पहला व्यवसाय विफ़ल रहा, फिर भी युवा दंपति ने हार नहीं मानी, आज हैं एक सफल स्टार्टअप के मालिक

अनुभवों से सीखना और फिर भविष्य की जरूरतों को देखते हुए उसमें निवेश करना सफलता पाने के लिए सबसे अच्छा मॉडल हो सकता है और इसे साबित कर दिखाया है कोलकाता के उद्यमी दंपति यश और अहाना अग्रवाल ने।व्यावसायिक परिवारों से ताल्लुक रखने वाली इस महत्वाकांक्षी जोड़ी उद्यमी बनने के अपने पेशेवर लक्ष्य के प्रति हमेशा से सजग थी। प्रयोग के तौर पर शुरू हुआ उनका पहला व्यवसाय विफल रहा, लेकिन फिर भी इस जोड़ी ने हार नहीं मानी और अपने अभिनव फैशन स्टार्टअप “हुईडी” के बैनर तले सफलता की कहानी लिखी।

हुईडी भारत का पहला विशेष रूप से ‘टाई-डाई’ फैशन ब्रांड है जो यश और उनकी पत्नी अहाना अग्रवाल की रचनात्मकता का परिणाम है। गौरतलब है कि फैशन के क्षेत्र में उन दोनों की दिलचस्पी ने उन्हें व्यवसाय के मोर्चे पर भी एक सफल भागीदार बनाया। खरीदारों की वरीयताओं के बारे में उनकी समझ ने उन्हें कपड़ों और सामानों में ‘टाई-डाई’ तकनीक इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो उपभोक्ताओं के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हुआ। आपकी जानकारी के लिए बताना चाहते हैं कि कपड़े पर एक सुंदर पैटर्न बनाने के लिए रंगों को मिलाने की कला ही टाई और डाई कहलाती है।

अपने पहले व्यवसाय में विफल होने के बाद, उन्होंने अपना दूसरा व्यावसायिक उपक्रम “हुईडी” लॉन्च किया। उन्होंने सबसे पहले एक वेबसाइट लॉन्च की और शुरुआत में आपमे घर पर ही कपड़ों को डाई करना शुरू किया। फिर उन्होंने अपने उत्पादों के साथ-साथ ऑनलाइन अभियानों के माध्यम से अपने उत्पादों को बढ़ावा देना शुरू कर दिया। उनके अनूठे उत्पाद रेंज में कोर्ड सेट, मोजे, टोपी, तौलिये, हेडबैंड्स (सभी टाई-डाईड) को खरीदारों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली और यहीं से ब्रांड ने अपनी विकास-यात्रा शुरू की।

उनका ब्रांड फैशन उत्पादों की एक विशाल रेंज को ग्राहकों के सामने पेश किया है जो युवाओं के दृष्टिकोण को मद्देनजर रखते हुए अपनी विशिष्टता को सुनिश्चित किया है। वाजिब कीमत पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद के ज़रिए ब्रांड अपनी एक अलग पहचान बनाने की दिशा में अग्रसर है। हाल ही में अपने उत्पाद रेंज को बढ़ाने के लिए कंपनी ने स्टार कन्वर्स शूज़ भी लांच किए हैं।

वर्तमान में यह स्टार्टअप अमेजन, मेंसएक्सपी, एलबीबी जैसी ई-कॉमर्स साइटों के माध्यम से प्रति माह लगभग 500 उत्पाद बेच रही है, लेकिन मुख्य रूप से अपनी वेबसाइट के माध्यम से। दंपति ने यह भी सुनिश्चित किया है कि उनकी सोर्सिंग पूरी तरह से भारतीय विक्रेताओं से की जाए और वे अपने ब्रांड को पूरी तरह से “मेड इन इंडिया” की अवधारणा को बनाए रखें।

उनकी कहानी वाकई में प्रेरणादायक है। उन्होंने पहली असफलता के बाद भी हार नहीं माना और अपने लक्ष्य को लेकर दृढ़-संकल्पित रहे। आज उनकी सफलता युवा पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन चुकी है।

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