किसी भी बिजनेस को स्टार्ट करने के लिए पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है। कागजों पर तो बिजनेस का हर आइडिया या माॅडल बहुत आकर्षक लगता है। परंतु उसे धरातल पर लाने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में निवेशक न्यूनतम जोखिम उठाना चाहते हैं। ऐसे हालात में यदि कोई स्टार्ट अप पहले अपने को साबित करते हैं तो निवेशक के लिए भी पूंजी निवेश की राह आसान हो जाती है।

इसी नीति पर अमित जैन और अनुराग जैन ने अपने स्टार्टअप कारदेखो.काॅम की शुरुआत की। ‘कारदेखो’ की शुरुआत में उन्होंने खास रणनीति अपनाते हुए मार्केट से फंड जुगाड़ नहीं किया क्योंकि ऐसे में प्रमोटरों की इक्विटी बहुत जल्दी डायल्यूट हो जाती है। आज उनकी कंपनी 400 मिलियन डाॅलर की बन गई है। उन्होंने पहले अपना रेवेन्यू स्ट्रीम तैयार किया और फिर निवेशकों को पूंजी निवेश के लिए आमंत्रित किया। अपने प्रोजेक्ट को स्टार्ट करने के लिए उनके पास पूंजी थी लेकिन एक बड़े ब्रांड के तौर पर उसे स्थापित करने के लिए और मार्केंटिग करने के लिए निवेश को जुटाया। ‘कारदेखो’ की शुरुआत के 5 सालों के बाद 2013 में उन्हें पहला पूंजी निवेश मिला। इसके बाद कई निवेशकों ने इनकी कंपनीयों में विश्वास किया और तब से रतन टाटा, शिक्योया कैपिटल, गुगल कैपिटल, हाऊसहिल कैपिटल, टाईबोर्न कैपिटल, टाईम्स इन्टरनेट, एच.डी.एफ.सी. बैक से 80 मिलियन डाॅलर का निवेश प्राप्त किया है।
IIT दिल्ली से ग्रेज्युएट दोनों भाई अमित और अनुराग ने अलग-अलग कंपनी में काम किया। अमित ‘ट्रीलाॅजी’ में 7 वर्ष और अनुराग ने ‘साबरे हाॅलिडेज’ में 5 साल काम किया। पिता के स्वास्थ्य कारणों से दोनों भाई काम छोड़ कर वापस अपने घर जयपुर आ गये। परंतु अपने ज्वेलरी के परिवारिक व्यवसाय को छोड़ कर दोनों ने अपना नया बिजनेस करने का मन बनाया। दोनों भाइयों ने मिलकर ‘गिरनारसाॅफ्ट’ एक सूचना प्रौद्योगिकी आउटसोर्सिंग कंपनी की स्थापना की। प्रारंभ में उनका ऑफिस ही उनका बेडरुम था। काफी मेहनत मशक्कत के बाद उन्हें अपना पहला ग्राहक मिला और 50,000 की डील फाईनल हुई। हालांकि यह स्टैण्डर्ड प्राईसिंग से काफी कम था। फिर भी उन्होंने काम किया और फिर धीरे-धीरे एक ग्राहक से दूसरे ग्राहक जुड़ते चले गये। 1 अप्रैल 2007 को उन्होंने अपने लिए पहला कर्मचारी रखा और एक साल के अन्दर ही 40 सदस्यों का एक मजबूत सदस्यों का टीम बन गया। अब इनके पास इतनी जमा पूंजी हो गई थी कि एक और नई शुरुआत कर सकते थे।
कई सारे विचार विमर्श और सोच के बीच ही 2008 में में दोनो भाई दिल्ली आॅटो कार एक्सपो-2008 देखने गये और वहाँ से ‘कारदेखो’ की राह चल पड़ी। दोनो ने एक ऐसा प्लेटफार्म तैयार करने का मन बनाया जहाँ से कार खरीदना आसान हो। दोनों भाइयों ने वहाँ से सभी कारों की विवरण पुस्तिकाएं इक्कठा की और वेबसाईट ‘कारदेखो’ की शुरुआत 2008 में की। ‘कारदेखो’ मूलतः एक ऐसी वेबसाईट है, जहाँ से उपयोगकर्ता को कार के मूल्य, उसके उत्पादक, माॅडल और उसकी विशिष्टताओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसमें एक साथ चार कारों की आपसी तुलना की जा सकती है। इसके साथ ही साथ वीडियो, तस्विरों और 360 डिग्री पर अलग-अलग कोण से विस्तृत रुप से कार के आंतरिक और वाह्य आवरण को देखा जा सकता है। ‘कारदेखो’ पर यह सभी जानकारीयां कार और गाड़ियों के विशेषज्ञों द्वारा उपलब्ध कराई जाती है।
शुरुआत में अमित और अनुराग को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कार व्यवसायियों को राजी करना इतना आसान नहीं था। उस समय कार डीलर अपने परंपरागत प्रचार माध्यमों का ही इस्तेमाल किया करते थे। उन्हें डिजिटल माध्यम की क्षमताओं को समझा पाना कठिन था। परंतु जब कार डीलरों ने देखा कि ‘कारदेखो’ से जुड़ने के बाद उनके शोरुम में ग्राहकों की आवाजाही बढ़ी है तो और भी कई लोग अमित और अनुराग के इस माध्यम में जुड़ते चले गये। ‘कारदेखो’ बिना किसी शुरुआती वाह्य निवेश के एक प्रमुख कार पोर्टल बन गई। यह जैन बंधुओं की एक बहुत बड़ी सफलता साबित हुई।
‘कारदेखो’ ‘गिरनारसाॅफ्ट’ की प्राथमिक ईकाई है। इसके साथ ‘बाईकदेखो’, प्राईसदेखो’, ‘टायरदेखो’, ‘काॅलेजदेखो’ जैसी सफल ई-काॅमर्स ईकाईयों की शुरुआत जैन बंधुओं ने की। जयपुर की इस कंपनी के भारत में 7 शहरों में कार्यालय है। 2,000 कर्मचारीयों वाली इस कंपनी में प्रत्येक माह 3.5 करोड़ उपभोक्ता देखते हैं। अपनी इस कंपनी को अन्तरराष्ट्रीय स्तर देने के लिए ‘कारदेखो’ विदेशों में भी अपनी शाखाएँ शुरु की है। 2015 में ‘कारबे.माई’ की स्थापना मलेशिया और थाईलैण्ड के ग्राहकों के लिए की गई है। अमित जैन और अनुराग जैन के इस उपक्रम को डिजिटल इम्पावरमेंट फाउण्डेशन ने बिजनेस एण्ड कामर्स की श्रेणी में 2016 के लिए सबसे बेहतरीन कंपनी चुना है। अनुराग कहते हैं कि वे इस अपनी कंपनी को कार खरीदने के पूर्व और बाद की सेवाओं का पर्याय बनाना चाहते हैं।

“दुनिया आपके राय से नहीं बल्कि आपके उदाहरणों से चलती है।” अमित जैन और अनुराग जैन ने ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जिसके कौशल से सबमें विश्वास जगा और पूंजी निवेश के लिए मार्ग प्रशस्त किया। एक स्टार्ट अप को चाहिए कि वह धीरे-धीरे शुरुआत करें और अपने आय के माॅडल को वास्तविक रुप में दृढ़ बनाये। सफलता के आगे हर राह आसान होती है। अावश्यकता है धैर्य और आत्म विश्वास की।
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