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प्राइमरी स्कूल शिक्षिका से IRS ऑफिसर बनने तक का सफ़र तय करने वाली एक आम लड़की की संघर्षपूर्ण कहानी

हम सब को बहाने खोजने से बेहद प्यार होता है। आयु, लिंग, वैवाहिक स्थिति, वित्तीय पृष्ठभूमि, सुविधाओं की कमी, कार्य-दबाव — ये केवल कुछ ही बहाने हैं जिसका हवाला प्रायः लोग दिया करते। जब हम किसी कार्य को करने में असफल रह जाते या फिर तन-मन-धन से हमारा लक्ष्य उस कार्य को करने के लिए एकीकृत नहीं रहता तो हम ऐसे ही बहाने ढूंढा करते। लेकिन आज हम जिस महिला की कहानी प्रस्तुत कर रहे हैं उनकी जिंदगी संघर्षों से भरी रही है। इनके सफलता की कहानी मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखने वाली हर लड़की को आगे बढने की प्रेरणा देती है। कड़ी मेहनत और संकल्प की यह कहानी न सिर्फ लड़कियों को बल्कि समाज के हर वर्ग को प्रेरित करती है।

प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका के तौर पर अपने करियर की शुरुआत कर प्रतिष्ठित संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करते हुए देश की एक जानी-मानी राजस्व अधिकारी बनने तक का सफ़र तय करने वाली पूनम दलाल दहिया आज हजारों भारतीय के लिए एक मजबूत प्रेरणास्रोत हैं।

अगस्त 2015 में जब पूनम यूपीएससी की परीक्षा दी तो वह नौ माह की गर्भवती थीं। दिसंबर में जब मेन्स की परीक्षा में बैठीं तो उनका बच्चा महज़ तीन माह का था।

हरियाणा के झज्जर जिले के छारा गांव से ताल्लुक रखने वाली पूनम राजधानी दिल्ली में पली-बढीं। 12वीं पास करने के बाद साल 2002 में उन्होंने एमसीडी स्कूल, सेक्टर-24 रोहिणी में प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से डिस्टेंट एजुकेशन में स्नातक भी पूरा किया। स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह अलग-अलग बैंक पीओ परीक्षा और एसएससी स्नातक स्तर की परीक्षा में भाग लेती रहीं और सभी परीक्षा को सफलतापूर्वक पास कर लिया। लेकिन उन्होंने एसबीआई पीओ को चुना।

एसबीआई में 3 साल तक काम करने के बाद, साल 2006 में पूनम ने एसएससी ग्रेजुएट लेवल परीक्षा में राष्ट्रीय स्तर पर 7वां रैंक हासिल करते हुए आयकर विभाग में नए करियर की शुरुआत की और इस सफलता ने उनके अंदर यूपीएससी परीक्षा लिखने की ललक पैदा की।

वर्ष 2007 में पूनम दिल्ली के असीम दहिया के साथ परिणय सूत्र में बंध गईं। कस्टम एक्साइज डिपार्टमेंट में कार्यरत उनके पति ने हमेशा उन्हें आगे बढ़ाने में उनका साथ दिया और कुछ बड़ा करने के लिए प्रोत्साहित करते रहे।

पूनम ने नौकरी के साथ-साथ अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा। 28 साल की उम्र में उन्होंने यूपीएससी सीएसई में अपना पहला प्रयास दिया और उन्हें रेलवे (आरपीएफ) मिला। वह उस सेवा में शामिल नहीं हुई और सीईई 2010 में फिर से परीक्षा में बैठने का फैसला किया। उन्हें फिर से रेलवे ही मिला, लेकिन एक अलग सेवा (आईआरपीएस)। इसी बीच, उन्होंने हरियाणा पीएससी की परीक्षा पास करते हुए, साल 2011 में हरियाणा पुलिस में बतौर डीएएसपी शामिल हो गईं।

साल 2011 में, पूनम यूपीएससी की प्रीमिम्स परीक्षा में ही असफल हो गईं और उन्होंने यूपीएससी के लिए अपनी कोशिश को खत्म करने का निश्चय कर लिया क्योंकि अब उनकी उम्र भी उन्हें इस परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं देती। वो कहते हैं न भाग्य भी मेहनत करने वालों का साथ देता है और कुछ ऐसा ही पूनम के साथ भी हुआ। गौरतलब है कि साल 2011 में पैटर्न परिवर्तन से प्रभावित हुए उम्मीदवारों के आंदोलनों और याचिकाओं के कारण, सरकार ने 2011 में सिविल सेवा परीक्षा में बैठे सभी असफल लोगों के लिए एक और मौका देने का निश्चय किया। और पूनम को यूपीएससी की परीक्षा में एक बार फिर से बैठने का अवसर मिल गया।

पूनम के लिए यह अवसर एक बड़ी चुनौती के रूप में आया क्योंकि एक तो उनकी तैयारी काफी सालों पहले छूट चुकी थी और उपर से उन्हें 24*7 अपनी ड्यूटी में तैनात रहना पड़ता था। इसके अलावा वह उस समय 9 माह की गर्भवती भी थीं। लेकिन इन तमाम चुनौतियों के बावजूद पूनम हार नहीं मानी और सेल्फ स्टडी शुरू कर दी। और आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता का परचम लहराते हुए अखिल भारतीय स्तर पर 308वां रैंक हासिल की। अभी वो नागपुर से आईआरएस ऑफिसर की ट्रेनिंग ले रही हैं।

यदि पूनम की सफलता पर गौर करें तो हमें यह देखने को मिलता है कि परिजनों की प्रेरणा और उनके सहयोग से कठिन परिस्थितियों में भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

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