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कोरोना काल में मंदी के बीच हर महीने 4.8 करोड़ का कर रहे कारोबार, जानिए ऐसा क्या है आइडिया

हर कोई यह जानना चाहता है कि सफल लोगों के भीतर ऐसी कौन सी चीजें होती है जो उन्हें औरों से कुछ अलग बनाती है। ऐसा बिलकुल नहीं है कि एक भारी वित्तीय समर्थन के बिना सफलता हासिल नहीं किया जा सकता। एक सफल और आदर्श उद्यमी बनने के लिए बुद्धिमत्ता के साथ-साथ दृढ़ता की अति आवश्यकता होती है। हमारी आज की कहानी के हीरो इस कथन के जीवंत परिचायक हैं। कैसे उन्होंने एक साधारण शुरुआत से एक विशाल कारोबारी साम्राज्य की स्थापना की, वह प्रेरणा से भरी है।

चेन्नई के सुशील कानूगोलू ने अपने पुस्तैनी धंधे में ही एक मिलियन डॉलर आइडिया ढूंढ निकाला और फिर छोटी शुरुआत से उसे एक ब्रांड में तब्दील करने में कामयाब रहे।

सुशील का परिवार पिछले चार दशकों से सीफ़ूड निर्यात कारोबार में है, उन्होंने तीन अलग-अलग देशों में सीफ़ूड का निर्यात किया। एक व्यवसायी परिवार से आने वाले, सुशील ने हमेशा अपने स्कूल के साथ-साथ कॉलेज के दिनों में भी अपने नेतृत्व कौशल का परिचय दिया। वह अपने कॉलेज में होने वाली विभिन्न गतिविधियों या घटनाओं के प्रमुख हुआ करते थे। बीकॉम पूरा करने के बाद, सुशील ने आपूर्ति श्रृंखला विपणन में मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद उन्होंने एक खाद्य सेवा कंपनी में एक साल तक नौकरी की। हालांकि, नौकरी उनके लिए कोई बड़ी उपलब्धि नहीं थी क्योंकि उन्होंने अपने परिवार को व्यवसाय के साथ अच्छा मुनाफा कमाते हुए देखा था।

एक साल तक नौकरी करने के बाद उन्होंने पारिवारिक व्यवसाय में ही लौटने का फैसला किया। उन्होंने 2007-2014 तक वहां काम किया जिससे उन्हें व्यापार की रणनीति सीखने में मदद मिली। बिज़नेस तो उनके डीएनए में था, इसलिए उन्हें कारोबार की बागडोर संभालते देर नहीं लगी। हालांकि, दशकों से चली आ रही परंपरागत कारोबारी नीति में वक़्त के साथ बदलाव की कमी उन्हें महसूस हुई।

केनफ़ोलिओज़ के साथ एक साक्षात्कार में सुशील ने बताया “सब कुछ बहुत अच्छा चल था जब तक मुझे यह एहसास नहीं हुआ कि इस व्यवसाय को क्यों न एक बड़े स्केल पर किया जाए?”

सुशील पश्चिमी दुनिया के विकास से बहुत प्रभावित थे, उन्होंने अमेरिका, यूरोप और कई अन्य देशों के बाजारों के बारे में शोध किया। उन्होंने मांस की पारंपरिक खरीद-बिक्री में एक क्रांति लाने की उद्देश्य से “फिपोला” ब्रांड के बैनर तले स्वच्छ और ताजे मांस की बिक्री शुरू की।

व्यापक अनुसंधान के बाद, उन्होंने फिपोला का पहला आउटलेट खोला। दर्शकों द्वारा इस अवधारणा की सराहना की गई क्योंकि दुकान बेहद स्वच्छ और मांस बिलकुल ताजा थी। धीरे-धीरे उनकी माँग बढ़ती चली गयी। लोगों के बीच बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए उन्होंने धीरे-धीरे चेन्नई में फिपोला के 13 अलग-अलग स्टोरों को खोला। वर्तमान में फिपोला बकरी, मुर्गी, मछली और भेड़ के मांस वितरित करता है।

सुशील कहते हैं कि “भारत में हर उद्योग विकसित हुआ है, सब्जी की दुकानों से लेकर सुपरमार्केट तक, किराना दुकानों से लेकर ग्रोफर्स और बिग बास्केट जैसे ऑनलाइन डिलीवरी पोर्टल्स तक। केवल मांस बाजार का विकास होना बाकी था, जो मुझे लगा तो मैंने काम किया। हम सामान्य कसाई की दुकानों की तुलना में स्वच्छता के मामले में बहुत आगे हैं और लोगों को उनके दरवाजे पर ताजे मांस की सप्लाई देते हैं।

विशेष रूप से, ऐसे समय में जब लोग कोविड-19 के प्रकोप के कारण सुरक्षा और स्वास्थ्य उपायों को लेकर अत्यधिक चिंतित होते हैं, फिपोला का व्यवसाय मॉडल वाकई में सफल होने के लायक है।

सुशील का मानना है कि ग्राहकों की संतुष्टि ही वह कारण है जिससे व्यवसाय अच्छा राजस्व प्राप्त कर रहा है। साथ ही, अपने कर्मचारियों को भी उसी तरह संतुष्ट रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज उनके साथ 250 कर्मचारी जुड़े हुए हैं।

समय के साथ, मुझे एहसास हुआ कि कर्मचारियों को कुछ ऐसा करने के लिए काम पर रखा जाना चाहिए जो उन्हें पसंद हो।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कोविड-19 के बाद बिगड़ी अर्थव्यवस्था के बावजूद फिपोला एक महीने में 4.8 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है। सुशील का लक्ष्य पूरे भारत में ताजा मांस उपलब्ध कराना है और इस वर्ष नवंबर तक, वह हर महीने 7 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य बनाए हुए हैं। साल ही इस महीने फिपोला के चार नए स्टोर खोलने की योजना है।

अपना खुद का कारोबार शुरू करने की चाहत रखने वाले लोगों के लिए सुशील कुछ संदेश देना चाहते हैं। हर महत्वाकांक्षी उद्यमी को धैर्य और दृढ़ता की कला में महारत हासिल करने की आवश्यकता होती है। एक या दो महीने के भीतर कोई भी व्यवसाय सफल नहीं हुआ है, आपको खुद को समय देना होगा। कई बार असफल होना ठीक है, यह आपको पिछली असफलता से सीख के साथ फिर से उठना और लड़ना सिखाता है।

सुशील की सफलता से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है। पहली बात यह कि उनके पास यह विकल्प था कि पारंपरिक तरीके से अपना व्यवसाय चला सकते थे। लेकिन कुछ नया करने के उद्देश्य से उन्होंने जोख़िम उठाने का साहस दिखाया और आज अपनी सफलता से औरों के लिए मिसाल बन गए।

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