विश्व प्रसिद्ध फ्रांसीसी शासक नेपोलियन बोनापार्ट जैसे योद्धा का भी कहना था कि यदि माँ अशिक्षित है तो राष्ट्र की उन्नति संभव नहीं है। परिवार में एक स्त्री तीन रूपों में अपनी भूमिका का निर्वाह करती है। आरंभ में एक पुत्री, तत्पश्चात एक पत्नी और फिर एक माँ। एक शिक्षित नारी अपनी तीनों भूमिकाओं को अच्छी तरह समझ सकती है तथा अपने कर्तव्यों का भली-भांति निर्वहन कर सकती है।
नारी ने घर से बाहर निकलकर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों के समान अपनी सहभागिता निभाई है। साहित्य सृजन के क्षेत्र में वह महाश्वेता देवी हैं तो विज्ञान के क्षेत्र में कल्पना चावला। समाज कल्याण के क्षेत्र में वह मदर टेरेसा हैं तो राजनीति के क्षेत्र में वह स्वर्गीय श्रीमति इंदिरा गाँधी जैसी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की नेता के रूप में स्थापित।
इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए राजस्थान के भरतपुर ज़िले के छोटे से गांव कामां स्थित मेवात क्षेत्र में एक 24 साल की युवती शहनाज़ ख़ान ने नया कीर्तिमान रचा है। शहनाज़ कामां क्षेत्र की ग्राम पंचायत गढ़ाजान में हुए सरपंच के उपचुनाव में सरपंच चुनी गई हैं। गढ़ाजान पंचायत में विगत 5 मार्च को सरपंच पद पर उपचुनाव हुआ था, जिसके बाद शहनाज़ ख़ान ने चुनाव लड़ा और अपने निकटतम प्रत्याशी इशाक खान फौजी को 195 वोटों से हराया।
आपकी जानकारी के लिए बताना चाहते हैं कि शहनाज़ वर्तमान में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है और वह इसी माह के अंत में गुरुग्राम के सिविल अस्पताल में अपनी इंटर्नशिप शुरू करेंगी। शहनाज की पूरी परिवरिश शहर में ही हुई है। उनका गांव से वास्ता बहुत ही कम रहा है। अभी तक वह सिर्फ गर्मियों की छुट्टियों में ही गाँव जाया करती थी लेकिन अब गाँव की दशा और दिशा बदलने का ज़िम्मा उन्हीं के कंधे होगा।
जिले का मेवात क्षेत्र, जो आपराधिक क्षेत्र के रूप में बदनाम रहा है, जहां लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाता है, वहां एक पढ़ी-लिखी एमबीबीएस लड़की ने सरपंच पद पर निर्वाचित होकर समाज सेवा और पिछड़े लोगों का विकास करने के लिए राजनीति में अपना क़दम रखा है। शहनाज़ अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए सरपंच पद का कार्यभार संभालेंगी।
वे लड़कियों के लिए शिक्षा अभियान चलाएंगी और बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा घर-घर पहुंचाएंगी। शहनाज़ का कहना है कि उत्तरप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को शैक्षिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से पिछड़ा माना जाता है, अब इस पिछड़ेपन को दूर करना मेरा मुख्य मकसद रहेगा। सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी जरूरतों के साथ-साथ स्वच्छता, और स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में विकास करने की भी वे कार्ययोजना तैयार कर रही हैं।

अपने राजनीति में आने के फैसले पर शहनाज ने बताया कि “ मुझसे पहले मेरे दादाजी भी इसी गांव के सरपंच थे, लेकिन वर्ष 2017 में किन्ही कारणों के चलते कोर्ट ने उनका निर्वाचन खारिज कर दिया, इसके बाद गांव और परिवार में यह चर्चा शुरू हो गई कि किसे चुनाव लड़ाया जाए, इसी बीच मेरा नाम सामने आया गया।”
आज के प्रगतिशील समय में भी यह देखने में आया है कि समाज के कुछ वर्गों द्वारा अभी भी नारी शिक्षा को नजर अंदाज़ किया जाता है। ऐसे में एक रुढ़िवादी क्षेत्र से शहनाज़ खान जैसी उच्च शिक्षा प्राप्त महिला का सरकारी तंत्र में प्रवेश एक मील के पत्थर के समान है। सामाजिक व्यवस्था परिवर्तन का द्योतक यह पंचायत चुनाव का परिणाम नारी शिक्षा और सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
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