सड़क किनारे एक टेबल पर हुई थी शुरुआत, आइडिया कमाल का था, आज 150 करोड़ साम्राज्य है

सफलता की यह कहानी है एक छोटे से बिज़नेस की जिसकी शुरुआत दक्षिणी दिल्ली में सोनी-ऐरिक्सन की दुकान के बाहर एक टेबल डाल कर की गई थी। सेकेंड-हैंड और अनबॉक्सड मोबाइल फ़ोन को ठीक कर उसे बेचने से शुरुआत कर आज यह एक कंपनी के रूप में विकसित होकर सिर्फ आठ सालों में 150 करोड़ का सालाना टर्न-ओवर कर रही है। युवराज अमन सिंह वह व्यक्ति हैं जिन्होंने इस कंपनी की आधारशिला रखी और आज उसे शून्य से शिखर पर बिठा दिया।

युवराज ने सोनी की दुकान के बाहर टेबल डाल कर अपने बिज़नेस की शुरुआत की। धीरे-धीरे दुकान की लोकप्रियता बढती गई और लोगों की उनके स्टाल के बाहर भीड़ लगनी शुरू हो गई। कभी-कभी तो लोगों की भीड़ हटाने के लिए पुलिस को फ़ोन कर बुलाना पड़ता था।

दक्षिण दिल्ली में इनका मुख्य ऑफिस है और इन्होंने एक साल के भीतर ही अपने सहायक टेक्निक्स कंपनी के करीब 50000 सुधारे गए फ़ोन बेच दिये। यह फ़ोन के साथ-साथ सुधारे हुए टेबलेट्स, पॉवरबैंक्स और मोबाइल के एक्सेसरीज के साथ भी डील करते हैं। 

यह कंपनी एप्पल, सैमसंग, सोनी एरिक्सन, नोकिया, एचटीसी, सोनी, जीओमी और ब्लैकबेरी कंपनियों से वापस लौटाए फ़ोन, नए अनबॉक्सड फ़ोन,और सेकेंडहैंड फ़ोन खरीदते हैं और उन्हें अपने दिल्ली स्थित फैक्ट्री और बेंगलुरु स्थित फैक्ट्री में सुधार कर ग्राहकों को बेचा जाता है। नॉएडा में भी उनकी एक फैक्ट्री है जिसमे इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स को सुधार कर के एक्सपोर्ट किया जाता है।

वह फ़ोन जो उनके निर्माता से वॉरंटी के साथ आते हैं या इनके द्वारा नवीनीकरण के बाद आते हैं दोनों फ़ोन ऑनलाइन और दिल्ली के 16 शॉप्स में मिल जाते हैं। यह खरीदी गई कीमत से 40 फीसदी तक की कम कीमत में बेचते हैं।

युवराज अमन सिंह ने बिज़नेस इनफार्मेशन सिस्टम्स और मैनेजमेंट की डिग्री अमेरिका के मिड्डलसेस यूनिवर्सिटी से किया है। शुरुआत में यह अपने पत्नी के भाई के साथ इंग्लैंड में काम करते थे। साल 2003 में भारत लौटने के बाद इन्होंने टाटा टेलीसर्विसेस की फ्रैंचाइज़ी ले ली। इस काम को भी इन्होंने बहुत अच्छे से किया पर लाभ कम होने की वजह से इसे छोड़ दिया। साल 2005 में पुराने टाटा कंपनी के कर्मचारी जिनकी जान-पहचान सोनी एरिक्सन से थी, के कहने पर उन्होंने उनके फ़ोन्स के सुधारने का काम शुरू किया। यह काम चल निकला और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

2008 में इन्होंने सैमसंग के साथ डील कर उनके पुराने फोन्स ख़रीदे और उसका नवीनीकरण कर उन्हें रॉकिंग डील कंपनी के द्वारा फ्लिपकार्ट के माध्यम से बेचा। पहले ही साल उनकी कंपनी का टर्न-ओवर 20 करोड़ का हो गया। उनके मोबाइल अभी शॉपक्लयूस, अमेज़ॉन, ईबे, स्नैपडील, क्विकर, जंगली और जोपर पर भी उपलब्ध है इन्होंने अभी एक शाखा अमेरिका में खोला है और दूसरे देशों में भी खोलने का इरादा रखते हैं।

उनके प्रोडक्ट रॉकिंग डील कंपनी के द्वारा प्रमाणित है और तीन महीने से लेकर एक साल तक की वारंटी के साथ मिलते हैं। सुधार कार्य के तहत लगभग दो दर्जन परिक्षण से गुजरते हैं और इसमें डिस्प्ले, साउंड, कीटच, पोर्ट्स और क्लिप्स, कैमरा और हार्डवेयर का परिक्षण किया जाता है।

युवराज ने  उत्पाद को तीन श्रेणियों में बांटा है। पहला फ़ोन जिसमें खरोंच न हो, दूसरा जिसके कांच में खरोंच हो, तीसरा जिसमें फ़ोन थोड़ा क्षतिग्रस्त हो। रॉकिंग डील ने अपने सुधारे हुए फ़ोन के लिए अमेरिकन कंपनी फ्यूचर डायल और टेरससिफोर के साथ मिलकर डाटा की सफाई और प्रमाणीकरण के लिए काम किया है। उनके 200 कर्मचारी डीटीडीसी कूरियर के साथ मिलकर फ़ोन को खरीदकर उन्हें पिक-अप करना और उसे बेचने की सेवा और सुधारने का काम पूरे देश में फैला रहें हैं।

इनकी तरक्की की गति को देखकर लगता है कि आने वाले समय में रॉकिंग डील अपने पूरे शबाब पर होगा।

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