बड़ी उपलब्धियां अक्सर लगातार उठाये गए छोटे-छोटे डगों का परिणाम होती है जिसे लोग देख नहीं पाते हैं। आज की कहानी उस व्यक्ति के इर्द गिर्द घूमती है जिन्होंने अपनों को खो देने के बाद सामाजिक उपकार के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया। प्रताप चंद्र रेड्डी, जो अपोलो हॉस्पिटल के संस्थापक हैं, की कहानी को आम लोग कम ही जानते हैं। उनकी यह कहानी समाज के किसी विशेष वर्ग के लिए नहीं बल्कि मानवता लिए प्रेरणा स्रोत है।
इस 84 वर्षीय भारतीय कार्डियोलॉजिस्ट और एक सफल मानवतावादी उद्यमी के यात्रा की शुरूआत युवावस्था में हुई। इनका जन्म आंध्र प्रदेश के अरगोड़ा में हुआ। उनकी मेडिकल डिग्री स्टैनली मेडिकल कॉलेज चेन्नई से हुई है। उन्होंने अपना पहला हॉस्पिटल चेन्नई में खोला जो 150 बिस्तर वाला हॉस्पिटल था। उनकी यह शुरूआत भले ही छोटी थी परन्तु उनके सपने बेहद विशाल थे।

प्रताप का स्वास्थ्य सेवा उद्योग में योगदान क्रान्तिकारी रहा है। उन्होंने भारत जैसे देश में, जहाँ गरीबी की दर बहुत ही ज्यादा है, सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवा प्रदान की और स्वयं-प्रेरित होकर इन्होंने हॉस्पिटल की एक श्रृंखला खोलने की शुरूआत की।
प्रताप रेड्डी ने अपनी इंटरप्रेन्योर यात्रा की शुरूआत 1970 में यूनाइटेड स्टेट से लौटने के बाद की। उन्होंने अपने पिता राघव रेड्डी को ब्रेन हैमरेज की वजह से खो दिया। वे अपनी माता को भी नहीं बचा पाए जिन्हें सर्वाइकल कैंसर था और न ही वे अपने सबसे करीबी दोस्त को बचा पाए जिनकी मौत हार्ट अटैक से हो गई थी। इन सभी घटनाओं से उद्वेलित होकर उन्होंने अपोलो नाम से हॉस्पिटल की श्रृंखला खोली। अपोलो एक ग्रीक देवता हैं जिन्हें दवा, ज्ञान, कला और कविता के लिए माना जाता है। उन्हें लगता है कि अगर उनके बिछड़े आत्मीयों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की जाती तो उन सभी को बचाया जा सकता था।
डॉ प्रताप अपने हेल्थ केयर के एंटरप्रेन्योर स्किल के लिए प्रसिद्ध हैं और अपने कर्मचारियों और मरीजों के लगातार संपर्क में रहते हैं। उनकी चार लड़कियां हैं और वे सब हॉस्पिटल की श्रृंखला में अपना यथोचित योगदान दे रहे हैं। उन्होंने अपनी चारों बेटियों को हेल्थ केयर के क्षेत्र में महारत हासिल करा कर महिला सशक्तिकरण का अप्रतिम उदाहरण पेश किया है। उनकी एक बेटी प्रीता अपोलो हॉस्पिटल की चेयर पर्सन है तथा सुनीता, संगीता और शोभना बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में हैं।
इस कार्डियोलॉजिस्ट ने अपोलो हॉस्पिटल को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया है। यह पहला हॉस्पिटल है जिसे अमेरिकन-बेस्ड जॉइंट कमीशन इंटरनेशनल के द्वारा मान्यता मिली है। अपोलो ग्रुप न केवल हॉस्पिटल बल्कि फार्मेसी, प्राइमरी केयर और डायग्नोस्टिक क्लीनिक की भी सुविधा प्रदान करता है। डॉ प्रताप के सानिध्य में अपोलो हॉस्पिटल में 140 देशों से लगभग 50 मिलियन मरीज़ इलाज़ पाने आते हैं।
2016 तक के आंकड़ों के अनुसार अपोलो हॉस्पिटल में 43,557 कर्मचारी काम करते हैं और उनका कुल रेवेन्यू 6,058 करोड़ का और लाभ 331 करोड़ का है। इस हॉस्पिटल का हेडक्वार्टर्स चेन्नई, तमिलनाडु में है और पूरे विश्व से मरीज़ यहाँ बेहतर इलाज के लिए आते हैं। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री स्वर्गीया सुश्री जयललिता का इलाज़ भी चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में हुआ था।

डॉ रेड्डी ने 2010 में बिलियन हार्ट बीटिंग फाउंडेशन की स्थापना की है जिसमें लोगों को कार्डियोवैस्कुलर रिस्क के बारे में जागरूक बनाया जाता है। इसमें सभी भारतीयों के स्वस्थ हार्ट के लिए अभियान चलाया गया है। उनका सपना है कि भारत में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराये जाएँ और अपने अथक संघर्षों ने इसे उन्होंने सफलता पूर्वक पूरा भी किया है।
एक दशक तक विदेशों में समय व्यतीत कर इस कार्डियोलॉजिस्ट ने अपने देश की सेवा करने के लिए भारत आने का निर्णय लिया और उन्होंने हेल्थ केयर के क्षेत्र में अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्हें 1991 में पद्म भूषण सम्मान से और 2010 में पद्म विभूषण सम्मान से नवाज़ा गया। स्वास्थ्य के क्षेत्र में किये गए उनके अहम योगदान को हम सलाम करते हैं।
आप अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं और इस पोस्ट को शेयर अवश्य करें