देश में हर साल होने वाली अरबों रुपये की बिजली चोरी के खिलाफ जंग छेड़ने वाली IAS ऑफिसर

आंकड़े की मानें तो देश में हर साल लगभग 1 लाख 3 हज़ार करोड़ रुपये की बिजली चोरी होती है। बिजली के लंबे चौड़े बिल से बचने के लिए सिर्फ गरीब तबके के लोग ही नहीं बल्कि पढ़े-लिखे लोग भी धरल्ले से बिजली चोरी कर रहे हैं। यूँ कहे तो वर्तमान समय में बिजली चोरी एक आम बात हो गई है। सबसे बड़ी बिडंबना यह है कि बिजली विभाग जितने तरीके ढूंढ़ता है बिजली चोरी पकड़ने के, लोग उतने ही नए तरीके ढूंढ लेते हैं चोरी करने के।

लेकिन इस गंभीर समस्या का समाधान ढूंढने के लिए 39 वर्षीया एक महिला दिलोजान से जुट गईं और उसने एक ऐसा समाधान खोज निकाला जिसकी सच में जरुरत थी। वह महिला कोई और नहीं बल्कि 2003 बैच की आईएएस अधिकारी रितु माहेश्वरी हैं।

साल 2000 में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रैजुएशन करने के बाद उन्होंने 2003 में आईएएस जॉइन कर ली।

गौरतलब है कि साल 2011 में रितु की नियुक्ती कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाइ कंपनी में हुई थी। वहां काम करते हुए उन्होंने पाया कि शहर के लोग धरल्ले से बिजली की चोरी कर रहे हैं। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने तकनीकी इस्तेमाल पर बल देते हुए उन्होंने एक तिहाई ग्राहकों के यहां नए स्मार्ट मीटर लगा दिए। इन स्मार्ट मीटरों के द्वारा बिजली खपत को डिजिटली रिकॉर्ड किया जा सकता है जिससे बिजली वितरण प्रणाली में पल-पल रही खपत और घपले का व्योरा देखा जा सकता है।

मैंने बिजली चोरी करनेवाले ग्राहकों के विरोध के बावजूद 5 लाख में से 1 लाख 60 हजार मीटर बदल दिए। इससे शहर (कानपुर) में बिजली चोरी की घटना बहुत कम हो गई जो पहले 30 प्रतिशत थी।’ बिजली मंत्रालय की वेबसाइट से पता चलता है कि रितु की रणनीति से कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाइ कंपनी या केस्को का वितरण घाटा आधा होकर 15.6 प्रतिशत पर आ गिरा। — रितु माहेश्वरी

बिजली चोरी के खिलाफ नारा बुलंद करने के बाद वह बिजली चोरों की नजरों में चढ़ गईं। कई बड़े-बड़े माफिया और राजनेता उनके दफ्तर में घुसकर उन्हें धमकी दिया करते थे। लेकिन रितु तमाम धमकियों को दरकिनार कर एक ऐसे सिस्टम के निर्माण में लगी रही, जहां बिजली चोरी की कटौती कर गाँव-गाँव में किसानों तक इसे पहुंचाया जा सके।

गौरतलब है कि इस समस्या से निजात पाने के लिए डीजीकरण ही एकमात्र जरिया है। केंद्र सरकार पांच सालों में पावर ट्रांसमिशन और डिस्ट्रिब्यूशन इंडस्ट्री में करीब 3 लाख 30 हजार करोड़ रुपये निवेश करने पर विचार कर रही है।

ऐसे में इस आईएएस अधिकारी द्वारा किया गया काम बेहद सराहनीय और अनुकरणीय है।


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