जानवर रहित दूध का अनोखा बिज़नेस, माँ-बेटे मिलकर कर रहे करोड़ों का कारोबार

आजकल नई पीढ़ी के युवा तरह-तरह के कांसेप्ट को लेकर सामने आ रहे हैं चाहे क्षेत्र कोई भी हो। खेती-किसानी के क्षेत्र में भी आजकल बिना मिट्टी की तकनीक से भी खेती हो रही है। अगर डेयरी उद्योग की बात करें तो इसमें भी नई-नई तकनीक देखने को मिल रही है। आर्गेनिक मिल्क से लेकर वेगन मिल्क तक की संकल्पना अब इस कारोबार का हिस्सा बन चुकी है।

आज की हमारी कहानी एक ऐसे माँ-बेटे की है जिसने वेगन मिल्क का कारोबार शुरू कर डेयरी उद्योग में करियर स्थापित करने की चाह रखने वालों के लिए एक उदाहरण पेश किया है। केनफ़ोलिओज़ से ख़ास बातचीत में इस कारोबार को अमलीजामा पहनाने वाले 22 वर्षीय अभय रंगन ने विस्तार से चर्चा की।

क्या है वेगन मिल्क

वेगन मिल्क को शाकाहारी दूध कहा जाता है जो अलग-अलग तरह के फूलों या फलों से निकाले जाते हैं। आसान भाषा में कहें तो वो दूध जिसमें जानवरों का इस्तेमाल न किया गया हो।

इसी दूध को बनाने और इसका प्रचार-प्रसार का काम कर रहे हैं इंजीनियरिंग के छात्र अभय रंगन, जो इस वक्त विदेश में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं। अभय ने कुछ महीनों पहले अपनी मां के साथ वेगन मिल्क बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी। इस काम के लिए उन्हें हर हफ्ते 500 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है और फिर पौधों से बने दूध की सप्लाई संभव हो पाती।

मेरा एकमात्र मकसद है कि लोग इस तरह के दूध का इस्तेमाल करें ताकि जानवरों का शोषण होना बंद हो जाए।

दूध की सप्लाई करने के लिए अभय हर हफ्ते बंगलोर से पूरे दक्षिण भारत की सैर करते थे, हालांकि अब इस दौड़ भाग पर विराम लग गया है और उन्होंने दूध की ऑनलाइन डिलीवरी शुरू कर दी है। वे बताते हैं कि शुरूआत में उन्हें बहुत दिक्कत हुई क्योंकि लंबा सफर होने के कारण कई बार दूध खराब हो जाता था या फिर गिर जाता था।

कम निवेश में शुरू किया कारोबार

शुरूआत में वे मिक्सी और खर के ही बर्तनों में ही इस दूध को तैयार करते थे। इस दौरान उन्हें कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने जरूरी उपकरणों को खरीदा और अब तो उन्होंने अपनी वेबसाइट भी तैयार की है, जिसमें कई तरीके के वेगन दूध उपलब्ध हैं। उनका कहना है कि देश में कई एनिमल एक्टिविस्ट हैं लेकिन इस स्तर पर कोई काम नहीं कर रहा है, क्योंकि लोगों को ये तरीका काफी महंगा लगता है। मेरा मकसद था कि मैं लोगों को सही दाम पर वेगन मिल्क उपलब्ध करवाऊं। धीरे-धीरे वे अपने मकसद में कामयाब हुए, उनका कहना है कि चूंकि उस वक्त मैं स्टूडेंट था तो मैं ऐसी चीज खोज निकालना चाहता था, जहां निवेश भी ज्यादा न लगे। वो चीजें थी बादाम और नारियल के दूध, जो सस्ती भी थी। धीरे-धीरे लोगों को इस तरह के दूध के बारे में पता लगा और उन्होंने इसे खरीदना शुरू किया।

अभय के मुताबिक उनकी कंपनी भारत की पहली ऐसी कंपनी है, जो वेगन योगर्ट बनाती है, और ये वेबसाइट के जरिए पूरे विश्व में उपलब्ध है। इसकी ख़ासियत यह है कि इसे सुरक्षित रखने के लिए फ्रिज की भी आवश्यकता नहीं होती। वो कहते हैं इस तरह के दूध सेहत के लिए भी अच्छे होते हैं। उनका लक्ष्य वेगन मिल्क को बाज़ार में सस्ते दाम पर उपलब्ध कराना है। वे कहते हैं आने वाले समय में इसी तरह के उत्पादों का इस्तेमाल होना है क्योंकि यह अधिक संसाधन-संपन्न होने के साथ-साथ पशु-अत्याचार को कम से कमतर करता है।

मिली करोड़ों की फंडिंग

अभय के इस नेक इरादे को एक और पशु प्रेमी का साथ मिला और उन्होंने अभय के इस काम में 4 लाख डॉलर अर्थात् 2.5 करोड़ का निवेश किया है। अभय इस फंड का उपयोग अपने कारोबार को और बड़े स्केल पर करने के लिए करेंगे।

वो भी मेरी तरह पशु प्रेमी हैं और उन्हें जब मेरे उद्देश्य के बारे में पता लगा तो उन्होंने हमें फंड दिए ताकि हम इसे बड़े लेवल पर लेकर जाएं।

अभय जैसे युवाओं की इस तरह की नवीन सोच जहाँ एक ओर देश में पशु पर हो रहे अत्याचार को कम कर सकेगी, वहीं दूसरी तरफ डेयरी उद्योग में करियर स्थापित करने की चाह रखने वाले लोगों के लिए एक उदाहरण भी पेश कर रहे हैं।

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