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बहन की खराब सेहत से मिला स्टार्टअप आइडिया, कॉलेज छोड़ बनाई कंपनी, 10 वर्ष के भीतर ही बन गये अरबपति

हर इंसान को सपने देखना चाहिए और उसे पूरा करने के लिए जी जान से कोशिश करनी चाहिये और तब तक करते रहनी चाहिये जब तक आप सफल न हो जाए। इस कथन पर विश्वास रखने वाले भारतीय अमरीकी ऋषि शाह आज अरबों की कंपनी के मालिक हैं। ऋषि शुरू से एक आंत्रप्रन्योर बनना चाहते थे और उसे पूरा करने के लिए 10 साल पहले 2006 में अपनी पढ़ाई छोड़ कर अपनी दोस्त श्रद्धा अग्रवाल के साथ मिलकर शिकागो में हेल्थ केयर टेक कंपनी ‘आउटकम हेल्थ‘ की स्थापना की। तब इसकी लागत 600 मिलियन डॉलर (करीब 3856 करोड़ रुपये) आई थी और अब इसका वैल्युएशन 5.6 बिलियन डॉलर (करीब 35,990 करोड़ रुपये) पर पहुंच चुका है।

शाह के पिता एक डॉक्टर हैं जो भारत से अमेरिका जा बसे। शाह शिकागो के उपनगरीय इलाके ओक ब्रूक में पले-बढ़े। उन्हें डॉक्टरों के दफ्तरों में कॉन्टेंट मुहैया करानेवाली कंपनी का शुरुआती विचार बहन की बीमारी से प्ररेणा ले कर आया। शाह कहते हैं कि, ‘मेरी बहन को टाइप 1 डायबिटीज है। वह अपने ब्लड शुगर को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने के लिये इंसुलिन पम्प का इस्तेमाल करती है, जिससे वह अपना ब्लड शुगर की जांच ज्यादा प्रभावी तरीके से कर पाती है। उनके आइडिया का फायदा आज डिवाइस बनानेवाले, इंसुलिन बनानेवाले, ब्लड ग्लूकोमीटर, डॉक्टर सबों को मिला है, लेकिन सबसे ज्यादा फायदे में हैं मरीज। ऋषि शुरू से ही आंत्रप्रन्योर बनना चाहते थे और बहन की बीमारी ने उन्हें मेडिकल इनफार्मेशन की दिशा में कुछ रचनात्मक प्रयास करने का मार्ग प्रशस्त किया।

शाह ने बतौर ट्रांसफर स्टूडेंट नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की, जहां वह श्रद्धा अग्रवाल नाम की एक महिला से मिले जो आज उनकी कंपनी की प्रेजिडेंट हैं। दरअसल, एक कैंपस मैगजीन के लिए काम करते हुए दोनों ने साल 2006 में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए कॉन्टेक्स्टमीडिया नाम की एक कंपनी की नींव रखी। कंपनी बिना किसी बाहरी निवेश के फिजिशियनों और अस्पतालों को वीडिओ मॉनिटर सर्विसेज बेचने लगी। अगले 10 सालों में कंपनी का विस्तार तेज़ी से होने लगा और बड़े-बड़े निवेशकों की नज़र इन पर पड़ने लगी। किन्तु शाह और अग्रवाल ने मालिकाना हक़ खुद के पास  रखने का निर्णय लिया। दोनों ने ही सारे ऑफर्स ठुकरा दिए फिर कंपनी को जब पहली बड़ी फंडिंग मिलने वाली थी तो इन्होने कंपनी का नाम बदल कर “आउटकम हेल्थ” रख दिया।

आउटकम हेल्थ का उद्देश्य टेक्नोलॉजी के द्वारा डॉक्टर्स और मरीजों को किसी भी बीमारी अथवा मेडिकल कंडीशन के बारे में नई से नई और ज्यादा से ज्यादा जानकारी देना तथा आगे वह उपचार के लिए किस दिशा में जाएं जैसी जानकारियां विडिओ के द्वारा, टेबलेट्स डिवाइस पर और डॉक्टर्स के वेटिंग रूम में लगी स्क्रीन पर देकर बतायी जाती है। आज आउटकम हेल्थ लगभग 40 हज़ार से ज्यादा स्वास्थ्य सम्बन्धी विषयों में अपना योगदान दे रही है और अमेरिका में कार्य कर रहे लगभग 20 प्रतिशत डॉक्टर्स के ऑफिस में अपनी जगह बना चुकी है। अब तक इस के साथ 2 लाख 30 हज़ार हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स जुड़ चुके हैं और करीब 585 मिलियन लोग हर साल इनकी सेवाओं का लाभ लेते है।

आज “आउटकम हेल्थ” एक नई यूनिकॉर्न कंपनी है, जिसे इसी वर्ष जुलाई माह में एक बिलियन डॉलर (करीब 64.26 अरब रुपये) मूल्य की करीब 200 कंपनियों की सूची में टॉप 30वां स्थान हासिल हुआ है।

कंपनी को पिछले साल तक 13 करोड़ डॉलर से ज्यादा का रेवेन्यू मिला और इनका ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन लगभग 40 फीसदी रही। शाह चाहते हैं कि भविष्य में उनकी कंपनी “आउटकम हेल्थ” के द्वारा दी जाने वाली जानकारियां दुनिया के हर डॉक्टर के क्लिनिक में उपस्थित हो और उन्हें यह विश्वास है कि वर्ष 2020 तक यह संभव हो जाएगा। आज ऋषि सिर्फ 31 साल की उम्र में न सिर्फ एक सफल बिजनेसमैन है बल्कि लाखों करोड़ों युवाओं के लिए रोल मॉडल भी। सच में ऋषि ने एक असंभव से दिखने वाले काम को अपनी लगन व मेहनत से बड़ा ही सहज बना दिया है।


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