नौकरी छोड़ अपने आइडिया से साथ बढ़े आगे, आज सालाना 10,000 करोड़ का कर रहे कारोबार

हम में से कइयों को ऐसा लगता है कि एक क्रांतिकारी सोच रातो रात सफलता के शिखर पर ले जाएगा। कइयों की ऐसी भी मनोवृति है कि अच्छा पूँजी निवेश करोड़ों के बिज़नेस बना लेने का एक निश्चित मार्ग प्रशस्त करता है। मगर जब हम वाकई में बार-बार और हर बार गहराइयों में जा कर गहन शोध करते हैं तो पाते हैं कि रातों रात करोड़ों की कंपनी बना लेने का कोई तरीका नहीं है। ऐसी ही कुछ कहानी दुनिया के सबसे बड़ी ट्रेवल पोर्टल में से एक मेक माई ट्रीप के संस्थापक दीप कारला की है।

दीप अपनी आरामदायक जिंदगी का त्याग कर स्टार्टअप की आधारशिला रखते हुए उनके पीछे एड़ी-चोटी का जोर लगाया और आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।

हैदराबाद में जन्मे दीप 1987 में संत स्टीफेन्स कॉलेज, दिल्ली से अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई करने गये और वहाँ के बाद 1992 में आई.आई.एम., अहमदाबाद से एम.बी.ए. किया। उस दौर में आम लोगों की तरह उन्होंने भी आई.टी. कंपनियों में जाने की बजाए बैंकिंग क्षेत्र में जाने का निर्णय किया। हालांकि, वे एबीएन एमरो नामक कंपनी में अपने पहले काम से काफी उत्साहित थे, जैसा की हम सब को होता है। मगर 3 वर्ष बाद उन्होंने महसूस किया कि बाकी की उम्र वे बैंकर के रुप में काम नहीं करेंगे। लिहाजा, उन्होंने इस क्षेत्र को अलविदा किया और एक वर्ष का विराम लिया ताकि वह यह समझ सकें कि वास्तव में वह क्या करना चाहते हैं।

इस अवकाश के दरम्यान उन्हें कई अच्छे वेतन वाले मार्केटिंग जाॅब के ऑफर मिले, मगर दीप ने सबसे दीवानगी वाले काम को चुना। उन्होंने एएमएफ बाउलिंग इंक नामक कंपनी को भारत में लाने का काम लिया। उस वक्त यह बहुत बड़ा जोखिम था क्योंकि 90 के उस समय के दरम्यान कोई भी बाउंलिंग की व्यूह रचना में पैसे लगाने के लिए इच्छुक नहीं थे। इसके लिए वे जगह-जगह घूमें और जगहों की नाप-जोख कर बाउलिंग श्रृंखला समूह लगवा।ई मगर प्रतियोगिता काफी कठिन थी। इसमें बहुत ही कम कमाई थी और रियल स्टेट से कमाई के मामलों में मैक डोनाल्डस जैसे बड़े वृहत कड़ियों से प्रतिस्पर्धा बिल्कुल असंभव साबित होती जा रही थी। दीप इसके लिए 4 वर्षों तक चक्कर काटे और आखिरकार उन्हें इसे छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा।

“यह उद्यमिता का एक बड़ा अनुभव था मगर एक बड़ा वित्तीय दुर्भाग्य भी था”, दीप ने कहा। कंपनियों की तलाश करते हुए उन्हें जीई कैपिटल की ओर से हेड बिज़नेस डेवलपमेंट का लाभदायक पेशकश प्राप्त हुआ। 1999 के दौर में जब एक नए पथ को खोलने की चाहत होती तो जाहिर सा जवाब था इंटरनेट। इंटरनेट स्पेस में दीप ने सभी ऊँचे भारतीय खिलाड़ियों से मिले और जीई को इंटरनेट के द्वारा विकसित किया।

उसी वक्त में उन्होंने ध्यान दिया कि इंटरनेट उद्योग जंगल की आग की फैल रहा था और कारोबार की अपार संभावनाओं के दरवाजे खोल रहा था। इसे देख उन्होंने नौकरी छोड़ दी और फिर उनके लिए पुराने दिनों वाली माथापच्ची का सत्र शुरु हुआ। उन्होंने देखा की सभी को दलाल, ऐजेंट और बिचौलियों ने पूरा घेर रखा है, आॅनलाईन ट्रैवल बुकिंग उद्योग एक आदमी के कमरे से कहीं अधिक अस्त-व्यस्त था!

अंततः ईवेंचर्स की 2 मिलियन डॉलर की पूँजी के सहयोग से और केयूर जोशी, राजेश मेगो और सचिन भाटिया जैसे सह संस्थापकों के साथ दीप ने 2000 में अपनी दिली यात्रा मेक माई ट्रिप की शुरुआत की। और तब से आज तक दीप और उनकी टीम को कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखना पड़ा।

2017 में, मेक माई ट्रिप और उसके चिर प्रतिद्वंदी आईबीबो का अधिग्रहण किया। यह विलय स्टाॅक स्थानांन्तरण के माध्यम से हुआ जो कि भारत के दो बड़े ट्रैवल बुकिंग पोर्टल के साथ आने का प्रतीक बना। भारत के ट्रैवल पोर्टल स्पेस के सबसे बड़े अधिग्रहण के रुप में इस समझौते का मूल्यांकन 1.8 से 2 बिलियन डाॅलर (लगभग 13,000 करोड़ रुपये) माना गया है।

आज मेक माई ट्रिप विकसित हो कर पिछले वित्तीय वर्ष के खाते के अनुसार 10,000 करोड़ रुपये (1.6 बिलियन डॉलर) के साथ विश्व के सबसे बड़े ट्रैवल उद्योग के बड़े सूरमाओं में से एक बन गया है।

दीप कारला ने हर बार अपने दिल की सुनी और समझने की कोशिश की और अपने लिए एक अलग ही मुकाम तय कर सफलता के नए आयाम गढ़े। युवाओं के लिए प्रेरणा बने दीप एक मजबूत और विकसित भारत के निर्माण के लिए एक प्रतीक के रुप में हैं।

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