पिता की मौत के बाद माँ ने मजदूरी कर पढ़ाया, पहले प्रयास में ही IAS बनकर साकार किया माँ का सपना

सच ही कहा गया है कि यदि लक्ष्य प्राप्ति को लेकर दृढ़ता और अपनों का साथ हो तो फिर मंजिल को पाने की राह में आने वाली तमाम बाधाएं खुद-बखुद अपना रास्ता मोड़ लेगी। हमारी आज की कहानी कुछ ऐसी है जहाँ गरीबी और अभावों को मात देकर एक बेटे ने न सिर्फ देश की सबसे कठिन परीक्षा में बाज़ी मारी बल्कि अपनी माँ के त्याग और तपस्या को भी अपनी सफलता से सम्मानित किया है।

राजस्थान के अरविंद कुमार मीणा ने यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा 2019 में सफलता का परचम लहराकर उन तमाम लोगों के सामने एक मिसाल पेश की जो संघर्षों के तले दबकर अपने सपनों का त्याग कर देते। एक बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले अरविंद जब 12 साल के थे, तभी सिर से पिता का साया उठ गया। पूरे परिवार के लिए पिता ही आय का एकमात्र सहारा थे। अब उनके निधन के बाद घर की सारी जिम्मेदारी उनके माँ के कंधे पर आ गयी।

दो जून की रोटी के लिए संघर्ष करते हुए उनकी माँ ने हमेशा उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। उनकी माँ नहीं चाहती थी कि जो संघर्ष उन्होंने झेला है, वह उनके बच्चे भी झेले। वह बखूबी समझती थी कि शिक्षा ही एकमात्र सहारा है जो गरीबी के दलदल से बाहर निकाल सकता है। उन्होंने अपने परिवार को बीपीएल श्रेणी में पंजीयन कराया ताकि कुछ आर्थिक सहायता मिल सके। साथ ही उन्होंने मजदूरी करना भी शुरू कर दिया। एक छोटे से मिट्टी के बने कच्चे घर में अरविंद ने जिंदगी से अपनी जद्दोजहद को जारी रखा। संघर्षों के बीच उन्होंने स्कूल और कॉलेज स्तर की पढ़ाई पूरी की।

माँ को संघर्ष करते देख मुझे कई बार पढ़ाई छोड़ने का मन किया, लेकिन माँ ने हिम्मत बंधाई। वह चाहती थी कि मैं आईएएस बनूँ

कॉलेज स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद अरविंद ने सरकारी प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में जुट गए। अब उनका एकमात्र लक्ष्य था, नौकरी हासिल कर गरीबी से बाहर निकलना। साथ ही वह आईएएस बनने के अपनी माँ के सपनों को भी पूरा करना चाहते थे। उनकी मेहनत कामयाब हुई और उनका चयन सशस्त्र सीमा बल में सहायक कमांडेंट के पद पर हुआ। नौकरी के बावजूद भी उन्होंने प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी को जारी रखा। उन्होंने नौकरी से वक़्त निकाल यूपीएससी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी।

4 अगस्त 2020 को जब यूपीएससी का रिजल्ट जारी हुआ तो उन्होंने 676वीं रैंक और एसटी वर्ग में 12वीं रैंक हासिल कर सफलता का ताज अपने नाम किया।

अरविंद की कहानी वाकई में प्रेरणा से भरी है। उनके सामने सपनों का त्याग करने के लिए बाधाएं हर मोड़ पर बैठी थी लेकिन उनकी दृढ़ता ने कभी उन्हें हार मानने नहीं दिया। और आज वह हमारे सामने प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में खड़े हैं।

आप अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं और पोस्ट अच्छी लगी तो शेयर अवश्य करें

उन्होंने CA और UPSC जैसे चमकदार करियर को छोड़ शुरू किया बिजनेस, आज है 80 करोड़ का टर्नओवर

गाँव के हिंदी मीडियम स्कूल से निकलकर UPSC में टॉप करने वाली प्रतिभा का सक्सेस मंत्र