यह कहानी उस व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसने भारत के चाय उद्योग में पहला ग्लोबल टी ब्रांड बनाकर क्रांति ला दी। 6 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने खेल-खेल में अपने दोस्तों के बीच उधार सेवा शुरू की थी, इस उम्र के बच्चे आपस में कैंडी से कॉमिक बुक्स आदि बदलते थे। उस छोटी उम्र में ही उनके भीतर कहीं-न-कहीं उद्यमशीलता की बीज पनप चुकी थी।
2012 में उन्होंने ऑनलाइन चाय-पत्ती बेचने का काम शुरू किया। तीन साल के कम समय में इनकी कंपनी ने 80 देशों में 3 करोड़ कप चाय वितरित किया, जिससे इनका साल का टर्नओवर कई करोड़ में हो गया।
हम बात कर रहे हैं 31 वर्षीय उद्यमी कौशल डूगर की, जिन्होंने सिंगापूर में अच्छी-ख़ासी जॉब छोड़कर अपने गृहनगर वापस लौटने का फैसला किया और यहाँ के सबसे प्रिय पेय चाय को अपना सुनहरा अवसर बनाया।

कौशल ने अपना बचपन भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य के एक छोटे से शहर में बिताया है। उन्होंने अपनी बैचलर ऑफ़ बिज़नस मैनजमेंट की शिक्षा सिंगापूर मैनेजमेंट यूनीवर्सिटी से पूरी की। बहुत समय सिंगापुर में वित्तीय विश्लेषक के पद पर रहने के उपरांत अपने घर लौटने पर उन्होंने दार्जलिंग में सिलिकॉन वैली जैसा माहौल और जुनून लाने के लिए कृतसंकल्प हो गए।
“सिलीगुड़ी वापस आने के बाद मैंने अपने बड़े भाई के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया।बड़े भाई चाय का एक्सपोर्ट बिज़नेस चलाते थे। मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि चाय के बागानों में तब भी एक बेहद ही पुराना ढांचा उपयोग में लाया जाता था और इन चुनौतियों को बदलने में मुझे बहुत बड़ा अवसर छिपा दिखाई पड़ा।”
2012 में उन्होंने टीबॉक्स नाम का एक उच्चस्तरीय टी ब्रांड स्थापित किया। इसके द्वारा चाय को सीधे ही उसके उत्पादक से ग्राहक तक पहुँचाया जाता है। भारत के चाय उद्योग में यह बदलाव आधुनिकता से ऑनलाइन स्तर पर एक क्रान्तिकारी परिवर्तन था। इसके शुरू होने के कुछ महीनों बाद ही उन्होंने सिलिकॉन वैली के सबसे बड़े ग्रुप ऐक्स्लग्रुप को सफलता पूर्वक आकर्षित किया और 1 मिलियन डॉलर (7.5 करोड़ रुपये) इकट्ठे किये ।
टीबॉक्स नामक यह ब्रांड भारत का पहला विश्व स्तरीय टी ब्रांड है, इसका उद्देश्य नई -नई तकनीक और नए तरीकों का उपयोग करके एक विशाल श्रृंखला बनाने की है, जिसके तहत विश्व के ग्राहकों को ताजे और अच्छी किस्म की चाय उसी दिन प्राप्त हो जाए, जिस दिन वे बन कर तैयार हुए हैं। कंपनी सीधे ही चाय के बागानों से चाय लेती है, ये बागान दार्जलिंग,आसाम और नीलगिरी में स्थित हैं।
चाय की पत्तियों को 48 घंटों के अंदर ही वैक्यूम पैक किया जाता है। उसके बाद चाय बनाने वाले गोदामों से सीधे ही 80 देशो के ग्राहकों को भेज दिया जाता है, केवल तीन से चार दिनों के भीतर।

कौशल का यह प्रभावशाली आइडिया न केवल बड़े निवेशकों को आकर्षित किया बल्कि बहुत सारे ग्राहक भी उनके इस काम में निवेश करने लगे। कौशल के बिज़नेस का मॉडल उतना ही ताज़ा है जितना उनकी चाय। उनका यह प्रभावशाली आइडिया कभी भी भारत जैसे देश में आज़माया नहीं गया था जो कि विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चाय उगाने वाला देश है।
अपडेट: साल 2019 में कंपनी द्वारा नवीनतम कॉर्पोरेट फाइलिंग के मुताबिक 164 मिलियन (16.4 करोड़) का टर्नओवर हुआ, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 20% की वृद्धि हुई।
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