सफलता किसी व्यक्ति के दिमाग के आकार पर निर्भर नहीं करती बल्कि वह परिभाषित होती है उस व्यक्ति के सोच के विस्तार से। यह अथक प्रयासों, हर काम में लगाए गये कठोर श्रम और क्रियान्वित करने में अपना सर्वश्रेष्ठ देने से ही प्राप्त होता है। यह रास्ता आसान नहीं है, परन्तु यह निश्चित रूप से बहुत फ़ायदेमंद है।
फेसबुक की मुख्य संचालन अधिकारी शेरिल सैंडबर्ग ने कुछ बुनियादी नियम बताये हैं जो इस धरती के सफल लोगों के बीच खूब प्रचलित है। चलिए उन नियमों के बारे में जानते हैं, उनको अपने जीवन में लागू करते हैं और अपनी मंज़िल को एक नया आयाम देते हैं।

शुरुआत अपनी सोच से करें: बड़ा सोचे
अपनी सोच को आप ठहरा हुआ और स्थिर रखने का नुकसान नहीं उठा सकते। आप अपने जीवन को इंद्रधनुष की तरह जीवंत बनाइये। कुछ बड़ी उपलब्धि हासिल करने के लिए आपको बड़ा दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। कोशिश करना कभी नहीं छोड़ें। आप असफल हो सकते हैं परन्तु हार मानने का विकल्प आपके पास होना ही नहीं चाहिए। व्यापक सोच आपके लिए सुनहरे अवसरों से भरे क्षितिज की ओर अनगिनत दरवाज़े खोल देगा।
ज़माने पर आपने कैसी छाप छोड़ी
दुनिया पर आप कैसी छाप छोड़ते हैं, यही बेहद महत्वपूर्ण है। यह बिलकुल मायने नहीं रखता कि आपने जीवन में कितना पैसा कमाया, अर्थ इस बात का है कि आपने अपने जीवनकाल में कितने लोगों की ज़िन्दगियों को बदलने वाली भूमिका निभायी है। दुनिया को बदलने की दिशा में आपका योगदान ही आपके क़द की माप होती है।
आप ठहर न जाएँ इसलिए आपको लगातार आगे बढ़ना होगा
हमेशा अधिक करने की कोशिश करनी चाहिए कभी कम में संतुष्ट नहीं होना चाहिए। आपको लगता है कि आपने ग्रेड हासिल किया ! और बेहतर के लिए कोशिश करें। आपने एक लक्ष्य को हासिल किया ! दूसरा लक्ष्य तय करें। सपने बड़े देखें और उसे हकीकत में बदलने के लिए हर संभव कार्य करें।
क्या कहें, कैसे कहें
हर चीज़ को देखने का हर व्यक्ति का एक अपना नज़रिया होता है। प्रत्येक दृष्टिकोण को समझना और सम्मान देना बेहद महत्वपूर्ण होता है। तभी आप का अंतिम निर्णय लोगों के लिए स्वीकार्य भी होगा और मददगार भी।
संकल्प बड़ा हो तो कृपा बरसती है
जब आप किसी बड़े संकल्प को लेकर काम करते हैं, व्यक्ति और परिस्थितियां आपके अनुकूल होने लगती है। कोई ऐसा लक्ष्य तय करें जिसका लोगों के जीवन में बड़ा प्रभाव होने वाला हो और फिर उसे पाने के लिए जी जान से जुट जाएँ।
आपकी सोच आत्मकेंद्रित होकर न रह जाए। जब आप दूसरों को ध्यान से सुनते हैं तब आप उन समस्याओं को महसूस कर पाते हैं जो समाज को घुन की तरह खा रही होती हैं।
जहाँ दिल जाए वही श्रेष्ठ है
आपको आनंद कहाँ मिलता है उसे पहचानने की कोशिश करें। जब आप वह करते हैं जिसमें आप को सुख मिलता है तो वह काम, फिर काम नहीं रह जाता। आपको हमेशा उस एक चीज़ की तलाश होनी चाहिए जिससे आपको सुख और संतोष दोनों मिलता हो। जब वरदान में आपको यह जीवन मिला है तो क्यों न आप वह करें जिसे आप पसंद करते हों।
आस-पास के परिवेश पर नजर रखें
आज के युग में व्यावसायिक सफलता किसी सीढ़ी की तरह सीधी और सपाट नहीं होती, यह उतार-चढ़ाव और कठिन मोड़ों से भरे रास्तों की तरह है। आगे बढ़ने के लिए आप एक ही दिशा में चलते चले जाएं, यह विरले ही होता है। आगे बढ़ते हुए ठहरना और चारों तरफ नज़रें घुमा के देखना नई दिशाओं में छुपे अवसरों की ओर इशारे देता है।
दोषारोपण न करें
दोषारोपण से आज तक किसी को मंजिल नहीं मिली है। अपनी ग़लतियों को स्वीकारें और अपनी असफलताओं की जिम्मेदारी भी लें। हर परिणाम के उत्तरदायी आप स्वयं होते हैं इसलिए किसी पर निर्भर रह कर काम न करें। जब परिस्थितियां विपरीत हों तब भी अपनी यात्रा को जारी रखना आप के भीतर से आपके बेहतर संस्करण को उभारता है।
और अंत में सबसे महत्वपूर्ण…
काम में दिन-रात जुटे रहना इस बात की गारंटी कतई नहीं होती कि आप जो कर रहे हैं वह गुणवत्ता में भी अच्छा है। आप के प्रयासों का मूल्य, हासिल हुए परिणामों से ही आँका जाता है।
सिलिकॉन वैली में शेरिल सैंडबर्ग का नाम बहुत आदर से लिया जाता है। उनके दिए इन नौ मन्त्रों को जो अपने जीवन में ढाल ले उसे भविष्य में बड़ा बनने से कोई नहीं रोक सकता।
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