पिता चाहते थे बेटा कुली बने, लेकिन बेटे की सोच इतनी बड़ी थी कि बना लिया 200 करोड़ का साम्राज्य

अपनी लगन और मेहनत के बल पर एक गरीब कुली के बेटे ने ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया, जिसकी चर्चा हर तरफ है। शुरुआती असफलताओं के बावजूद इस शख्स ने हार ना मानते हुए अपनी नाकामयाबी को ही खुद के प्रेरणा का श्रोत बना, सफलता की यह प्रेरणादायक कहानी लिख डाली।

केरल के पीसी मुस्तफा छठी कक्षा में भले ही फेल हो गए, लेकिन जिंदगी की परीक्षा में उन्होंने बाज़ी मार ली।

केरल के वयनाड गांव के एक गरीब अनपढ़ कुली परिवार से ताल्लुकात रखने वाले मुस्तफा के जीवन में संघर्ष तब दस्तक दी, जब वो छठी कक्षा की परीक्षा में फेल हो गए। पिता चाहते थे कि वह भी उनकी ही तरह बगीचे में कुली का काम करे। लेकिन, कुछ कर गुजरने की ललक ने उन्हें फेल होने के बाद भी पढ़ाई से नाता नहीं तोड़ने दिया। तमाम संघर्षों और अभावों के बीच उन्होंने अपनी कठिन मेहनत जारी रखी। फिर कुछ सालों बाद उन्होंने कालिकट के नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (एनआईटी) के इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला लेने में सफल रहे। सफलतापूर्वक पढाई ख़त्म करने के बाद उनकी पहली नौकरी मोबाइल बनाने वाली कंपनी मोटोरोला में हुई। कंपनी ने उन्हें एक प्रोजेक्ट के उद्देश से लंदन भेज दिया।

कुछ दिनों तक काम करने के बाद मुस्तफा सिटीबैंक नाम की कंपनी ज्वाइन किये। बैंक के प्रौद्योगिकी विभाग में काम करते हुए उन्होंने सात साल रियाद और दुबई में बिताए। फिर आगे की पढाई और वतन वापसी की चाह ने उन्हें नौकरी छोड़ स्वदेश लौटने को मज़बूर कर दिया। भारत की प्रतिष्ठित संस्थान आईआईएम बेंगलुरु में उन्होंने एमबीए हेतु दाखिला लिया। इसी बीच वीकेंड के दौरान मुस्तफा अपने भाई की एक किराना दूकान पर कुछ वक़्त जाया करते। यहां उन्होंने देखा कि महिलाएं इडली और डोसा के लिए बैटर खरीदकर ले जाती थीं।

मुस्तफा ने दूसरे की कंपनी में नौकरी करने की बजाय, खुद के ही एक पैकेजिंग फ़ूड की कंपनी खोलने पर विचार करने लगे। पहले की नौकरियों से बचाए 14 लाख रुपए से उन्होंने नए कारोबार की नींव रखी। अपने रिश्ते के भाइयों की मदद से उन्होंने घोल को तैयार करके पैक करने वाली कुछ मशीनों को ख़रीदा और “आईडी फ्रेश” नाम की एक ब्रांड बनायीं।

शुरुआती सफलताओं के बाद हर भारतीय घरों तक बिल्कुल स्वच्छ और अच्छी तरह से पैक किया गया घोल पहुंचाने के उनके लक्ष्य को और मज़बूती मिली। उन्होंने प्रारंभ से ही उत्पादों की पैकेजिंग और गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया। लोगों ने प्रोडक्ट्स में अच्छी दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी और धीरे-धीरे इनके प्रोडक्ट्स हर भारतीयों के घर पर दस्तक देने लगी।

सफलता का अनुमान इससे लगाया जा सकता की आज सिर्फ बेंगलुरु में “आईडी फ्रेश” के 65 हजार खुदरा स्टोर हैं जिनमें से करीब 12 हजार के पास रेफ्रीजरेशन की भी सुविधा उपलब्ध है। आज कंपनी की वैल्यूएशन 200 करोड़ रूपये की है। कारोबार का विस्तार करने के उद्देश से आईडी फ्रेश घोल के अलावा मालाबार परांठा और विभिन्न किस्मों की चटनियों का निर्माण भी शुरू की जो बहुत ही कम समय में दक्षिण भारत के हर घर में एक जाना-माना नाम बन गया। हाल ही में मुस्तफा कुछ ऑनलाइन पोर्टलों से भी करार कर अपने प्रोडक्ट्स को पूरे भारत में पहुँचाने के लिए कार्यरत हैं।

मुस्तफा की सफलता खाद्य उत्पादों के क्षेत्र में काफी कम समय में एक मजबूत और टिकाऊ उद्यम के रूप में स्थापित ब्रांडों में से एक अनुकरणीय उदाहरण है।

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