यह कहानी एक ऐसे भारतीय ब्रांड की सफ़लता को लेकर है जिसका इतिहास भारत की स्वतंत्रता से भी अधिक पुराना है। करीबन 79 साल पहले राजस्थान के बीकानेर में एक छोटी सी दुकान में इस ब्रांड का जन्म हुआ और आज इस ब्रांड के बैनर तले बनने वाली प्रोडक्ट्स का पूरी दुनिया में बोलबाला है। 3,500 करोड़ से भी अधिक के सालाना टर्नओवर के साथ यह भारतीय ब्रांड आज दुनिया के कई बड़े खाद्य-ब्रांड को अन्तर्रष्ट्रीय बाज़ार में टक्कर दे रही है।
साल 1937 की बात है, जब गंगाविषण जी अग्रवाल ने बीकानेर में एक छोटा सी नाश्ते की दूकान खोली। दरअसल उस दुकान के माध्यम से उनके पिता तनसुख दास भुजिया के कारोबार में कदम रखना चाहते थे। गंगाविषण जी की मेहनत की बदौलत वह दुकान भुजियावाले के नाम से अपनी पहचान बनाने में सफल हुआ। बाद में दुकान का नाम हल्दीराम कर दिया गया, जो गंगाविषण जी का ही अन्य नाम था।

और आज यही भुजियावाला हमारे बीच हल्दीराम के रूप में तरह-तरह के खाद्य-पदार्थों से रु-बरु करा रहा है। यह जानना वाकई दिलचस्प है कि कैसे एक छोटे से भुजिया की दुकान से हल्दीराम ने 50 से ज्यादा देशों का सफ़र तय किया।
भुजियावाले के रूप में प्रसिद्धी पाने के बाद इन्होनें साल 1982 में अपने कारोबार का विस्तार करने के उद्येश्य से दिल्ली में हल्दीराम के बैनर तले एक दूकान खोली। इसके दस साल बाद ही कंपनी अमेरिका के लिए अपने बनाए उत्पाद का निर्यात करनी शुरू कर दी। आज, हल्दीराम 100 से अधिक उत्पादों के साथ दुनिया भर के 50 देशों में अपनी उपस्थिति बना चुका है।
हालांकि नमकीन और मिठाई की इस दिग्गज कंपनी को साल 2015 में एक झटका का सामना करना पड़ा जब अमेरिका ने इसके उत्पादों को कीटनाशकों निहित हवाला देते हुए आयात से इनकार कर दिया था। इन सबों के बावजूद हल्दीराम सिर्फ एक नैशनल ब्रांड नहीं बल्कि एक अंतराष्ट्रीय ब्रांड बनने में कामयाब रहा। आज इसका बिजनेस तीन अलग-अलग भौगोलिक आधार वाली इकाइयों में बंटा हुआ है।

साल 2013-14 में नॉर्थ इंडिया का कारोबार देखने वाली हल्दीराम मैन्युफैक्चरिंग का रेवेन्यू 2,100 करोड़ रुपये रहा। वेस्ट और साउथ इंडिया में कारोबार करने वाली हल्दीराम फूड्स की एनुअल सेल्स 1,225 करोड़ रुपये रही और पूर्वी भारत में कारोबार करने वाली हल्दीराम भुजियावाला ने 210 करोड़ रुपये रेवेन्यू हासिल किया है।
हल्दीराम की प्रसिद्धी का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि आज कंपनी को अपने ग्राहकों की मांग को पूरा करने के सलाना 3.8 अरब लीटर दूध, 80 करोड़ किलोग्राम मक्खन, 62 लाख किलोग्राम आलू और 60 लाख किलोग्राम शुद्ध देशी घी का खपत करती है।
बीकानेर में एक छोटी दुकान के साथ शुरुआत करने वाले अग्रवाल परिवार के अलग होने के बावजूद यह ब्रांड जिंदा बना रहा। और इसके पीछे ब्रांड की गुणवत्ता और इनके करोड़ों ग्राहकों का प्यार और भरोसा ही है।
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