देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी अर्थात संघ लोक सेवा आयोग ने एक लम्बे इंतज़ार के बाद साल 2019 के परिणाम घोषित कर दिए। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गरीबी और अभावों को मात देकर कई छात्रों ने सफलता हासिल की। इसी कड़ी में एक नाम है प्रदीप सिंह का। ऑल इंडिया रैंक में 26वां स्थान हासिल करने वाले इस युवक की कहानी प्रेरणा से भरी है।
बिहार के गोपालगंज जिले के रहने वाले प्रदीप वर्तमान में आईआरएस अफसर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 22 साल की उम्र में उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में सफलता प्राप्त कर ली थी। साल 2018 में उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 93 हासिल की थी। उनके पिता पेट्रोल पंप पर काम करते हैं और घर की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि वह दिल्ली पहुंचकर कोचिंग क्लासेज कर सकें। जब पिता को बेटे की चाहत के बारे में पता चला तो उन्होंने अपना घर बेचने का फैसला कर लिया।

प्रतीप साल 2017 में जून के महीने में दिल्ली आए थे, जहां उन्होंने वाजीराव कोचिंग ज्वॉइन की। कठिन वक़्त के संघषों को याद करते हुए वह कहते हैं कि दयनीय आर्थिक स्थितियों के बावजूद उनके माता-पिता ने यह सब उनकी पढ़ाई के बीच में कभी नहीं आने दिया।
मेरे घर में पैसों की काफी दिक्कतें थीं, लेकिन मेरे माता- पिता का जज्बा मुझसे कहीं ज्यादा ऊपर था।
माता-पिता के संघर्ष ने उन्हें अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए और मजबूती प्रदान की। जब उन्हें घर बेचने के बारे में मालूम चला तो उनका मेहनत करने का जज्बा दोगुना हो गया। उन्होंने प्रण किया कि पिता के इस त्याग को वह कभी व्यर्थ नहीं होने देंगे। और उनका एकमात्र लक्ष्य यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करना रहा।
न्यूज एंजेंसी ANI से बातचीत में प्रदीप के पिता ने कहा था कि “मैं इंदौर में एक पेट्रोल पंप पर काम करता हूं। मैं हमेशा अपने बच्चों को शिक्षित करना चाहता था ताकि वे जीवन में अच्छा कर सकें। प्रदीप ने बताया कि वह यूपीएससी की परीक्षा देना चाहते हैं, मेरे पास पैसे की कमी थी। ऐसे में मैंने अपने बेटे की पढ़ाई की खातिर अपना घर बेच दिया। उस दौरान मेरे परिवार को काफी संघर्ष करना पड़ा था। लेकिन आज मैं बेटे की सफलता से खुश हूं।

जब प्रतीप की यूपीएससी की मेंस परीक्षा चल रही थी, उस दौरान उनकी मां बीमार पड़ गयी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन परिवारवालों ने उन्हें इसकी भनक तक न लगने दी। आज प्रतीप अपनी सफलता का श्रेय मेहनत के साथ-साथ अपने परिवार वालों त्याग को भी देते हैं।
उनकी मेहनत और संघर्ष कामयाब रही। साल 2018 में यूपीएससी के परिणाम आए तो उनकी कामयाबी का साक्षी कर कोई था। अपने पहले प्रयास में 93वां रैंक हासिल करने के बावजूद भी वह और अच्छे रैंक के लिए एक बार फिर साल 2019 में परीक्षा में बैठे। और इस बार उन्हें 26वां रैंक हासिल हुआ है।
उन्होंने अपनी सफलता से साबित कर दिखाया है कि यदि कठिन मेहनत और अपनों का साथ मिले तो इस दुनिया में कठिन-से-कठिन मंजिल भी फतह की जा सकती है।
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