तीन दोस्त, एक साधारण आइडिया, 65 रुपये का बोतल बेच बना लिया एक विशाल साम्राज्य

गाय का दूध सर्वोत्तम आहार है इसे अमृत के समान माना गया है। गाय के दूध में कैल्शियम, आयोडीन, पोटैशियम, फैट, विटामिन बी, विटामिन डी और मिनरल्स होते हैं। इसके अलावा गाय के दूध में विटामिन ए भी होता है जो किसी अन्य पशु के दूध में नहीं होता है। इसलिए गाय के दूध को पूर्ण भोजन माना गया है मतलब यह कि कई दिन तक केवल गाय का दूध पीकर कोई भी एक दम स्वस्थ और ताकतवर बना रह सकता है। उसके शरीर में किसी आवश्यक तत्व की कमी नहीं पड़ेगी बशर्ते की वह दूध असली हो क्योंकि आज लगभग हर खाने की चीज़ो में मिलावट पाई जा रही है। यहां तक की दूध भी अब शुद्ध नहीं रह गया है।

लेकिन हरियाणा के तीन इंजीनियर पंकज नवानी, दीपक राज तुशिर और सुखविंदर सराफ ने न्यूज़ीलैंड के अनुभवी डेरी फार्मर अर्ल एस रैट्रे के सहयोग से दिल्ली एनसीआर में गाय के ताज़ा व शुद्ध दूध का व्यवसाय शुरू किया। उन्होंने बिनसर फार्म के बैनर तले 240 से ज्यादा गायों की मदद से ताज़ा दूध दिल्ली और एनसीआर के लगभग 2 हजार परिवारों को कांच की बोतलों भरकर 65 रुपए प्रति लीटर की दर से घर-घर वितरित कर रहे हैं।

बिनसर फार्म के सफर की शुरुआत वर्ष 2009 में घटी एक घटना से हुई, जब सुखविंदर, दीपक और पंकज उत्तराखंड स्थित बिनसर जिले की यात्रा के दौरान पहाड़ी से उतरते वक़्त रास्ता भूल गये और रास्ता पूछते हुए एक बकरी चराने वाले की झोपड़ी पर रुके। उस व्यक्ति ने उनका बहुत अच्छे से स्वागत किया और रात गुजरने के लिए अपनी झोपड़ी में सहारा दिया। सुबह उन्हें सही रास्ता बता कर मदद भी की। सुनने में भले ही यह विवरण सुखद अंत वाली कहनी लगे परन्तु उस बकरी चराने वाले व्यक्ति की निस्वार्थ भाव से की गयी मदद ने तीनो दोस्तों के मन में गहरा प्रभाव डाला और उसी वक्त उन्होंने फैसला किया कि वो उत्तराखंड के लोगों के लिए कुछ न कुछ करेंगे।

पहला विचार उन तीनों के दिमाग में आया कि क्यों न वह यहाँ पहाड़ों से दाल ले जाकर नीचे मैदानों में बेचे और आने वाले समय में गांव वालों के साथ मिलकर एक कोआपरेटिव संस्था बनाये जो दाल, फल और अनाज आदि की सप्लाई करेगा और इससे गाँव वालों को अच्छी कमाई का भी अवसर मिलेगा।

पंकज बताते हैं कि यह आइडिया दिमाग में आने तक हम तीनों अपनी-अपनी जॉब में थे लेकिन जॉब के साथ ही अपने देखे सपने को वास्तविकता में लाने की योजना बनानी शुरू कर दी।

वर्ष 2011 में सॉफ्टवेयर कंपनी डेल में कार्यरत पंकज अपने एक असाइनमेंट के लिए न्यूज़ीलैंड गये और वहां उन्होंने अपने काम के साथ-साथ उस देश की खेती से जुड़ी लोकल जानकारी जानने के लिए आस-पास के लोगों से बातचीत की। उसी दौरान उनकी मुलाकात Fonterra Dairy Group के फाउंडर अर्ल एस रैट्रे से हुई। बातचीत के दौरान पंकज ने उन्हें अपनी उत्तराखंड वाली घटना तथा अपने मकसद के बारे में बताया, अर्ल उनके विचारों से इस कदर प्रभावित हुए की वह उनके साथ पार्टनर और इन्वेस्टर बनने को तैयार हो गये।

अनुभवी अर्ल का साथ मिलने के बाद तीनों इंजीनियर अपनी नौकरी छोड़ एक नये उत्साह के साथ इस प्रोजेक्ट पर काम करने लगे लेकिन बिचौलियों के चलते इनका यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया। तब डेरी मैनेजमेंट के अनुभवी अर्ल के सुझाव पर उन्होंने डेरी बिज़नेस में आने का फैसला लिया और वर्ष 2012 में चारों ने बराबर की हिस्सेदारी रखते हुए बिनसर फार्म नाम की कंपनी की स्थापना की। दीपक के पिता जो कि हरियाणा के सोनीपत जिले के रहने वाले है अपनी 10 एकड़ की भूमि इस काम के लिए लीज पर दी। उन्होंने पहली गाय अक्टूबर 2012 में खरीदी और उसके बाद यह संख्या बढ़ कर 250 के पार हो गयी है। जल्द ही यहाँ 600 गायों के रहने की व्यवस्था के लिए नए शेड डाले जा रहे हैं।

पंकज की मानें तो बिनसर फार्म में क्वालटी से कोई समझौता नहीं किया जाता है और गायों का भी पूरा ख़्याल रखा जाता है। उदाहरण के लिए गायों के लिए चारे में प्रयुक्त होने वाले मक्का, घास और न्यूज़ीलैंड की fodder turnip जिसमे बहुत ज्यादा मिनरल्स होते हैं 80 एकड़ भूमि पर कंपनी की देख-रेख में उगाये जाते हैं।

आज पंकज, दीपक और सुखविंदर लोगों के लिये मिसाल बन कर उभरे हैं। पांच साल पहले एक विचार के साथ शुरू हुई परियोजना अब कारोबार का रूप ले चुकी है और अपनी सफलता से गांव के नौजवानों और किसानों को एक नया जीवन और आर्थिक समृद्धि प्रदान करने में अपना योगदान दे रही है।

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