‘चाय’ एक ऐसा शब्द जिसे सुनते ही कानों में मिश्री घुल जाती है। चाय की बात ही निराली है। हमारे चाय प्रधान देश में ‘चाय’ राजनीति से लेकर तमाम तरह के कार्यक्रमों का मुख्य हिस्सा रही है। बनते-बनते ही अदरक और चायपत्ती की खुशबू दिमाग की बंद नसें खोल देती हैं। अब भारत की चाय की खुशबू और स्वाद देश-दुनिया की गलियों तक पहुँच चुकी है। इसके स्वाद का दीवाना अब अमेरिका भी बन गया है।
भारतीय चाय के स्वाद से प्रेरित होकर अमेरिका में ‘भक्ति चाय’ नाम से एक चाय की दुकान आजकल सुर्खियाँ बटोर रही है। इतना ही नहीं चाय के इस कारोबार ने अब तक करीब 228 करोड़ रुपये की कमाई भी की है। चाय पिलाकर सफलता की अनोखी कहानी लिखने वाली इस महिला का नाम है ब्रूक एड्डी।

देखा जाए तो भारत की 90 फीसदी जनता चाय पीती है। इस कारण यहां हर मोड़ पर, हर गली में, हर चौराहे पर चाय की दुकान मिल जाएगी। सड़क पर मिलने वाली ज़्यादातर चाय की दुकानें, किसी न किसी मजबूरी में खुली होती हैं।
ब्रुक की करोड़ों की कमाई देनेवाली चाय दुकान की कहानी थोड़ी अलग मगर बहुत ही प्रेरणादायक है। उन्हें भारत घूमने के दौरान चाय का चस्का ऐसा लगा कि वे उसे अमेरिका में जाकर भी भुला नहीं पाई। वे अपने शहर के कई लोकल कैफे में चाय पीने गयी, लेकिन उन्हें भारत जैसे चाय का स्वाद कहीं नहीं मिला।
िर क्या था! उन्होंने फैसला किया कि वह खुद ऐसी चाय बनाएगी जिसका स्वाद बिल्कुल भारत में बने चाय जैसा होगा। इसके बाद उन्होंने साल 2007 में अमेरिका में चाय का कारोबार भी शुरू कर दिया। एक इंटरव्यू में ब्रूक ने बताया कि शुरुआत में उन्हें चाय बनाने को लेकर थोड़ी दिक्कत जरूर हुई, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने भारतीय चाय बनानी सीख ली।
साल 20022002 में ब्रुक ने सामाजिक बदलाव से जुड़े स्वाध्याय आंदोलन पर ‘एनपीआर की स्टोरी’ सुनकर यहां का रुख किया था। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “स्वाध्याय मुझे बहुत ही शांतिपूर्ण गतिविधि प्रतीत हुई। 2 करोड़ लोग इसमें हिस्सा ले रहे थे लेकिन किसी ने इसके बारे में सुना नहीं था”।
अपने रिसर्च के दौरान एडी ने पश्चिमी भारत के गांवों की खाक छानी। उस दौरान उन्होंने पाया कि विचारों और धर्म के आधार पर भले ही भारत के लोगों में मतभेद चलता हो, लेकिन एक कप चाय इन लोगों को फिर से एक कर देती है। जल्द ही वे अलग-अलग जगहों की चाय और उसके सुगंध की मुरीद बन गईं। चाय के प्रति उनका यह झुकाव उन्हें चाय विशेषज्ञ बना दिया। दो जगहों की चाय के सुगंध को सेकंडों में समझकर अलग कर देती हैं। अपनी इस समझ के आधार पर उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि दो जगहों की चाय भी अलग-अलग होती है।
बोल्डर, कोलोराडो लौटने के बाद उन्होंने अपनी कार के पिछले हिस्से में मैसॉन जार रखकर इसकी बिक्री शुरू की। उनकी चाय की ख़ासियत सिर्फ स्थानीयता ही नहीं बल्कि चाय की कीमत के रूप में उनकी दुकान सिर्फ आपसे लागत लेती है। यानी उनका बिज़नेस मंत्र है- बगैर प्रॉफिट कमाए बिज़नेस का विस्तार करना।
“मुझे अनुभव हुआ कि मेरे अपने लिए तैयार किया गया नुस्खा ‘अदरक की चाय’ कैफे और खुदरा विक्रेताओं के लिए न केवल लोगों को एक कप में भारत दर्शाने के लिए तैयार किया जा सकता है, बल्कि ‘भक्ति’ से प्रेरितों के लिए मिशन-संचालित कंपनी बनाने के लिए भी किया जा सकता है”
खास बात यह भी है कि अपनी इस नायाब पहल के लिए उन्होंने एंजेल इन्वेस्टर्स और प्राइवेट इक्विटी फर्म्स से कुल मिलाकर एक करोड़ डॉलर यानी लगभग 65 करोड़ रुपए जुटाए। उनकी चाय के सभी सामान अमेरिका के बाहर से आते हैं। उदाहरण के लिए, वे 3 लाख पाउंड ऑर्गेनिक अदरख पेरू से मंगवाती हैं।
अपने इस अभियान में ब्रुक ने बिजनेस और भक्ति में खूबसूरत संयोग स्थापित किया है। भक्ति चाय ने 2015 में गीता नाम से सामाजिक बदलाव की पहल की। इसके तहत बेघर लोगों को भोजन देने से लेकर लाखों लोगों को साफ पानी उपलब्ध कराने जैसे कार्यों के लिए उनकी संस्था अनुदान देती है।
सिर्फ चाय बेचकर ब्रुक एड्डी ने अमेरिका में पिछले 11 सालों में करीब 228 करोड़ रुपये की कमाई की है। ‘भक्ति चाय’ को अमेरिका में खूब पसंद किया जाता है। वहां के लोग चुस्की के साथ ब्रुक की चाय का आनंद लेते हैं। इसका कारोबार इस साल करीब 45 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। वर्तमान में उनके साथ 26 कर्मचारी काम करते हैं।

इतने पैसे कमाने के बाद भी भारत के लिए ब्रुक के प्यार में कोई कमी नहीं आई। उनका कहना है, ‘मैं एक व्हाइट गर्ल हूं और अमेरिका के कोलोराडो में पैदा हुई हूं। मेरे मन में भारत के लिए कुछ होना नहीं चाहिए, लेकिन मेरे मन में प्यार है। मुझे वहां के लोगों की विभिन्नता बहुत अच्छी लगी। मैं जब भी वहां जाती हूँ मुझे कुछ ना कुछ नया देखने को मिलता है।’
इंसान खुद की बेहतर पहचान तभी बना पाता है जब वह वही काम करता है जिसमें मन लगे। नहीं तो तमाम चीज़ों के साथ आप समझौता करने पर मज़बूर हो जाता है। कुछ लोग अपनी ज़िंदगी को बेहतर के बनाने के लिए धारा के विपरीत जाते हैं और सफ़लता के झंडे भी गाड़ देते हैं। ब्रुक एड्डी ने अपनी अभिरुचि को पहचान कर कार्य शुरु किया और आज सफलता के ऊच्चतम पायदान पर हैं और वैसे लोगों के लिए प्रेरणा हैं जो किसी काम का छोटा बड़ा समझते हैं।
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