कोविड महामारी के इस दौर में स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा ही नहीं बल्कि मुद्रा भी बन गया है। आज दुनिया ने महसूस किया कि समग्र स्वास्थ्य के लिए प्रतिरक्षा कितनी मायने रखती है। हालांकि हमारी आज की कहानी दो ऐसे उद्यमियों के बारे में है जिन्होंने एक दशक पहले ही स्वस्थ और स्वच्छ जीवन के मूल्यों को मद्देनजर रखते हुए अपने उद्यमिता के सपने की आधारशिला रखी।
राजस्थान के सतीश राघव और करण सिंह तोमर ने साल 2010 में भारत को स्वस्थ और विषाक्त मुक्त बनाने के अपने विश्वास और एकमात्र उद्देश्य के साथ न्यूट्रीऑर्ग नामक कंपनी की शुरुआत की थी। उनका कारोबारी आइडिया इतना प्रभावशाली था कि कंपनी ने कोविड महामारी के दौरान भी सफलतापूर्वक और उल्लेखनीय रूप से 10 करोड़ रुपये से भी अधिक का कारोबार किया।

महत्वपूर्ण उपलब्धियों की यात्रा एक महान योजना और एक उपयोगी उद्देश्य या लक्ष्य से शुरू होती है। गोदाम व्यवसाय के मालिक सतीश और इंजीनियर करण अपने-अपने क्षेत्रों में अच्छा कार्य कर रहे थे। सतीश के पास लगभग 80 हेक्टेयर पुश्तैनी कृषि भूमि थी, और दोनों लगातार इसका सर्वोत्तम उपयोग करने के बारे में बातचीत करते। गहरी योजना और शोध करने के बाद, साल 2014 में उन्होंने श्री रतन पाल सिंह की सलाह के साथ अपनी कंपनी की स्थापना की। भारत को स्वस्थ और रसायन मुक्त बनाने के लिए अपने दृढ़ संकल्प और समर्पण के साथ, उन्होंने अपनी कंपनी का नाम ‘न्यूट्रीऑर्ग’ रखा, जो ‘ऑर्गेनिक के साथ पोषण’ को दर्शाती है। वहां उन्होंने अपने सपने को साकार करने के लिए एक मिशन के साथ शुरुआत की – ‘स्वस्थ भारत, जैविक भारत’।
न्यूट्रीऑर्ग की शुरुआत 1 करोड़ रुपये के निवेश के साथ हुई। शुरू में कंपनी ने केवल 3-4 उत्पाद लॉन्च किए और; यह तब से लेकर आज भारत और दुनिया भर में ग्राहकों को आकर्षित करते हुए 18 देशों में अपनी ऑफ़लाइन और ऑनलाइन ई-कॉमर्स वेबसाइटों के माध्यम से 100 से अधिक उत्पादों तक विस्तारित हो गया है।
केनफ़ोलिओज़ के साथ बातचीत में करण कहते हैं, “व्यावहारिक रूप से हर दुकान जो स्वास्थ्य और कल्याण उत्पादों को बेचती है, न्यूट्रीऑर्ग उत्पादों को भी स्टॉक करती है।”
यह पूछे जाने पर कि उनकी कंपनी अन्य जैविक ब्रांडों की तुलना में क्या खास बनाती है, करण बताते हैं: “हर घटक, चाहे वह जड़ी-बूटी, फल या फसल हो, जो न्यूट्रीऑर्ग उत्पादों को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है, हमारे जैविक खेत में उगाए जाते हैं, जो सुनिश्चित करता है कि गुणवत्ता हमेशा बरकरार रहे। सब कुछ प्राकृतिक और जैविक है।”

वे अपने ग्राहकों को दी जाने वाली प्रीमियम गुणवत्ता के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं। महामारी से पहले ही न्यूट्रीऑर्ग लाखों लोगों तक अपनी पहुँच के साथ सालाना 4 करोड़ का टर्नओवर कर रहा था। लेकिन, महामारी के बाद कंपनी की बिक्री में दोगुने से अधिक की वृद्धि हुई और 2021 में कंपनी का टर्नओवर बढ़कर 10.9 करोड़ रुपये हो गया।
करण कहते हैं, “यह दुखद है कि कोरोनावायरस महामारी ने भारत और दुनिया को तबाह कर दिया है, लेकिन इसने लोगों को एक स्वस्थ जीवन शैली जीने के महत्व का एहसास कराया है। अब इम्युनिटी को बढ़ावा देने और खराब स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव के साथ, ग्राहक जैविक उत्पाद खरीदने और हमें तलाशने के लिए उत्सुक हैं; पहले हमें ग्राहकों को जागरूक करना होता था और अब ग्राहक ख़ुद जागरूक होकर हमें तलाश रहे हैं।
पहले उनके ब्रांड की मासिक ग्राहक संख्या लगभग 15,000 थी, और अब वे 2 लाख से अधिक ग्राहकों की मांग को पूरा कर रहे हैं। उनका मिशन केवल बिक्री बढ़ाना ही नहीं है बल्कि लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक और जिम्मेदार बनाना है।

न्यूट्रीऑर्ग को विकसित करने के अपने दृष्टिकोण के बारे में बात करते हुए, करण यह भी कहते हैं कि न्यूट्रीऑर्ग में, वे जितना संभव हो उतना रोजगार पैदा करने की कोशिश करते हैं, ग्रामीणों को उनके कौशल के आधार पर रोजगार देते हैं, जो कि खेतों से लेकर कंपनी के विभिन्न विभागों तक है। वे कहते हैं, ”हमने गांवों के करीब 200 परिवारों को रोजगार मुहैया कराया है। हमारा मानना है कि यह हमारी अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है, और जैसे-जैसे हम विस्तार करेंगे, हम गांवों से और लोगों को नियुक्त करना जारी रखेंगे।” साथ ही वे महिला-उन्मुख रोजगार में दृढ़ता से विश्वास रखते हैं, और उनके लगभग 80% कर्मचारी महिलाएं हैं।
कंपनी ने कई प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते हैं, जिसमें ब्लॉसम मीडिया द्वारा प्रतिष्ठित ब्रांड ऑफ द ईयर, एमएसएमई 5000 इंडियन वाड्स (गुणवत्ता में उत्कृष्टता), इंडिया फूड सेफ्टी समिट एंड अवार्ड्स 2019 (उभरती पोषण कंपनी) शामिल हैं। करण न्यूट्रीऑर्ग के सफलता का श्रेय अपनी कंपनी में काम करने वाले 120 कर्मचारियों को देते हैं।
सतीश और करण अपने प्रोडक्ट्स की बिक्री को बढ़ावा देकर आने वाले दो से चार वर्षों में 100 करोड़ का टर्नओवर करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। वे चाहते हैं कि भारत स्वस्थ हो, और इसलिए अधिक से अधिक ऐसे उत्पादों का उत्पादन करने की प्रक्रिया में हैं जो पौष्टिक और जैविक हैं, और इससे न केवल उन लोगों को लाभ होता है जो इसका उपभोग करते हैं बल्कि उगाई गई भूमि को भी लाभ मिलता है।”
उनकी कहानी वाक़ई में युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल है। ख़ासकर वैसे युवाओं के लिए जो खेती-किसानी को घाटे का सौदा समझकर नौकरी की तलाश में शहर की ओर पलायन कर रहे हैं। यदि दृढ़ संकल्पित होकर लक्ष्य का पीछा किया जाए, सफलता की किताबों में आपका भी एक अध्याय अवश्य लिखा जाएगा।
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