नौकरी छोड़ 3 लाख रुपये से 13 करोड़ का टर्नओवर करने वाली दो बहनों की प्रेरक कहानी

फैंसी डिग्री जैसे इंजीनियरिंग या किसी अच्छे संस्थान से एमबीए और उच्च वेतन वाली नौकरी ज्यादातर युवाओं के लिए एक सपने के सच होने जैसा है। यह सच है कि मध्यम-वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले ज्यादातर युवाओं के लिए अच्छी पढ़ाई कर नौकरी पा लेना सफलता का सर्वोच्च मापदंड है। लेकिन समाज यह भी चाहता है कि प्रतिभाशाली लोग दूसरों के लिए अवसर बनाने में अपने कौशल और क्षमताओं का उपयोग करें, हालांकि, आज की दुनिया में, किसी के लिए एक सामाजिक उद्यम शुरू करने के लिए उच्च भुगतान वाली कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ना एक असामान्य घटना है। लेकिन, सुता नामक एक कंपनी की आधारशिला रखने वाली तान्या और सुजाता की जोड़ी ने इस असामान्य से कार्य को कर दिखाया है।

तान्या और सुजाता दोनों सगी बहनें हैं। उनका पालन-पोषण एक सामान्य भारतीय परिवार में हुआ। उनके पिता रेलवे पुलिस में काम करते थे और इसी वजह से उनका स्थानांतरण होता रहता था। दोनों बहनों ने अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और क्रमशः सामान्य प्रबंधन और वित्त में एमबीए पूरा किया। सफलतापूर्वक पढ़ाई पूरी होने के बाद तान्या का प्लेसमेंट आईबीएम में हुआ जबकि सुजाता ने एस्सार स्टील के साथ अपने करियर की शुरुआत की। उनकी शैक्षिक उपलब्धियों ने उन्हें उच्च भुगतान वाली नौकरी प्राप्त करने में मदद की और नौकरी ने उन्हें शानदार जीवनशैली दी। बहनें खुश थीं फिर भी दोनों इस बात पर सहमत थीं कि यह सिर्फ शुरुआत है लेकिन अंतिम विकल्प नहीं है। उन दोनों के भीतर उद्यमशीलता की बीज पनप रही थी और वह समाज के लिए कुछ करना चाहती थी।

वर्ष 2016 में उन्होंने सख़्त निर्णय लिया और अपनी कंपनी शुरू करने के लिए नौकरी को अलविदा कह दिया। साड़ी पहने परिवार में बुजुर्ग महिलाओं को देखकर बचपन से ही साड़ियों के प्रति लड़कियों का आकर्षण उन्हें स्टार्टअप की योजना बनाने में मदद की। दोनों ने जल्द ही राष्ट्र भर में भारतीय बुनकरों द्वारा बनाई गई हथकरघा साड़ियों से संबंधित व्यापार शुरू करने का निश्चय किया। हालाँकि, यह आसान नहीं था क्योंकि लोगों के बीच साड़ी पहनने का क्रेज कम हो रहा था। तमाम चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने अपने विचार के साथ बढ़ने का निश्चय किया क्योंकि इससे गरीब बुनकरों को सीधा फायदा मिलने वाला था।

कुछ शुरुआती शोध करने पर, उन्हें एहसास हुआ कि साड़ी उपयोगकर्ताओं की संख्या कम हो रही थी, लेकिन सोच-समझकर बनाई गई साड़ियां सभी उम्रों की महिलाओं के लिए एक स्टाइल स्टेटमेंट के रूप में उभर रही थीं। रचनात्मकता को अपनी सफलता का हथियार बना तान्या और सुजाता ने ब्रांड सुता को लोगों के समाने पेश करने की योजना पर कार्य शुरू किया। लेकिन 3 लाख रुपये की छोटी पूंजी और उन दोनों सहित तीन की एक टीम के साथ, प्रसिद्ध ब्रांडों को टक्कर देना भी मुश्किल था। रचनात्मकता कंपनी के पास थी, लेकिन प्रसिद्ध मॉडलों से प्रचार करवाना काफी महँगा था। इस संकट को हल करने के लिए, बहन अपने ब्रांड के लिए खुद ही मॉडल बन गई और प्रचार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया।

केवल चार वर्षों में, तान्या और सुजाता द्वारा संचालित सुता एक ज्ञात ब्रांड के रूप में उभरा। 3 लाख की छोटी पूंजी और 2 बुनकरों के साथ शुरू हुई कंपनी आज पश्चिम बंगाल में 1500 से अधिक बुनकरों और दो हथकरघा इकाइयों वाली एक बड़ी कंपनी बन गई है। वर्ष 2019 में, सुता ने 13 करोड़ का राजस्व किया। लेकिन इन सब से ऊपर सबसे ख़ास बात यह है कि, यह स्टार्टअप बड़ी संख्या में बुनकरों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने और बिचौलियों से बचकर बेहतर जीवनयापन करने में मदद कर रहा है।

तान्या और सुजाता ने अपनी अच्छी-खासी कॉर्पोरेट नौकरी को अलविदा कर आज जिस मुक़ाम पर खड़ी हैं, वहाँ पहुँचना हममें से ज्यादातर लोगों का सपना होगा। उनकी कहानी से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है। जिंदगी में कुछ बड़ा करने के लिए आपको जोख़िम उठाने की हिम्मत पैदा करनी होगी और फिर सही वक़्त पर सही निर्णय के साथ आप भी सफलता का एक शानदार साम्राज्य बना सकते हैं।

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