतना ही नहीं राजीव गाँधी अंतराष्ट्रीय एअरपोर्ट, हैदराबाद और इंदिरा गाँधी अंतराष्ट्रीय एअरपोर्ट, नई दिल्ली इन दोनों हवाई अड्डों का परिचालन जीएमआर समूह के अंतर्गंत ही होता है। एक छोटे से जूट के करोबार से शुरू होकर आज यह समूह बिलियन डॉलर के क्लब में शामिल है और इन सब के पीछे मल्लिकार्जुन का कठिन परिश्रम, संघर्ष और दूरदर्शिता ही है। 19 हजार करोड़ की निजी संपत्ति के मालिक मल्लिकार्जुन रॉव की गिनती आज भारत के सबसे सफल उद्योगपति में होती है।

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