काम कोई भी हो, वह छोटा या बड़ा नहीं होता। बस हमारा नज़रिया ही है जो उसे छोटा या बड़ा बना देता है। किसी भी काम में बस जरुरत है तो सच्ची लगन और ईमानदारी की। अगर हम अपने सभी कार्यों को सम्मानपूर्वक और पूरी निष्ठा के साथ करें तो वह कार्य हमें नई ऊचाईयां तो देता ही है, साथ ही साथ सम्मान भी दिलवाता है। पर आज के समय के कुछ नौजवान छोटे कामों को करने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं। यही कारण है कि आज के समय में ऐसे बेरोजगारों की भी कमी नहीं है। क्योंकि समाज में भी एक ऐसी धारणा बन गयी है कि जब तक कोई इंसान अच्छे पदवी पर न हो तो उसे सम्मान नहीं मिलता।
आज हम एक ऐसे ही युवा शख्स की बात करने जा रहे हैं, जिन्होंने इन सभी बातों को दरकिनार कर चाय बेचने का धंधा शुरू किया। आज रोज़ाना हज़ारों लोग उनके हाथों की चाय पीते हैं और उनके महीने की कमाई अविश्वसनीय है।
महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले नवनाथ येवले आज एक सफल बिजनेसमैन के रूप में हमारे सामने खड़े हैं। नवनाथ चाय बेचने का काम करते हैं, लेकिन इससे आप उन्हें कोई आम चाय वाला न समझ लें। आप विश्वास नहीं करेंगे यह चाय वाला चाय बेचकर इतनी कमाई कर रहा है जितनी बड़े-बड़े बिजनेसमैन भी नहीं करते हैं।

यह चायवाला कोई आम चायवाला नहीं बल्कि महाराष्ट्र का सबसे अमीर चायवाला है। हमारे देश में चाय के चाहने वाले आपको हर जगह मिल जाएंगे। इसका एक उदाहरण आपको हर गली-नुक्कड़ पर देखने को मिल जाएगा जहाँ एक चाय की दुकान तो होती ही है और बेतहासा भीड़ भी। सुबह की शुरुआत से लेकर शाम के अंत तक लोगों का चाय से जुड़ाव लगातार बना ही रहता है। नवनाथ को भी अन्य लोगों की तरह चाय की चुस्की लेना बड़ा पसंद था। इसी के चलते उनके मन में चाय के बिजनेस का आइडिया आया।
उन्होंने मन बनाया कि वे पुणे में चाय ब्रेड बेचने के बिज़नेस की शुरुआत करेंगे। उन्होंने पुणे में येवले टी हाउस नाम से चाय बेचने के स्टार्टअप की शुरूआत की। लेकिन उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि उनकी चाय लोगों को इतनी भा जायेगी। लोगों को उनकी चाय का स्वाद अच्छा लगने लगा और धीरे-धीरे उनके ग्राहकों की संख्या भी बढ़ने लगी। लोग उनकी चाय की तारीफ कर दूसरों को भी उनके दुकान पर ले आते थे। उनके ग्राहक ही उनका प्रचार करते चले गए और चाय के क्षेत्र में उनका अलग ही नाम बना दिया।
दरअसल बिज़नेस की शुरूआत से पहले ही नवनाथ ने चाय पर जमकर स्टडी की थी। लोगों को कैसी चाय पसंद आती है, क्या-क्या चीज़े चाय में डाली जाए। इन सभी बातों का उन्होंने बारीकी से अध्ययन किया था। उन्होंने अपनी चाय में लगातार प्रयोग भी किये, वे लोगों से इसका फीडबैक भी लेते थे। इसलिए उनकी चाय का स्वाद लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गया। येवले टी स्टॉल पर चाय पीने वालों की भीड़ बढ़ने लगी। धीरे-धीरे यह टी स्टॉल पूरे शहर में प्रसिद्ध हो गया। दूर के लोग भी येवले के टी स्टॉल पर चाय पीने आने लगे।
चार साल ग्राहकों से फीडबैक लेने व अध्ययन करने के बाद उन्होंने चाय की एक फ़ाइनल क्वालिटी तय की। भीड़ को देखते हुए उन्हें स्टाफ भी रखने पड़े और देखते-देखते उन्हें एक दूसरा ब्रांच भी खोलना पड़ा। उन्होंने अपने टी स्टॉल चेन का नाम येवले अमृततुल्य रखा है। जिसका अर्थ है येवले की अमृत समान चाय। उनके प्रत्येक सेंटर पर 10 से 12 लोग काम करते हैं। उनके एक सेंटर पर एक दिन में 3 से 4 हज़ार कप चाय बेची जाती है। इससे हर महीने उनकी इनकम 10 से 12 लाख तक हो जाती है। इसके बाद येवले टी हाउस की पहचान इतनी बढ़ गई है कि अब वो वह इस चाय ब्रांड को दुनियाभर में पॉपुलर करने की सोच रहे हैं।

नवनाथ भविष्य में येवले अमृततुल्य के लगभग 100 सेंटर देश व विदेश में खोलकर इसे इंटरनेशनल ब्रांड बनाने की योजना बना रहे हैं। उनका मानना है इससे उनका ब्रांड तो बड़ा बनेगा ही साथ ही साथ हज़ारों युवाओं को रोज़गार भी मिलेगा।
नवनाथ नें सच में इस बात को साबित कर दिया कि दुनिया में कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। छोटी और बड़ी तो बस लोगों की सोच और उनका नज़रिया होता है। अगर हम नज़रिया बदले तो शायद पूरा नज़ारा ही बदल सकता है।
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