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पढ़ाई छोड़ आम की खेती को गले लगाया, आज एक ही पेड़ से उगा रहे 300 किस्मों के आम

पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिये जरूरी नहीं की आप खूब पढ़े-लिखे ही हों या आपको भगवान ने कुछ अलग बनाया हो। एक अलग सोच के जरिये भी आप भीड़ में खास बन सकते हैं। बस जरूरत हैं तो उस कुम्हार जैसे जज़्बे की, जो एक साधारण सी मिट्टी को भी आकार देकर उसकी पहचान और महत्व को ही बदल देता है। आम खाना तो आप सब को पसंद होगा। पर आज हम जिस शख्स की बात करने जा रहे हैं उसने इसी आम के कारण पूरे विश्व में एक ख़ास पहचान बनाई है।

इनका नाम है हाज़ी कलीमुल्ला खान। कलीमुल्ला उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के निकट मलिहाबाद के रहने वाले हैं। 80 वर्षीय कलीमुल्ला एक आम उत्पादक हैं और अपने करीब 5 एकड़ में फैले बागान में आम की खेती करते हैं। आपको मालूम होगा की मलिहाबाद अपनी दशहरी आम में लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं। और कलीमुल्ला इसी मशहूर दशहरी आम के बहुत मशहूर उत्पादक है। मशहूर इतने हैं कि लोग उन्हें “मैंगो मैन” के नाम से जानते हैं।

कलीमुल्ला के पिता एक आम उत्पादक थे और बचपन से ही कलीमुल्ला नें आम की खेती को बेहद करीब से देखा था। कलीमुल्ला ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाये और उन्होंने मात्र 7वीं तक की ही पढाई की। पढाई में कलीमुल्ला की बहुत अधिक रूचि भी नहीं थी उन्हें तो आम के पेड़ों के बीच ही मन लगता था। जल्द ही वे भी अपने पिता के साथ आम की खेती में लग गए। कलीमुल्लाह खान 1957 से आम की बागवानी से जुड़ गए थे। उन्होंने ग्राफ्टिंग (कलम विधि) तकनीक के बारे में जाना और उसमें वे अलग-अलग प्रयोग करते रहते थे।

जल्द ही कलीमुल्ला कलम विधि द्वारा अलग अलग नस्ल के आम पैदा करने लगे। ये आम देखने में आकर्षक होने के अलावा खानें में भी अधिक स्वादिष्ट थे। उनके नए नस्लों की खोज का सिलसिला यूँ ही चलता रहा और देखते ही देखते उन्होंने दर्जनों किस्म के आमों के नस्ल की पैदावार की। कलीमुल्ला के नर्सरी में एक ऐसा पेड़ है जो की बहुत अनोखा और असाधारण है। कलीमुल्ला नें कलमें बांध कर एक ही पेड़ में 300 से ज्यादा किस्म के आम पैदा किये हुए हैं। यह एक विश्व रिकॉर्ड है।

कलीमुल्ला खान का अपने आम के नस्लों के नाम रखने का तरीका भी अनोखा है। वे अपने आमों को किसी नामचीन व चर्चित हस्तियों का नाम देते हैं। वे अपने आमों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी, अमिताभ बच्चन, सानिया मिर्ज़ा, सचिन तेंदुलकर और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का नाम दे चुके हैं। कलीमुल्ला को उनके इस विशेष हुनर के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से नवाजा जा चूका है और उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा उन्हें उद्यान पंडित का खिताब भी मिल चुका है।

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