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प्रेरणादायक: वेटर से IAS ऑफ़िसर बनने तक का सफ़र तय करने वाले जयगणेश की कहानी

कहते हैं अगर आप अपनी पहली कोशिश में कामयाब नहीं होते हो तो तब तक कोशिश करनी चाहिए जब तक आप सफलता प्राप्त नहीं कर लेते। यह सीख हमें आईएएस अधिकारी के. जयगणेश से लेनी चाहिए। जयगणेश ने अद्वितीय दृढता और लगन से अपनी कोशिश जारी रखी और अंततः अपने सपनों को हासिल कर के ही दम लिया।

शुरुआत में 29 वर्षीय जयगणेश सत्यम सिनेमा में टिकट देने का काम करते थे। उस समय उनकी तनख्वाह मात्र 3000 रुपये थी। पर जल्दी ही उन्हें लगने लगा कि यह 10 से 8 वाली नौकरी उनका बहुत समय ले लेती है और उन्होंने यह नौकरी छोड़कर थियेटर के पास ही एक छोटे से होटल में वेटर की नौकरी कर ली। इस नौकरी से उन्हें सिविल सर्विसेस की तैयारी करने के लिए कुछ घंटे ज्यादा मिलने लगे।

जयगणेश ने भारतीय सिविल सर्विस की परीक्षा में 156वां स्थान प्राप्त किया किन्तु ऐसा करने के पहले उन्हें पूरे छह बार असफलता का कड़वा स्वाद चखना पड़ा। अपनी हर मुश्किल से उन्होंने बहुत से तजुर्बे हासिल किये और अपनी हर असफलता को सफलता के रास्ते के लिए मील का पत्थर माना।

जयगणेश बेहद गरीब परिवार से आते हैं। तमिलनाडु के उत्तरीय अम्बर के पास स्थित एक छोटे से गांव में उनका जन्म हुआ। उन्होंने अपनी स्नातक की शिक्षा मेकेनिकल इंजिनियरिंग से तांथी पेरियार इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से किया, जो गवर्नमेंट द्वारा संचालित था। घर में सबसे बड़े होने की वजह से उन्हें पारिवारिक परिस्थितियों को सही करने हेतु नौकरी की तलाश में चेन्नई जाना पड़ा। हालांकि उनका सपना आईएएस बनने का था, इसलिए उन्होंने काम के साथ-साथ पढाई भी जारी रखी।

नए शहर में जीवन उनके लिए कतई आसान नहीं था। एक ओर जहाँ उन्हें अपने घर से किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिलती थी और साथ ही उन्हें इस मेट्रो सिटी में अपनी जीवन को बनाये रखने के लिए कई तरह के छोटे मोटे काम करने पड़ रहे थे। पर फिर भी वे कभी हार नहीं माने। सफ़लता की यह कहानी उन लोगो के लिए एक मिसाल है, जो हालातों से हार मानकर अपने लक्ष्य से समझौता कर लेते हैं।

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