कितने लोग होते हैं जो अपने शौक को करियर में तब्दील कर पाते हैं? बहुत कम। शुरुआत में पायल कड़किया ने भी सभी की तरह कॉरपोरेट जगत में ही आगे बढ़ने की सोची लेकिन उनका भाग्य उन्हें कहीं और ही ले जाने की सोच रहा था। तीन साल की उम्र से ही वह भारतीय गानों पर थिरकती आ रही थीं और यही उनका मनपसंद साथी भी था। आईये जानते हैं वह एक सफल इंटरप्रेन्योर कैसे बन पायीं और कैसे कई करोड़ों का कारोबार स्थापित किया।
पायल के माता-पिता दोनों ही केमिस्ट्स थे। वे बेहतर भविष्य की तलाश में भारत से अमेरिका शिफ्ट हो गए। पायल को बचपन से ही उन्हें बॉलीवुड गानों पर नाचना अच्छा लगता था। पायल ने मेसाचुसेट्स इन्सीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से इकोनॉमिक्स और ऑपरेशन्स रिसर्च की डिग्री हासिल की। अच्छी डिग्री होने की वजह से उन्हें कंसल्टिंग फर्म में जॉब मिल गया। काम करते हुए भी उनका डांस साथ-साथ चल रहा था। फिर उन्होंने अपने डांस के ज़ुनून को तराशने के लिए साउथ एशियन डांस कंपनी खोली।

एक दिन जब वह ऑनलाइन डांस क्लास देखने के लिए सर्फिंग कर रहीं थी तब उन्हें बेहद निराशा का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्हें एक घंटे का समय देनें के बाद भी अधूरी जानकारी ही मिली। लेकिन पायल को इसी निराशा में स्टार्ट-अप की एक नई आशा दिखाई पड़ी। तब 2010 में उन्होंने क्लासिविटी की स्थापना की जो डांस और फ़िटनेस क्लास की सूचना देती थी। उन्हें बहुत सारे पेज व्यूज़ मिले पर फिर भी उनका यह स्टार्ट-अप सफल नहीं हो पाया क्योंकि लोग इस सर्विस के द्वारा बुकिंग नहीं करा रहे थे।
2012 में वह पासपोर्ट नाम से एक नया कांसेप्ट लेकर आई जिसमें एक नए स्टूडियो क्लास में 10 अवसर प्रदान किये गए। लेकिन उनकी यह कोशिश भी विफल रही। तीसरी बार पायल पूरे उत्साह के साथ वापस आई क्योंकि वह लोगों की जरूरतों और अपनी कमियों के बारे में समझ चुकीं थीं। वर्ष 2013 में उन्होंने क्लासपास नाम की एक कंपनी खोली। क्लासपास एक मेम्बरशिप प्रोग्राम है जिसके द्वारा दुनिया के लगभग सभी बड़े शहरों में इसके फिटनेस सेंटर में जाकर जिम, स्टूडियो और वर्कआउट का आनंद उठाया जा सकता है और उसकी फीस भी सिर्फ 99 डॉलर है।
पायल ने जल्द ही नौकरी छोड़ दी क्योंकि वह पूरी तरह से समर्पित होकर क्लासपास को वक्त देना चाहती थी। पायल आज 170 लोगों की टीम के साथ मिलकर लोगों को प्रेरित कर रही है कि लोगों को उन चीज़ो में वक्त देना चाहिए जिनसे उनके जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि हो सके।
क्लासपास का यह आइडिया बहुत ही हिट साबित हुआ। यह आइडिया इतना प्रभावशाली था कि न्यूयार्क टाइम्स के आर्ट सेक्शन के फ्रंट पेज में छपा, जबकि कंपनी का वेबसाइट उस वक़्त तक नहीं शुरू हुआ था। नवंबर 2015 में गूगल वेंचर्स ने इन्हें 30 मिलियन डॉलर की और दूसरे श्रोतों से इन्हें 54 मिलियन डॉलर की फंडिंग दी।

क्लासपास की 1000 से भी अधिक की क्लास लिस्टिंग है और 34 शहरों में इनकी संस्थायें है जो चार देशों में फैली हुई है। इसी वजह से क्लासपास की मेम्बरशिप फीस बढ़ाकर 190 डॉलर और नए आने वालों के लिए 200 डॉलर कर दी गई। पिछले एक साल में इनकी ऐप का उपयोग करने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है। अलग-अलग चरणों में कंपनी ने कुल 550 मिलियन डॉलर की फंडिंग उठाई है और वर्तमान में कंपनी का वैल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर के पार है।
आज अपने विकास के इन बढ़ते आंकड़ों को देखकर पायल संतुष्ट हैं। उनकी सफलता वाकई में प्रेरणा से भरी है। उन्होंने असफलता को चुनौती के रूप में स्वीकार किया और अपने आइडिया पर काम करती रही। इसका ही यह नतीजा है कि आज वह दुनिया की एक सफल उद्यमी बन चुकी हैं।
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