कौन कहता है गाँव में रोजगार के साधन नहीं हैं? इस धारणा को पूरी तरह से खत्म कर दिखाया है नई पीढ़ी के कुछ युवाओं ने। आए दिन हमें तरह-तरह की कहानियाँ पढ़ने को मिलती रहती है, जहाँ लोग शानदार शहरी जीवन का त्याग कर गाँव की ओर रुख करते हैं और प्राकृतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल कर अपना खुद का कारोबार शुरू कर लेते। इन्हीं लोगों में एक और नाम जुड़ गया है और वह है श्वेता तोमर। श्वेता उसी उत्तराखंड से ताल्लुक रखती हैं, जहाँ रोजगार की तलाश में हर महीने हजारों लोगों का पलायन शहर की ओर होता है।
फैशन डिजाइनिंग में शानदार करियर छोड़ गाँव में बकरी पालन शुरू करने की बात की जाय तो कोई विश्वास नहीं करेगा। लेकिन लोगों के मन की इस धारणा को खत्म कर दिया उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के एक गांव रानीपोखरी में जन्मी श्वेता ने। श्वेता के पिता का हमेशा से यह सपना था कि गाँव में उनका कोई कारोबार हो जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिल सके। हालांकि उनके पिता कारोबार स्थापित करने में असफल रहे लेकिन बेटी के जेहन में पिता के सपने को पूरा करने की ललक हमेशा थी।

श्वेता को फैशन डिजाइनिंग में काफी रुची थी। विज्ञान में स्नातक और उसके बाद निफ्ट से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद उन्होंने नोएडा और दिल्ली में कुछ साल फैशन इंडस्ट्री में काम किया। डिजाइनिंग का काम करने के दौरान ही उनका मिस चंडीगढ़ के लिए भी सेलेक्शन हुआ। लेकिन शादी के बाद उन्होंने बेंगलुरु का रुख किया और वहीं अपने पति की सहायता से बुटीक चलाना शुरू कर दिया। इससे उन्हें हर महीने अच्छी खासी इनकम हासिल हो जाती थी। लेकिन वह हमेशा अपने पिता की ख्वाहिश पूरी करने के लिए गांव जाना चाहती थीं। अचानक एक दिन श्वेता के मन में गाँव में फार्म शुरू करने का आइडिया आया और उसने अपने पति से इसे साझा किया।
श्वेता बताती हैं कि जब मैंने पति से इस आइडिया को शेयर किया तो उन्हें भी बेहद पसंद आया और फिर हमने गाँव लौटने का निश्चय किया।
गाँव पहुँच कर उन्होंने अपनी सारी जमापूंजी का इस्तेमाल करते हुए रानीपोखरी में बकरी पालन शुरू किया। कारोबार की शुरुआत बड़े स्तर पर करने के लिए उन्होंने बैंक से लोन भी ली। उन्होंने ‘प्रेम एग्रो’ नामक एक कंपनी की स्थापना की और तकनीक का इस्तेमाल करते हुए आधुनिक सुविधाओं से लैस फार्म का निर्माण किया। फार्म में बकरी पालन के लिए बना प्लेटफार्म और वहां लगे उच्च तकनीक के सीसीटीवी कैमरे से पूरी निगरानी की जाती है।
आज श्वेता की फार्म में 400 से ज्यादा बकरियां हैं। उन्होंने डेयरी का बिजनेस भी इससे जोड़ रखा है। इतना ही नहीं अब वो मुर्गी और गौ पालन की दिशा में भी कदम उठाई हैं। वर्तमान में उन्हें सालाना 3 से 4 लाख तक की आमदनी हो रही है।

आज श्वेता एक सफल किसान हैं लेकिन इस पायदान तक पहुँचना उनके लिए आसान नहीं था। सबसे पहले तो फैशन डिजाइनिंग में शानदार कैरियर को अलविदा करना उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था। और जब उन्होंने गाँव में फ़ार्म की शुरुआत की तो कई लोगों ने उन्हें इस कारोबार के बंद हो जाने की बात कही। लेकिन इन सब के बावजूद उन्होंने कभी हौसला नहीं खोया और अपना काम करती रही।
गाँव से युवाओं का पलायन रोकने के लिए श्वेता ट्रेनिंग प्रोग्राम भी आयोजित करती हैं। इस प्रोग्राम में कोई भी व्यक्ति जाकर बकरी पालन से लेकर डेयरी और मुर्गी पालन समेत अन्य चीजों के बारे में जानकारी हासिल कर सकता है। इसके अलावा रोजगार के और अवसर मुहैया कराने के उद्येश्य से श्वेता अपने कारोबार का विस्तार अन्य शहरों में करने को लेकर भी कार्यरत है।
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