हिंदी बोलने पर लोगों ने उड़ाया मजाक तो लिख डाली अंग्रेजी की 10 प्रसिद्ध उपन्यास

इस दुनिया में प्रायः दो प्रकार के लोग होते हैं। कुछ लोग अपमानित किए जाने के बाद हार मानकर अपने लक्ष्य को छोड़ देते हैं तो कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने अपमान रूपी कलम से ही सफलता की शानदार कहानी लिखते हुए मज़ाक उड़ाने वाले लोगों को चुप कर देते। आज हम ऐसे ही एक शख्स के सफलता की कहानी लेकर आये हैं जिन्होंने कठिन मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत अपना मजाक उड़ाने वाले लोगों का मुंह बंद करते हुए आज देश के एक जाने-माने व्यक्तित्व हैं। एक रेस्टोरेंट में हिंदी बोलने पर वेटर ने इनका मजाक उड़ाया तो इन्होंने महज 6 महीने में अंग्रेजी सीखते हुए 10 नॉवेल लिख डाली और आज अंग्रेजी के बेस्ट सेलर लेखकों की सूचि में शुमार कर रहे हैं।

यह कहानी है अंग्रेजी के एक प्रसिद्ध लेखक 29 साल के सत्यपाल चंद्र की। बिहार के नक्सल प्रभावित जिले गया में एक गरीब किसान परिवार में जन्में और पले-बढ़े सत्यपाल को बचपन से ही काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा। गांव में नक्सलवाद का इतना ज्यादा कहर था कि लोग अपने बच्चे को घर के बाहर नहीं भेजना चाहते थे। इनके माता-पिता इन्हें पढ़ाई से वंचित नही रखना चाहते थे इसलिए उन्होंने इन्हें झारखण्ड में अपने किसी करीबी के घर रख दिया ताकि शुरूआती सत्यपाल शुरूआती पढ़ाई कर सकें।

अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए सत्यपाल बतातें हैं कि स्कूल खत्म होने के बाद जेब में एक पैसे नहीं होते थे कि कुछ खरीद कर भूख की तड़प मिटाई जाती। वो जानते थे कि उनके माता-पिता खुद का पेट काट कर उन्हें यहाँ पढ़ने के लिए भेजे हैं।

स्कूली शिक्षा ख़त्म करने के बाद इन्होंने स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए बिहार लौटे और गया के अनुग्रह नारायण सिंह कॉलेज में दाखिला ले लिया। सत्यपाल बखूबी जानते थे कि केवल शिक्षा के माध्यम से ही जिंदगी में गरीबी को मात दिया जा सकता है। ज्यादातर बिहारी युवाओं की तरह सत्यपाल ने भी आईएएस बनने का सपना लिए दिल्ली का रुख किया।

दिल्ली में आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए इन्होंने काम तलाशने शुरू कर दिए। कुछ ही समय में उन्हें एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई और धीरे-धीरे आर्थिक हालात भी सुधरने गये। इसी दौरान सत्यपाल की जिंदगी में एक बेहद ही मार्मिक घटना हुई जिसने इनकी जिंदगी को बदल कर रख दी।

दरअसल एक दिन सत्यपाल दिल्ली के रेस्टोरेंट में खाना खाने के लिए पधारें। वहां इन्होंने वेटर को हिंदी में आर्डर दिया। वेटर ने इन्हें नज़रअंदाज़ करते हुए इनकी हिंदी का मजाक उड़ाया। अंग्रेजी न बोल पाने की खुद की क्षमता की वजह से मजाक का पात्र बनना सत्यपाल के दिल में चुभ गई और फिर उसी वक़्त उन्होंने अपने आप से यह प्रतिज्ञा किया कि वह अंग्रेजी सीख कर ही दम लेंगें।

इस अपमान ने सत्यपाल को इतना गहरा प्रभावित किया कि इन्होंने बिना वक़्त गवायें इस कमी को दूर करने का संकल्प लिया। घर पहुँच उन्होंने अंग्रेजी की पढ़ाई प्रारंभ कर दी और महज छह महीने में ही इस भाषा के ज्ञाता बन गये।

खुद की काबिलियत पर भरोषा करते हुए सत्यपाल ने सबसे पहले नौकरी छोड़ी और अंग्रेजी में एक नॉवेल लिखने पर विचार करने शुरू कर दिए। साल 2011 में 24 साल की उम्र में इन्होंने अपनी पहली नॉवेल The Most Eligible Bachelor लिखी। आतंकवाद, प्यार और युवाओं पर आधारित यह पहली नॉवेल ही बेस्टसेलर बन गई। पहली नॉवेल की सफलता के बाद इन्होंने 9 और नॉवेल लिख डाली। कुल 10 में 6 नॉवेल को चंद्रा ने 2012 में ही लिख डाली थी।

सत्यपाल नॉवेल राइटर होने के साथ-साथ मोटीवेशनल स्पीकर भी है। अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक कंपनी भी चलाते है जिसका नाम एक्सप्लोरेशन वर्ल्ड है। इसके साथ ही चंद्रा ऑनली लाउडेस्ट के संस्थापक भी हैं। हाल ही में इन्हें फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिखने के लिए ऑफर आने शुरू हो गये हैं।

चंद्रा की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अंग्रेजी कोई हौवा नहीं है, अगर हम मेहनत करे तो अंग्रेजी ही क्या कई अन्य भाषा भी सीख सकते हैं। साथ ही साथ चंद्रा ने एक और प्रेरणा दी कि हिन्दी माध्यम से पढ़े लड़के भी अंग्रेजी में नॉवेल लिख कर बेस्टसेलरर्स बन सकते हैं। इसलिए कभी किसी के बोलने की क्षमता पर मजाक उड़ाना अपने आप में बेहद शर्मनाक है।

आप अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं और इस  पोस्ट को शेयर अवश्य करें

500 रुपये से 2.6 करोड़ तक का सफर – एक ऑटो वाले के बेटे की प्रेरणादायक कहानी

When Got Cheated By Own Brother, This Man Created Rs 500 Cr Company From Nothing