भारत में हर जगह सरकारी नौकरी की ही मारामारी है और कश्मीर भी उससे अलग नहीं है; यहाँ भी यही प्रचलन में है। परन्तु हमेशा ऐसा नहीं होता, बहुत से लोग इस घिसे-पिटे चलन को तोड़कर सिद्ध किया है कि जीवन सिर्फ तय किये हुए सिद्धांतो पर नहीं चलती। इसी से मिलती जुलती कहानी है नुसरत जहाँ आरा की, जिन्होंने अपने सिद्धांतों और शर्तों पर अपनी जिंदगी जी कर यह सिद्ध कर दिया कि सही रास्ता सिर्फ वही नहीं जो पहले से किसी ने तय किया हो। अपने दम पर भी रास्ता बनाया जा सकता है।

नुसरत कश्मीर के पुलवामा जिले के दादूरा गांव से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने कंप्यूटर में अपना ग्रेजुएशन किया। वह एक अच्छी-खासी सरकारी नौकरी कर रही थीं पर उनका दिल कही और लगा था। सपने में भी उनके माता-पिता ने यह नहीं सोचा था कि वे अपनी नौकरी छोड़कर बिज़नेस करेंगी। पर नुसरत के मन में कुछ और ही चल रहा था। उन्होंने यह महसूस किया कि उनकी मंजिल वह नहीं थी जो वह कर रही थीं। और एक दिन उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी अपने सपनों का पीछा करने के लिए।
नुसरत अपने रिश्तेदारों के ताने सहने के लिए तैयार थी जो कहते कि उसने अच्छी-खासी सुरक्षित पेंशन वाली नौकरी छोड़कर बिज़नेस के लिए रिस्क क्यों लिया! नुसरत इन सब से निराश हो जाती पर वह अपने निर्णय पर अटल थीं और अपने आप को सिद्ध करना चाहती थीं। नुसरत अपने बिज़नेस आइडिया के लिए बहुत भटकीं और अंत में उन्हें फूलों के दुकान का विचार भा गया।
घाटी फूलों के लिए मशहूर थी पर यहाँ पर ताजे कटे फूलों की एक भी दुकान नहीं थी। उन्होंने अपना बिज़नेस चुन लिया था जो उनकी रूचि का था। उनके बिज़नेस शुरू करने में एक ही रूकावट थी और वह थी पैसे की। यहाँ कोई भी निवेशक नहीं था जो पूँजी लगाता और न ही सरकार ही इस तरह के बिज़नेस में रूचि ले रही थी। तब उन्होंने अपनी सारी बचत की राशि से अपने पैतृक घर के आँगन में फूलों की खेती करना शुरू किया। कोई भी अड़चन उनके इस बिज़नेस को तोड़ नहीं सकता था, वह उतनी ही तल्लीनता से इस काम में जुटी हुई थी।
थोड़े ही समय में नुसरत की मेहनत रंग लाई और उनका बिज़नेस फलने-फूलने लगा। वह अपने क्षेत्र की पहली महिला इंटरप्रेन्योर बनीं और घाटी में फ्लोरीकल्चर सेक्टर में सफलता प्राप्त की। नुसरत ने देखा कि जिस घाटी में वह रहती है वहां ढेर सारे जड़ी-बूटियां और बहुत से ऐसे पौधे हैं जो सौंदर्य प्रसाधन के उपयोग में लाये जाते हैं। इस तरफ लोगों का ध्यान ही नहीं गया है। इन सब चीजों को देखते हुए नुसरत ने अपने प्रोडक्ट को लांच करने के लिए अपना नया बिज़नेस शुरू किया जिसका नाम “कश्मीर एसेंस” रखा।
इस ब्रांड के अंतर्गत एक अनोखा कांसेप्ट था कि इसमें कश्मीर के प्राकृतिक उत्पाद हों जैसे केसर, बादाम, चेरी, अखरोट, सेब, ओलिव, खुबानी और इसके अलावा सुगन्धित तेल, खाने पीने की आर्गेनिक चीजें और सौंदर्य प्रसाधन भी शामिल हैं।
2013 में नुसरत उत्पादकों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराने लगी। पर तब उन्होंने स्थिति को बदलने की ठानी। उन्होंने खुद का उत्पाद बनाने के बारे में विचार किया और अपनी टीम और साइंटिस्ट के साथ मिलकर स्थानीय क्षेत्र में मिलने वाले जड़ी-बूटी, फूलों और सुगन्धित तेलों से अपना खुद का प्रोडक्ट विकसित किया जो पूरी तरह से प्राकृतिक थे। और इसे पूरे विश्व में निर्यात किया जाता था।

“कश्मीर एसेंस” बॉडी बटर, जैम, सोप और आयुर्वेदिक चाय आदि बनाती थी और कच्चा माल आसपास के किसानों से लेती है। यह सारे फूल, फल जड़ी-बूटी और एसेंशियल तेल सभी पूरी तरह से पुराने तरीके के आयुर्वेद के सिद्धांतों और वनस्पति विज्ञान पर आधारित होता है और एक उत्पाद में लगभग 90% भाग वनस्पति पदार्थ का होता है। उनके उत्पाद में कोई भी केमिकल, पेट्रोलियम पदार्थ और ब्लीचिंग एजेंट का इस्तमाल नहीं होता है। कश्मीर जो अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध था आज इन सारे उत्पादों के लिए विश्व प्रसिद्ध हो गया है।
नुसरत ने यह सिद्ध कर दिया है कि सफलता के लिए कोई उम्र या कोई पद जरुरी नहीं होता है। अगर आपका सपना सच्चा है और अपने काम के लिए आप ईमानदार हैं तो आप किसी भी समय सफल हो सकते हैं। कड़ी मेहनत की बदौलत आप आश्चर्यजनक सफलता पा सकते हैं।
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