आइडिया सुन लोगों ने उन्हें पागल कहा था, 2 सालों में ही बन गई 2 लाख करोड़ की कंपनी

गरीबी किसी भी आशावादी व्यक्ति के लिए बाधा नहीं बन सकती जो कठिनाईयों को ही अपनी ताकत बनाते हुए नए अवसर तलाश लेते हैं। कायदे से देखें तो प्रतिभावान लोगों ने गरीबी और अभावों की बुनियाद पर ही सफलता का शानदार इमारत खड़ा किया है। इस भौतिकवादी दुनिया में शरीर के लिए कपड़े, रहने के लिए छत और खाने के लिए दो जून की रोटी का अभाव बेशक गरीबी का परिचायक है लेकिन ऐसी बदतर स्थिति से बाहर निकलने की कोशिश नहीं करना सबसे बड़ी गरीबी है।

आज हम एक ऐसे ही शख्स की कहानी लेकर आये हैं जिनकी जिंदगी में गरीबी बचपन में ही दस्तक दे चुकी थी लेकिन उन्होंने कठिन मेहनत और अपनी काबिलियत के दम पर गरीबी को मात देते हुए आज दुनिया के सबसे नामचीन उद्योगपति और परोपकारी लोगों की सूचि में शुमार कर रहे हैं। आपको विश्वास नहीं होगा इस शख़्स ने वो कर दिखाया जो दुनिया में और किसी से संभव नहीं हो पाया।

उत्तरप्रदेश के शामली जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में और पले-बढ़े नवीन जैन के परिवार पर उस वक़्त विपत्ति ने दस्तक दी जब इनके पिता ने भारतीय निर्माण परियोजनाओं में धांधली के लिए रिश्वत लेने से इनकार कर दिया। उनके पिता आम तौर पर एक ईमानदार लोक सेवक थे जिन्हें रिश्वत स्वीकार न करने के परिणामस्वरूप अपने ही देश में शरणार्थी बना दिया। इसके बाद उनका स्थानांतरण एक साल में तीन बार-बार होने शुरू हो गए और अक्सर दूर-दराज के क्षेत्रों में इन्हें भेज दिया जाता था।

बचपन से ही तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए नवीन ने अपनी पढ़ाई पर फोकस रखा। नवीन के बचपन का ज्यादातर समय नई दिल्ली और उत्तर प्रदेश में ही बीता। इन्होंने किसी भी तरह आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद व्यापार और मानव संसाधन में एक्सएलआरआई से एमबीए करने में कामयाब रहे। एमबीए के बाद उन्हें एक मल्टी-नेशनल कंपनी में जॉब मिल गई और प्रशिक्षण के लिए अमेरिका जाने का मौका मिला।

कुछ सालों तक काम करने के पश्चात अपने तजुर्बे का सही इस्तेमाल करते हुए साल 1996 में नवीन ने सेलुलर फोन पर त्वरित और तत्काल जानकारी प्रदान करने के लिए इन्फोस्पेस नाम से एक कंपनी की आधारशिला रखी। दो साल तक अपने आइडिया के साथ काम करने के बाद साल 1998 में अपने इस आइडिया को सार्वजनिक कर दिया। उसके बाद एक साल के भीतर ही कंपनी की वैल्यूएशन 35 बिलियन डॉलर हो गई। हालांकि इनका यह आइडिया कुछ उद्योग विश्लेषकों को पागलपन लगा था, लेकिन नवीन ने किसी की फिक्र किये बगैर अपने प्रोजेक्ट पर काम करते रहे और साबित कर दिया कि यह वास्तव में एक बिलियन डॉलर आइडिया था।

नवीन की सफलता में सबसे बड़ा हाथ उनके आत्म-विश्वास का ही है जिसे वो हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।

नवीन कहते हैं कि यदि आपके भीतर खुद पर भरोसा करने की हिम्मत है, तो अपने आइडिया के साथ आगे बढ़ें और अपने प्रयासों को कभी बेकार नहीं होने दें।

इन्फोस्पेस इनकी सबसे पहली सफल उद्यम थी जिसनें इन्हें एक नामचीन अरबपति बना दिया था। इनके बाद नवीन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2002 में कंपनी के भीतर बोर्ड के साथ कुछ मतभेद के कारण नवीन ने अपनी खुद की कंपनी छोड़ दी और 2003 में अमेरिका आधारित सार्वजनिक रिकॉर्ड व्यापार इन्तेलियस की स्थापना की। कंपनी उपभोक्ताओं के साथ-साथ बड़ी-बड़ी कंपनियों को सिक्यूरिटी सूचना से संबंधित सेवाएं प्रदान करता है।

हाल ही में नवीन ने सिलिकन वैली के अंतरिक्ष उद्यमियों की एक समूह के साथ मिलकर मून एक्सप्रेस नाम से एक कंपनी की स्थापना की है। अमेरिकी सरकार द्वारा इनकी कंपनी को चाँद पर अपना रोबोट यान उतारने की अनुमति मिल चुकी है। अमेरिका के संघीय विमानन प्रशासन ने अंतरिक्ष में यान भेजने और उसे चंद्रमा पर उतारने के लिए पहली बार एक निजी कंपनी को अनुमति दी है। इसी साल कंपनी चाँद पर अपना यान भेजने वाली है।

नवीन भारत के एक ऐसे राज्य से ताल्लुक रखते हैं जहाँ हर साल करोड़ों की तादात में रोजगार की तलाश में लोगों का पलायन होता रहा है। लेकिन खुद की काबिलियत से शानदार मकाम हासिल करते हुए नवीन आज हजारों लोगों की जिंदगी भी बदल रहें हैं। नवीन केरोस सोसाइटी नाम की एक सामाजिक संगठन के माध्यम से उद्यमियों, वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और डिजाइनरों को 35 देशों में आर्थिक एवं अन्य जरुरी मदद मुहैया कराते हैं।

नवीन जैसे लोग जिन्हें हमारी आबादी का एक छोटा हिस्सा भी नहीं जानता होगा लेकिन अपनी काबिलियत के बूते वैश्विक मंच पर भारत का कद ऊँचा कर रहे हैं। ऐसे लोगों में ही भारत को सही मायने में वैश्विक महाशक्ति बनाने की ताकत है। शून्य से शिखर तक के इनके सफ़र से हमें अवश्य ही प्रेरणा लेनी चाहिए।

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