यह कहानी हैं 33 साल के एक भारतीय की जिन्होंने शून्य से शुरूआत कर सफलता की अनोखी मिसाल पेश की और कारोबारी जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई। इस शख्स ने मारा समूह नाम से एक अन्तर्राष्ट्रीय कंपनी की आधाशिला रखी जिसका टर्नओवर बिलियन डॉलर में है। उनकी बेमिशाल कारोबारी सफलता ने उन्हें अफ्रीका के सबसे कम उम्र के धनी लोगों की सूचि में भी शामिल कर दिया।
यूनाइटेड किंगडम में एक गुजराती परिवार में पले-बढ़े आशीष का परिवार 1980 में अफ्रीका की ओर पलायन किया था। साल 1971 में जब ईदी अमीन युगांडा से एशियाई लोगों के निष्कासन का नियम लागू हुआ तो इनके परिवार को मजबूरन यूनाइटेड किंगडम की ओर रुख करना पड़ा। इस दौरान उनका परिवार बुरी आर्थिक हालातों के तले दब चुका था और पैसों की कमी की वजह से आशीष को स्कूल की पढ़ाई तक छोड़नी पड़ी और घर चलाने में सहयोग करना पड़ा। परिवार की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए उनके पिताजी ने कुछ पैसे लोन लेकर एक छोटा सा कारोबार शुरू किया। बचपन से ही संघर्ष को बेहद करीब से देख चुके आशीष ने निर्णय किया कि वो अपने और अपने परिवार की गौरव को वापस लौटाएंगे।

आशीष ने 100 डॉलर का लाभ कमाते हुए अपने एक पारिवारिक मित्र को कंप्यूटर बेचकर अपनी व्यापारिक यात्रा शुरू की। शुरुआती सफलता के बाद उन्हें अहसास हुआ यह काम उनके लिए ज्यादा मुश्किल नहीं है और फिर उन्होंने कंप्यूटर बेचने का सिलसिला जारी रखा। सफल प्रयास के बाद, उन्होंने कंप्यूटर हार्डवेयर में कदम रखते हुए युगांडा में दुबई से लाये माल की बिक्री शुरू कर दी। एक साल के भीतर ही उन्होंने दुबई में एक दुकान की स्थापना कर अफ्रीकी महाद्वीप के लिए कंप्यूटर हार्डवेयर का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन गए। धीरे-धीरे उनकी कंपनी बड़ी होती हुई अफ्रीका की सबसे बड़ी आईटी कंपनी बन गयी। 7,000 कर्मचारियों को रोजगार मुहैया कराते हुए उनकी कंपनी 26 देशों में 100 मिलियन डॉलर का सालाना टर्नओवर करनी शुरू कर दी।
समय के साथ कंपनी बड़ी होती चली गयी और आशीष ने कई अन्य तरह के कारोबार की शुरुआत कर इसे नाम दिया “मारा ग्रुप”। मारा समूह के बैनर तले शॉपिंग मॉल, पेपर मिल, पैकजिंग, होटल कांफेर्रेंस और कई अलग तरह के बिज़नेस की स्थापना कर आशीष ने इसे 1800 करोड़ का एम्पायर बना दिया। आज मारा ग्रुप अफ्रीका मे काफी बड़ा नाम बन चुका है। इतना ही नहीं उन्होंने रियलस्टेट और इकॉमर्स से लेकर कृषि क्षेत्र समेत अफ्रीका के लगभग हर सेक्टर में रोजगार के अवसर मुहैया कराए।
हाल ही में, आशीष को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा सम्मानित करते हुए वैश्विक युवा नेता के रूप में नियुक्त किया गया है। नई पीढ़ी के उद्यमियों की मदद करने के लिए आशीष ने मारा फाउंडेशन के नाम से एक सामाजिक संस्थान की आधारशिला रखी है जो युवा उद्यमियों को सलाह और अन्य सहायता प्रदान करता है। साल 2009 में स्थापित मारा फाउंडेशन अब तक 160,000 लोगो की मदद कर चुका है।

शून्य से शुरुआत कर महज़ दो दशकों में एक देश के सबसे कम उम्र के अरबपति बन कर आशीष ने साबित कर दिया कि किसी युवा व्यक्ति की महत्वाकांक्षा के सामने ऊंचाई की कोई सीमा नहीं है।
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