हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी दोस्त ने मिलकर रखी थी दो लाख करोड़ रुपये के इस भारतीय कंपनी की नींव

दोस्ती के कई मायने हैं और कई आयाम। यह एक ऐसा रिश्ता है, जिसे समझा कम और महसूस ज्‍़यादा किया जा सकता है। दुनिया आज दोस्ती का जश्‍न मना रही है। ऐसे में हम आज ऐसे दो अजीज दोस्तों की कहानी लेकर आए हैं, जिनके द्वारा कारोबारी जगत में की गई एक शुरुआत आज इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा है।

बहुत कम लोगों को पता है कि भारत की सबसे बड़ी कंपनी में से एक महिंद्रा एंड महिंद्रा (एमएंडएम) की नींव एक पाकिस्‍तानी और एक हिंदुस्‍तानी दोस्तों ने मिलकर रखी थी। गौरतलब है कि भारत के बंटवारे से पहले लुधियाना में साल 1945 में दो भाइयों केसी महिंद्रा और जेसी महिंद्रा अपने बेहद खास मित्र मलिक गुलाम मुहम्‍मद के साथ मिलकर कारोबारी जगत में कदम रखने का फैसला लिया था। महिंद्रा बंधुओं और मलिक मुहम्‍मद का सपना दुनिया की बेहतरीन स्‍टील कंपनी बनाना था।

सपने को हकीकत में बदलने के लिए शुरू हुई महिंद्रा एंड मुहम्‍मद 

उन्होंने महिंद्रा एंड मुहम्‍मद के रूप में कंपनी की नींव रखी। लेकिन इसी दौरान भारत की आजादी और पाकिस्‍तान बनने के बाद गुलाम मुहम्‍मद को पाकिस्‍तान जाना पड़ा। गुलाम मुहम्मद पाकिस्तानी सरकार में प्रथम वित्त मंत्री बनें। दोस्त के अलग होने के बाद कंपनी चलाने की सारी जिम्मेदारी महिंद्रा बंधुओं के कंधों पर आ गई। साल 1948 में उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर महिंद्रा एंड महिंद्रा कर दिया गया।

नाम के साथ-साथ महिंद्रा बंधुओं ने बदली कारोबारी रणनीति

हालांकि महिंद्रा बंधुओं और मलिक मुहम्‍मद का सपना था कंपनी को दुनिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनी बनाना लेकिन दोस्त के अलग होने के बाद महिंद्रा बंधुओं ने ऑटो इंडस्‍ट्री में कदम रखने का फैसला किया। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह थी कि अमेरिकी कंपनी में काम करने के दौरान केसी महिंद्रा ने अमेरिका में जीप देखी थी और वही से उन्हें भारत में ऐसी जीप लांच करने का ख्याल आया। महिंद्रा ने जीप निर्माण का सपना तो देखा था, लेकिन इसे हकीकत में बदलना इतना आसान नहीं था।

शुरू हुआ महिंद्रा जीप का प्रोडक्‍शन और कंपनी ने तेजी से की तरक्की

सपने को हकीकत में बदलने के लिए महिंद्रा बंधुओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कठिन मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत अपनी कंपनी को भारत की सबसे नामचीन कंपनियों की सूची में ला खड़ा किया। साल 1991 महिंद्रा ग्रुप के लिए काफी अहम था। इस साल भारत ने अर्थव्यवस्था को उदार बनाना शुरू किया था, जिसके बाद विकास की गति काफी तेजी से बढ़ी। पिछले 24 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था की तरह महिंद्रा ग्रुप भी बुलंदी के नए पायदान पर चढ़ता चला गया है।

महिंद्रा ग्रुप आज है दो लाख करोड़ की कंपनी

आज महिंद्रा समूह सम्पत्ति आधार के साथ भारत के श्रेष्ठ दस औद्योगिक घरानों में से एक है तथा यह दुनिया की श्रेष्ठ तीन ट्रैक्टर निर्माता कंपनियों में से एक है। बदलते समय के साथ इस कंपनी ने विभिन्न व्यवसाय क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बनाई और आज भारतीय तथा विदेशी बाजारों में एक अग्रणी कंपनी में से एक है। ऑटोमोटिव, फार्म उपकरण, वित्तीय सेवाएं, सिस्टेक, आफ्टर मार्केट, सूचना टेक्नोलॉजी स्पेशियलिटी बिजनेस, अधोसंरचना विकास, ट्रेड, रीटेल तथा लौजिस्टिक्स हर क्षेत्र में कंपनी की भागीदारी है। इतना ही नहीं आज इस समूह में 75,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।

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