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परंपरागत कारोबार को छोड़ अपनी पसंद के साथ बढ़े आगे, आज 2,000 करोड़ का कर रहे टर्न-ओवर

हममें से कई के दिलों में कुछ कर गुजरने का जुनून होता है। कुछ लोग भाग्यशाली होते हैं जिन्हे अपने सपनों को जीने का मौका मिलता है परन्तु कुछ लोगों को इसे पाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसी ही कहानी हर्षवर्धन नेओटिआ की है। उन्हें रियल एस्टेट से प्यार था। परन्तु उनके पिता चाहते थे कि वे उनके सीमेंट के कारोबार को आगे बढ़ाएं। यह उनके लिए कठिन था परन्तु अंत में उन्होंने वही किया जो उनके मन ने कहा।

कोलकाता के एक मारवाड़ी परिवार में जन्में हर्षवर्धन ने अपनी शिक्षा सेंट ज़ेवियर कॉलेज कोलकाता और हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल से पूरी की। वे आर्टिस्ट्स परिवार से थे। उनके चाचा एक कला-इतिहासकार थे और उनका परिवार अनामिका कला संगम के कल्चरल सेण्टर से जुड़ा हुआ था। बचपन में वे अपने बगीचे में वॉटरफॉल के साथ रॉक गार्डन बनाया करते थे।

वे कहते हैं कि “मुझे यह तो पता नहीं था की यह होता क्या है लेकिन बचपन में आर्ट, आर्किटेक्चर और लैंडस्केपिंग ने मेरे जीवन पर गहरी छाप छोड़ी है। कोई आश्चर्य नहीं हुआ जब मेरे पिता ने मुझे अपना पारिवारिक बिज़नेस सँभालने को कहा। मैंने चुपचाप बगावत कर दी।” वे बताते हैं कि उनका रियल एस्टेट में आना आकस्मिक और मुश्किल था।

“मैंने 1982 में अपना कॉलेज पूरा किया और तब पारिवारिक सीमेंट बिज़नेस ज्वाइन करने के लिए विचार चल ही रहा था। एक दिन मैंने अपने पिता के दोस्त को अपना घर बेच कर मुंबई शिफ्ट होने की बात कहते हुए सुनी। वे चाहते थे कि उनकी प्रॉपर्टी को दोबारा विकसित किया जाये। मेरे पास न तो पैसे थे और न ही रियल एस्टेट का अनुभव परन्तु मेरे अंदर से आवाज आई कि इस काम में कूद पड़ो, और मैंने यह पेशकश की कि यह घर मैं बनाऊंगा। दो साल के भीतर मैंने अपना काम पूरा  दिया और यही मेरा पहला अनुभव रहा। मेरे पिता चाहते थे कि मैं उनके सीमेंट के बिज़नेस में साथ दूँ पर यह मेरे लिए मुश्किल था” — हर्षवर्धन

पिछले तीन दशकों में हर्ष ने अपना बिज़नेस अलग तरह से फैला लिया है उन्होंने मॉल जैसे कोलकाता का सिटी सेण्टर और आइकोनिक स्वभूमि का निर्माण किया। उन्होंने बहुत सारे हॉस्पिटल, स्कूल, ईस्टर्न इंडिया लैंडमार्क ऑफिस कम्प्लेक्सेस, हाउसिंग सोसाइटीज और टाउन शिप्स भी बनाये हैं। उन्होंने दो फाइव स्टार प्रॉपर्टी रेचक गंगा नदी के किनारे भी बनाई है; पहला फाइव स्टार फोर्ट रेचक और दूसरा रिसोर्ट गंगा कुटीर।

वह पैसे बनाने की बात पर बड़े दार्शनिक ढंग से कहते हैं “मैंने काम करते वक्त कभी पैसे पर फोकस नहीं किया सिर्फ काम पर ही ध्यान देता था। काम अच्छा हुआ तो पैसे खुद ब खुद आते गए।” बिज़नेस परिवार में जन्म लेने के बावजूद उनका झुकाव हमेशा से आर्ट वर्क की तरफ था। उन्हें किताबें पढ़ने, अपने खुद के प्रोजेक्ट में लैंडस्केप बनाने, बागवानी और संगीत का भी शौक है।

उन्हें टेनिस खेलना पसंद है। वे अपने दोस्तों के साथ टेनिस खेलने का समय निकाल ही लेते हैं। उन्हें क्रिकेट भी काफी पसंद है। जब वे रिलैक्स होना चाहते हैं तब वे अपने रीडिंग रूम में चले जाते हैं और शांति से किताबें पढ़ते हैं। सन्डे को वे अपने परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताते हैं। उन्हें फ़िल्में देखना भी पसंद है और वे कभी फिल्म प्रोडूयस करना भी चाहते हैं।

आज उनके बिज़नेस का टर्न -ओवर 2000 करोड़ का है। वे अपनी कंपनी अम्बुजा-नेओटिआ ग्रुप के चेयर मैन हैं और उन्हें 1999 में पद्म श्री सम्मान से सम्मनित किया गया है। उन्होंने अपने फैमिली बिज़नेस से अलग हटकर काम किया और उन्होंने खुद और दूसरों के लिए यह सिद्ध कर दिया कि कोई भी काम असंभव नहीं होता अगर आप में उसके लिए जुनून हो। उनके दृढ़ निश्चय ने उन्हें कठिन समय में मदद की और एक सफल बिज़नेस खड़ा करने का साहस दिया।


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